लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही नगर परिषद, बगैर ट्रीटमेंट के खुले में डाला जा रहा कूड़ा

शहर में कूड़े का उठान व निपटान नियमों के अनुसार नहीं हो रहा है। लंबे समय से नगर परिषद कूड़े को बगैर ट्रीटमेंट के खुले में डाल रही है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 08 Nov 2019 07:00 AM (IST) Updated:Fri, 08 Nov 2019 07:00 AM (IST)
लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही नगर परिषद, बगैर ट्रीटमेंट के खुले में डाला जा रहा कूड़ा
लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही नगर परिषद, बगैर ट्रीटमेंट के खुले में डाला जा रहा कूड़ा

जागरण संवाददाता, जींद : शहर में कूड़े का उठान व निपटान नियमों के अनुसार नहीं हो रहा है। लंबे समय से नगर परिषद कूड़े को बगैर ट्रीटमेंट के खुले में डाल रही है। इससे बीमारियां फैलने का खतरा तो रहता ही है। साथ ही इस कूड़े में बार-बार आग लगने से प्रदूषण भी फैल रहा है। कूड़े की छंटनी भी नहीं होती है। हर साल जब स्वच्छता सर्वेक्षण का समय आता है। तभी नगर परिषद को कचरा निस्तारण से संबंधित बिदुओं की याद आती है। शहर से प्रतिदिन करीब 80 टन कूड़ा निकलता है। इस कूड़े को हांसी रोड पर खाली पड़ी नगर परिषद की जमीन पर खुले में डाला जाता है। जिसकी बदबू आसपास के क्षेत्र में दूर तक फैलती है। अकसर इस कूड़े के ढेर में आग भी लगी रहती है। जिससे निकलने वाले जहरीले धुएं लोगों का दम घुटता है।

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ढाई माह से सफाई का ठेका नहीं हुआ

शहर की सफाई का ठेका 31 अगस्त को खत्म हो चुका है। जिसके बाद नगर परिषद नया ठेका नहीं दे सकी है। नया ठेका होने तक अस्थाई तौर पर कूड़े के उठान के लिए ठेका दिया गया है। पिछले साल मुख्य मार्गों की सफाई, डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन, कलेक्शन सेंटरों से कूड़े का उठा कर डंपिग साइट पर डालने का ठेका दिया था। जिसके एवज में नगर परिषद ठेकेदार को करीब 24 लाख रुपये देती थी। अब ठेका खत्म होने के बाद डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन का काम बंद है। मुख्य मार्गों की भी सफाई नहीं हो रही है।

कूड़ा निस्तारण प्लांट के लिए नहीं मिली जगह

दो दशक से नगर परिषद कूड़ा निस्तारण प्लांट के लिए जगह की तलाश कर रही है। कई गांवों में नगर परिषद ने जमीन देखी, किन्हीं कारणों से सहमति नहीं बन पाई। ऐसे में खुले में ही कूड़ा जा रहा है। अगर गीले व सूखे कूड़े को अलग-अलग किया भी जाए, तो वह डंपिग साइट पर जाकर फिर दोबारा आपस में मिल जाता है। इस कूड़े ढेर के पास ही टपरीवास कॉलोनी में दर्जनों परिवार रहते हैं।

ये होता है प्रावधान

नियमानुसार घर से कूड़ा ले जाते समय गीला व सूखा कूड़ा अलग-अलग करके ले जाना होता है। गीला कूड़ा जिसमें सब्जियों व फलों के छिलके तथा रसोई का अन्य सामान होता है। इस गीले कूड़े में केमिकल डाल कर खाद बनाई जाती है। सूखा कूड़ा जिसमें प्लास्टिक व कांच का सामान होता है। उसे रिसाइकल कर दोबारा प्रयोग में लाया जाता है।

जैविक खाद बनाने की योजना भी ठंडे बस्ते में

तत्कालीन डीसी अमित खत्री के समय स्कीम नंबर पांच व छह के कूड़े से जैविक खाद बनाने का पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर काम शुरू किया गया था। शुरुआत में इसका रिस्पॉन्स भी अच्छा मिला। जिसके बाद नगर परिषद ने शहर के बाकी वार्डों में भी इस पर काम शुरू करने का फैसला लिया गया। लेकिन ये योजना सिरे नहीं चढ़ सकी।

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