मथुरावासियों की सुरक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारिका का निर्माण किया : धीरज व्यास

संवाद सहयोगी नारनौंद सैनी धर्मशाला में बसंती माता सेवा समिति द्वारा बंसती माता मंदिर जीर्णोधार

By JagranEdited By: Publish:Thu, 08 Apr 2021 05:50 AM (IST) Updated:Thu, 08 Apr 2021 05:50 AM (IST)
मथुरावासियों की सुरक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारिका का निर्माण किया : धीरज व्यास
मथुरावासियों की सुरक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारिका का निर्माण किया : धीरज व्यास

संवाद सहयोगी, नारनौंद : सैनी धर्मशाला में बसंती माता सेवा समिति द्वारा बंसती माता मंदिर जीर्णोधार के लिए आयोजित श्रीमदभागवत कथा के सातवें दिन कथावाचक आचार्य श्रीधीरज व्यास के द्वारा रुकमणी मंगल का आनंद लिया। आचार्य द्वारा श्रीकृष्ण रुकमणी का वर्णन विस्तार पूर्वक बताया गया। उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने मैदान के युद्ध में कामदेव को हरा कर काम पर विजय प्राप्त की। भगवान ने इस लीला के माध्यम से सभी को यह प्रेरणा दी कि प्रेम केवल तन से नहीं अपितु मन से भी होता है। बकासुर और अजासूर उद्धार इत्यादि प्रसंगों का वर्णन किया। कथावाचक धीरज व्यास ने भगवान के वृन्दावन छोड़ कर मथुरा जाने और उद्धव चरित्र का बड़े मार्मिक ढंग से विवरण किया। भगवान सभी बृजवासियों की सुरक्षा जरासंध से करना चाहते थे। इसीलिए कंस वध के पश्चात वो दोबारा लौटकर वृंदावन नहीं गए। भगवान ने सोचा अगर जरासंध को ये बात पता चली कि वृन्दावन वासी मेरे अति प्रिय हैं तो वो उन्हे नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा। आचार्य जी ने उद्धव चरित्र का बड़े मार्मिक ढंग से विवरण किया। उसके बाद भगवान ने मथुरा वासीयों की सुरक्षा के लिए मथुरा छोड़ कर द्वारिका नामक नगरी का विश्वकर्माजी द्वारा निर्माण करवा कर समस्त सगे संबंधियों के साथ वहीं रहने लगे। वहां रहते हुए बलराम और श्रीकृष्ण का नाम चारों और फैल गया। बड़े बड़े नृपति और सताधिकारी भी उनके सामने मस्तक झुकाने लगे। बलराम के बल और उनकी ख्याति पर मुग्ध होकर रेवत नामक राजा ने अपनी पुत्री का रेवती का विवाह उनके साथ कर दिया।उन दिनों विदर्भ देश के भीष्मक नामक एक तेजस्वी राजा थे। कुंदनपुर उनकी राजधानी थी। उनके पांच पुत्र और एक पुत्री थी। उस पुत्री में लक्ष्मी के समान गुण विराजमान थे इसीलिए उन्हे सब लक्ष्मी स्वरूपा कहते थे। तत्पश्चात रुक्मणि विवाह का वर्णन बड़े रोचकपूर्ण ढंग से किया।इस अवसर पर शेरसिंह शर्मा, श्याम भील, ईश्वर भील, समिति के प्रधान जुगनू गर्ग, पप्पू गोयल, सुरेंद्र व्यास, लाला हंसराज गर्ग, सुमित, बंटी, मुकेश सैनी, रवि पांचाल, बिट्टू कक्कड़, नीरज व्यास और आशुतोष शास्त्री इत्यादि विशेष तौर पर मौजूद थे।

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