चलो गांव की ओर : देश सेवा व धर्म-कर्म करने में भंभेवा के ग्रामीण अग्रणी

- गांव से दो ने आजाद हिद फौज में शामिल होकर लड़ी थी आजादी की लड़ाई

By JagranEdited By: Publish:Wed, 03 Mar 2021 06:20 AM (IST) Updated:Wed, 03 Mar 2021 06:20 AM (IST)
चलो गांव की ओर : देश सेवा व धर्म-कर्म करने में भंभेवा के ग्रामीण अग्रणी
चलो गांव की ओर : देश सेवा व धर्म-कर्म करने में भंभेवा के ग्रामीण अग्रणी

- गांव से दो ने आजाद हिद फौज में शामिल होकर लड़ी थी आजादी की लड़ाई

- खेल में भी अग्रणी गांव, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लहराया परचम फोटो : 2 जेएचआर 7, 8 पूर्ण कौशिक, बेरी : गांव भंभेवा के लोग धार्मिक होने के साथ-साथ मिलनसार व देश सेवा में भी अग्रणी हैं। युवाओं ने देश की सेवा के लिए आगे कदम बढ़ाते हुए दुश्मन को धूल चटाने का काम किया है। युवा देश सेवा के लिए आर्मी में भर्ती होने का जज्बा रखते हैं और अभ्यासरत हैं। गांव का विकास भी दूसरों के लिए प्रेरणा बन रहा है। गांव भंभेवा वर्ष 1625 में बसाया गया था। ग्रामीण धर्मसिंह के मुताबिक गांव डीघल से आए एक ग्रामीण ने इसे बसाया था। तत्कालीन समय में एक मठ व उसके पास एक तालाब था, जो वर्तमान में भी बड़े जोहड़ के नाम से जाना जाता है। भंभेवा गांव को नागा पहलवान वाला भंभेवा के नाम से भी जाना जाता है। नागा पहलवान ने पाकिस्तान के लाहौर तक काफी कुश्तियां जीती थी। जिसकी बदौलत गांव को भी एक अलग पहचान गांव को मिली। ग्रामीण केवल खेतीबाड़ी व पशुपालन ही नहीं, बल्कि नौकरी-पेशा भी करते हैं। बॉक्स : गांव भंभेवा के दो सपूत नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ आजाद हिद फौज में भी शामिल हुए थे। ग्रामीण नत्थू राम पुत्र भोला व गोकुल पुत्र रामलाल ने आजाद हिद फौज में शामिल होकर देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी। अब गांव के करीब 150 से 200 युवा सेना में भर्ती होकर देश सेवा कर रहे हैं। गांव में महेंद्र पुत्र सूरजभान ब्रिगेडियर के पद पर, रघुवीर सिंह पुत्र हजारी कर्नल के पद पर, दलपत पुत्र रिसाल कर्नल के पद पर, दलेल पुत्र राममेहर कर्नल के पद पर, सुरेंद्र सिंह पुत्र दयानंद कर्नल व जगत सिंह पुत्र मुख्तयार सिंह कमांडर के पदों पर कार्यरत रहे हैं। गांव में अनेक खिलाड़ियों ने भी जन्म लिया। गांव से खिलाड़ी जगमती सांगवान वॉलीबाल में राष्ट्रीय स्तर की विजेता हैं। जिन्हें भीम अवार्ड से सम्मानित किया गया। गांव भंभेवा से रेलवे लाइन गुजर रही है, लेकिन रेल यहां पर नहीं रूकती। इसके लिए सरकार के पास प्रस्ताव भी भेज रखा है। रेल का ठहराव करने के लिए रेलवे ने 94 लाखों रुपये की मांग की है। जिस पर ग्रामीणों ने कहा कि सरकार इस समस्या का समाधान करें। - सरपंच प्रतिनिधि रवि कुमार ने बताया कि लिगानुपात को लेकर ग्रामीणों को जागरूक किया गया है। जिससे काफी सुधार आया है। पंचायत बनते ही गांव में मुनादी करवा दी थी कि जिस घर में बेटी का जन्म हो वहां पर कुआं पूजन जरूर करवाया जाए। ग्रामीण आज भी इसके अनुसार गांव में बेटियों के जन्म पर कुआं पूजन कर रहे हैं। साथ ही विकास कार्य भी सभी के साथ मिलकर करवाए जा रहे हैं।

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