प्रभावी बॉडी लैंग्वेज, बोलने की टोन व शब्दों का चयन अच्छे वक्ता की निशानी: प्रो. कर्मपाल

जागरण संवाददाता हिसार गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के ट्रेनिग एंड प्लेसमेंट

By JagranEdited By: Publish:Fri, 12 Jun 2020 05:35 AM (IST) Updated:Fri, 12 Jun 2020 06:19 AM (IST)
प्रभावी बॉडी लैंग्वेज, बोलने की टोन व शब्दों का चयन अच्छे वक्ता की निशानी: प्रो. कर्मपाल
प्रभावी बॉडी लैंग्वेज, बोलने की टोन व शब्दों का चयन अच्छे वक्ता की निशानी: प्रो. कर्मपाल

जागरण संवाददाता, हिसार: गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के ट्रेनिग एंड प्लेसमेंट सेल से चल रहे साप्ताहिक वर्चुअल स्पीकथॉन के पांचवें संस्करण में 'वाद-विवाद प्रतियोगिता' का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में विद्यार्थियों को दो ग्रुपों में बांटा गया था। प्रतियोगिता के विषय 'क्या महिलाओं के लिए लोक सभा और विधानसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण होना चाहिए' के पक्ष व विपक्ष में चर्चा की गई। हरियाणा स्कूल ऑफ बिजनेस के निदेशक प्रो. कर्मपाल नरवाल कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे। अध्यक्षता प्लेसमेंट निदेशक प्रताप सिंह ने की। विश्वविद्यालय के वरिष्ठ पुस्तकालयाध्यक्ष नरेंद्र कुमार व लॉ नगरी हिसार की पीडीपी विशेषज्ञा डा. अंजनी गुप्ता ने प्रथम ग्रुप में निर्णायक की भूमिका अदा की। स्टार्ट-अप मेंटर और मोटिवेशन स्पीकर जगत जीत सिंह तथा विश्वविद्यालय के फार्मेसी विभाग के सहायक प्रोफेसर मनोज मेडल द्वितीय ग्रुप में निर्णायक रहे।

मुख्यातिथि प्रो. कर्मपाल नरवाल ने कहा कि पढ़ने, लिखने और बोलने का कौशल एक शिक्षित व्यक्ति की विशेषताएं होती हैं। उन्होंने एक अच्छे वक्ता बनने के लिए महत्वपूर्ण टिप्स दिए। उन्होंने बताया कि किसी भी वक्ता के लिए 55 प्रतिशत बॉडी लैंग्वेज, 38 प्रतिशत बोलने की टोन तथा सात प्रतिशत श्रेय शब्दों के प्रयोग को जाता है। उपरोक्त बातें एक अच्छे वक्ता की निशानी हैं। विषय के पक्ष में बोलने वाले प्रतिभागियों ने तर्क दिया कि हमारे पुरुष प्रधान भारतीय समाज में महिलाओं की चिताजनक स्थितियों में सुधार के लिए महिला आरक्षण बिल 2008 को जल्द से जल्द पारित और लागू किया जाना चाहिए। लगभग सभी राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र में होने के बावजूद, आज तक यह पारित नहीं किया गया है। वर्तमान लोक सभा में केवल 14.7 प्रतिशत महिला सांसद 50 प्रतिशत महिला आबादी का प्रतिनिधित्व कर रही हैं।

विपक्ष में बोलने वाले प्रतिभागियों ने तर्क दिया कि एक महिला के लिए निर्वाचन क्षेत्र को महिला आरक्षित करने से उन पुरुषों के लिए अवसर का नुकसान होगा जो बेहतर या अधिक योग्य उम्मीदवार हो सकते थे। एक प्रतिनिधि लोकतंत्र में सीटों की एक महत्वपूर्ण संख्या पहले से ही जातियों के आधार पर आरक्षित हैं। महिलाओं के लिए अतिरिक्त 33 प्रतिशत कोटा लोगों की इच्छा का अनुपातहीन प्रतिनिधित्व होगा।

पहले ग्रुप की प्रतियोगिता में बीटेक ईसीई की प्रांजली, बीटेक सीएसई की देवांशी ग्रोवर तथा बीटेक ईई की शालिनी प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पर रहे। दूसरे ग्रुप की प्रतियोगिता में बीएससी इकोनोमिक्स के निशिथ शुभांकर ने पहला, बीफार्मा की शायना ने दूसरा तथा बीटेक ईसीई के आलोक कुमार ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।

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