केंद्रीय योजनाओं में खानापूर्ति पर सांसद ने अफसरों को लगाई फटकार

जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की सोमवार को आयोजित बैठक में लोकसभा सांसद बृजेंद्र सिंह सख्त नजर आए। उन्होंने केंद्रीय योजनाओं में खानापूर्ति करने वाले अफसरों को आड़े हाथों लिया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 04 Jan 2022 02:47 AM (IST) Updated:Tue, 04 Jan 2022 02:47 AM (IST)
केंद्रीय योजनाओं में खानापूर्ति पर सांसद ने अफसरों को लगाई फटकार
केंद्रीय योजनाओं में खानापूर्ति पर सांसद ने अफसरों को लगाई फटकार

जागरण संवाददाता, हिसार : जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की सोमवार को आयोजित बैठक में लोकसभा सांसद बृजेंद्र सिंह सख्त नजर आए। उन्होंने केंद्रीय योजनाओं में खानापूर्ति करने वाले अफसरों को आड़े हाथों लिया। अधिकारियों के अनोखे जवाब पर भी वे माथ पकड़ते दिखे। सिर्फ यही नहीं बल्कि तीन अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस देने के निर्देश दिए।

तीन घंटे तक चली बैठक में एक - एक कर 29 बिदुओं पर उन्होंने योजनाओं का हाल जाना और अधिकारियों के तर्क सुने। इसके साथ ही योजनाओं के आंकड़े सही से नहीं देने पर अधिकारी को नसीहत भी दी। इस दौरान बरवाला विधायक जोगीराम सिहाग और मेयर गौतम सरदाना, उपायुक्त डा. प्रियंका सोनी, नगर निगम कमिश्नर अशोक कुमार गर्ग सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

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केस 1------

स्वयं सहायता समूहों में नहीं दिख रहा विकास

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का जिक्र करते हुए परियोजना अधिकारी ने बताया कि जिले में 2199 स्वयं सहायता समूह हैं, जिसमें 1368 समूहों को 10 हजार रुपये का फंड दिया जा चुका है। सांसद ने कहा कि मैने देखा है कि हर साल मेले में वहीं महिलाएं होती हैं वह उत्पाद लाती हैं। प्रगति खास नहीं दिखाई देती। इस योजना में उन्होंने महिलाओं को प्रेरित कर उनके बनाए उत्पादों को आगे लाने के निर्देश दिए। वहीं राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन में गलत आंकड़े प्रस्तुत करने पर अधिकारी को शो काज नोटिस देने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही उज्जवला योजना में अधिकारी ने आंकड़े नहीं दिए और कहा कि वही पुराने आंकड़े हैं तो सांसद ने सिर पकड़ लिया और डीसी को नोटिस जारी करने को कहा है। जबकि काडा के एक अधिकारी को भी अनुपस्थित रहने पर नोटिस जारी किया गया।

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केस 2----------

जादूगर शंकर की तरह आंकड़े पेश कर रहे हैं

स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण योजना की समीक्षा के दौरान पंचायती राज विभाग के एक्सईएन ने कह दिया कि योजना में 84 गांव चयनित किए गए हैं मगर गांवों को चयनित करने का कोई नियम नहीं है। ऐसे में सांसद हंसने लगे और बोले- कहा क्या कह रहें हैं आपको पता है। अधिकारी अपनी बात पर अडिग रहे तो सांसद बोले आपने तो जादूगर शंकर की तरह कर दिया कि टोपी खोली तो योजना में गांव चयनित हो गए।

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केस 3

प्रधानमंत्री आवास योजना में आड़े हाथों लिया

प्रधानमंत्री आवास योजना में प्रगति में सबकुछ अच्छा-अच्छा बताया गया तो सांसद ने कहा कि आवास के लिए 3400 लोगों को एलओआइ जारी हुए तो 3900 जारी ही नहीं हुए। उन्होंने कहा कि हैरानी की बात है कि गरीब लोगों के लिए योजनाएं बनती हैं और उन्हें ही लाभ लेने को परेशान होना पड़ता है। 3900 के फार्म रिजेक्ट हुए तो इनमें कई लोग ऐसे होंगे जिनकी थोड़ी बहुत कमी होगी। अधिकारी गरीबों के प्रति नरम लहजा रखें। केस 4--------

स्वच्छता पर बोले- लगता है हिसार स्विटजरलैंड बन गया है

जब नगर निगम के अधिकारी ने शहर में सफाई व्यवस्था दुरुस्त बताई तो सांसद ने टिप्पणी की कि आपकी बातों से ऐसा लगता है कि हिसार स्विजरलैंड बन गया है। यहां गंदगी है ही नहीं। इस पर मेयर गौतम सरदाना ने कहा कि शहर में 58 प्वाइंट ऐसे हैं जहां अभी भी गंदगी देखने को मिलती है। विधायक जोगीराम ने बताया कि कैमरी रोड हाउसिग बोर्ड कालोनी के पास दो मंत्रियों के घर हैं मगर यहां भी कचरा पड़ा रहता है। जबकि योजना में फंड पर्याप्त है। इसी प्रकार अमरुत योजना में सीवरेज का कार्य पूरा हो चुका है। जबकि पाइप लाइन बिछाने का कार्य जारी है इस पर मेयर बोले कि जो काम हुआ है उस में भी लोग शिकायत कर रहे हैं। -------------

बैंक अधिकारियों पर साधा निशाना

सांसद ने केंद्रीय योजनाओं की समीक्षा मे पाया कि बैंक ऋण के अधिक से अधिक आवेदनों को नामंजूर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह समस्या लंबे समय से चल रही है। यह दो करोड़ का लोन ऐसे आदमी को दे देंगे जो लोन चुका नहीं पाता है मगर 10 हजार ऐसे आदमी को नहीं देंगे जो चुकाएगा। उपायुक्त इस पर विशेष ध्यान दें।

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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर रार

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के बारे में सांसद ने पूछा कि किसानों को मुआवजा मिलने में दिक्कत तो नहीं आ रही। इस पर जिला उप कृषि निदेशक ने बताया कि योजना में करीब दो हजार शिकायतें, 550 कोर्ट केस, सैकड़ों सीएम विडो पर लोग कर चुके हैं। किसान बोते गेहूं हैं, रिकार्ड में भी गेहूं होता है मगर बैंक अपने यहां जौ दिखाकर बीमा कर देता है। जब वह मुआवजा लेने जाते हैं तो कंपनी मना कर देती है। सिर्फ यहरी नहीं बल्कि एक क्षेत्र में पानी की कमी है। धान पैदा नहीं होता मगर बैंक ने रिकार्ड में धान का बीमा किया हुआ है। इन सभी मामलों की पूरी जानकारी सांसद ने तलब की है।

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