बहादुरगढ़ में आंदोलन के बीच एक और किसान की मौत, अब तक 21 गंवा चुके जान

किसान हरविंद्र बहादुरगढ़ के सदर थाना एरिया में नया गांव चौक के पास ठहरा हुआ था। शुक्रवार की शाम तक वह बिल्कुल ठीक था। सुबह करीब साढ़े पांच बजे जगाया तो उसकी मौत हो चुकी थी। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Sat, 23 Jan 2021 11:12 AM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 11:12 AM (IST)
बहादुरगढ़ में आंदोलन के बीच एक और किसान की मौत, अब तक 21 गंवा चुके जान
बहादुरगढ़ में 59 दिनों से किसान कृषि कानून रद कराने के लिए आंदोलन पर डटे हैं।

हिसार/बहादुरगढ़, जेएनएन। कृषि कानूनों को रद करवाने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन में शनिवार की सुबह एक और किसान की मौत हो गई। मृतक की पहचान पंजाब के मानसा जिले के गांव खुडाल के रहने वाले 48 वर्षीय हरविंद्र के तौर पर हुई है। इस घटना को मिलाकर आंदोलन से जुड़े 21 लोग यहां पर अपनी जान गंवा चुके हैं।

रात को सोया तो दोबारा न जागा

बताया जा रहा है किसान हरविंद्र बहादुरगढ़ के सदर थाना एरिया में नया गांव चौक के पास ठहरा हुआ था। शुक्रवार की शाम तक वह बिल्कुल ठीक था। सुबह करीब साढ़े पांच बजे जगाया तो उसकी मौत हो चुकी थी। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। टीम पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल भेजा गया। पुुलिस अधिकारियों ने बताया कि मृतक के परिवार के लोगों के यहां पहुंचने के बाद ब्यान दर्ज किए जाएंगे। इसके बाद पोस्टमार्टम करवाया जाएगा। आशंका है कि उसकी मौत हार्ट अटैक से हुई है।

ठंड और तनाव बन रहे हार्ट अटैक की बड़ी वजह

आंदोलन के बीच शुरूआत से ही मौत का सिलसिला चल रहा है। आंदोलन के 59 दिनों के अंदर अकेले बहादुरगढ़ में 21 मौत हो चुकी हैं। 36 घंटे पहले भी यहां एक किसान की मौत हो गई थी। ज्यादातर घटनाओं में मौत का कारण हार्ट अटैक ही बना है। डाक्टरों का कहना है तनाव और ठंड ही हार्ट अटैक की प्रमुख वजह बन रहे हैं। इन घटनाओं से किसानों में रोष है। किसान संगठनों की ओर से सरकार से मांग की जा रही है कि जान गंवाने वाले किसानों के आश्रितों को आर्थिक मदद और सरकारी नौकरी दी जाए। 

59 दिन से जारी है किसानों का आंदोलन

बहादुरगढ़ में किसान आंदोलन को 59 दिन बीत चुके हैं। ठंड के बीच किसान तीन नए कृषि कानून रद कराने की मांग करते हुए धरने पर डटे हैं। सरकार के साथ 11 दौर की वार्ता विफल हो चुकी है। किसान सरकार के सभी प्रस्ताव ठुकरा चुके हैं। उनका कहना है कि आंदोलन तो अब कृषि कानून रद होने पर ही खत्म होगा। इस दौरान किसानों के सामने सबसे बड़ी चुनौती ठंड से बचने की है।

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