कांग्रेस को संगठन की कमजोरी पड़ी भारी

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जींद जिले के पांचों हलकों से बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। इसका मुख्य कारण कांग्रेस नेताओं में आपसी कलह का संगठन का कमजोर होना बड़ा कारण है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 24 May 2019 06:30 AM (IST) Updated:Fri, 24 May 2019 06:30 AM (IST)
कांग्रेस को संगठन की कमजोरी पड़ी भारी
कांग्रेस को संगठन की कमजोरी पड़ी भारी

जागरण संवाददाता, जींद : लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जींद जिले के पांचों हलकों से बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। इसका मुख्य कारण कांग्रेस नेताओं में आपसी कलह का संगठन का कमजोर होना बड़ा कारण है। 2014 में विधानसभा चुनाव में करारी हार के बावजूद कांग्रेस ने संगठन को खड़ा नहीं किया। जिले में कांग्रेस संगठन में पदाधिकारियों की नियुक्ति नहीं हुई। पांच साल में एक बार भी ऐसा नहीं लगा कि कांग्रेस राजनीतिक रूप से सक्रिय है और विपक्ष की भूमिका निभा रही है।

वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में जिले की पांच में से चार सीटों पर कांग्रेस के विधायक थे। यही नहीं, जींद से मांगेराम गुप्ता, उचाना से बीरेंद्र सिंह और नरवाना से रणदीप सुरजेवाला प्रदेश सरकार में मंत्री थी थे, लेकिन 2009 के बाद कांग्रेस के लिए जींद जिले में सूखा पड़ा हुआ है। कांग्रेस के लिए सियासी रूप से उपजाऊ रही जींद की जमीन अब उसके लिए बंजर बन चुकी है। उचाना हलके में बीरेंद्र सिंह के भाजपा में आने के बाद अब कांग्रेस का कोई नामलेवा नहीं रह गया है। रणदीप सुरजेवाला के गृह क्षेत्र नरवाना में भी कांग्रेस का जनाधार खत्म हो चुका है। यहां जेजेपी और कांग्रेस में दूसरे नंबर के लिए मुकाबला है। जींद उपचुनाव में कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही थी। जुलाना और सफीदों में भी कांग्रेस हालत काफी कमजोर हो चुकी है। इस पर पुरानी कांग्रेसी कहते हैं कि बड़े नेताओं की फूट ने पार्टी का बंटाधार कर दिया है। जब से अशोक तंवर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बने हैं, तब से पार्टी के जिला प्रधान, उपप्रधान, ब्लॉक प्रधान सहित संगठन के सभी पद खाली पड़े हैं। इससे कांग्रेस सांगठनिक रूप से कमजोर हो गई है। जो नेता पहले कांग्रेस से जुड़े हुए थे, वह अब दूसरे दलों में अपना ठिकाना बना चुके हैं। सफीदों से कांग्रेस की टिकट के दावेदार बचन सिंह आर्य ने कुछ दिन पहले भाजपा का दामन थाम लिया था। लोकसभा चुनाव के बाद भूपेंद्र हुड्डा ने कहा था कि चुनाव में संगठन की कमजोरी से नुकसान हुआ है। दो दिन पहले जींद आए प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर से दैनिक जागरण ने हुड्डा के बयान का जवाब पूछा था तो उन्होंने भूपेंद्र हुड्डा का नाम लिए बगैर कहा था कि उन्होंने ही संगठन में पदाधिकारियों की नियुक्ति नहीं होने दी। वह अकेले इसके जिम्मेदार नहीं हैं।

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