ठेका लेकर जाेरबा वाइन्‍स ने शराब बेची, मगर हरियाणा आबकारी विभाग को 10 करोड़ की फीस नहीं देने का आरोप

वित्तीय वर्ष 2019-20 में जोरबा वाइन्स ने हिसार में ठेके लिए थे। काम किया मगर लाइसेंस फीस बकाया रही। लिहाजा लाइसेंस फीस पर ब्याज जुर्माना मिलाकर करीब 10 करोड़ रुपये से अधिक की राशि बनी। बिना इस राशि को दिए ही हिसार से फर्म ने काम बंद कर दिया।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Wed, 18 Aug 2021 08:38 AM (IST) Updated:Wed, 18 Aug 2021 08:38 AM (IST)
ठेका लेकर जाेरबा वाइन्‍स ने शराब बेची, मगर हरियाणा आबकारी विभाग को 10 करोड़ की फीस नहीं देने का आरोप
जोरबा वाइन्स ने वर्ष 2019-20 में लिया था ठेका, आबकारी एवं कराधन विभाग इंस्पेक्टर ने ही सीएम को दी शिकायत

जागरण संवाददाता, हिसार। शराब ठेकेदार सरकार को तय राजस्व न देने के लिए पिछले कई वर्षों से मशहूर हैं। मगर कभी इनकी कड़ी कार्रवाई नहीं देखने को मिली। ताजा मामला हिसार में वर्ष 2019-20 से जुड़ा हुआ है। आबाकारी एवं कराधान विभाग में इंस्पेक्टर दिनेश मेहरा ने इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री को की है। उन्होंने आरोप लगाते हुए बताया कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में जोरबा वाइन्स ने हिसार में ठेके लिए थे। काम किया मगर लाइसेंस फीस बकाया रही। लिहाजा लाइसेंस फीस पर ब्याज, जुर्माना मिलाकर करीब 10 करोड़ रुपये से अधिक की राशि बनी। बिना इस राशि को दिए ही हिसार से फर्म ने काम बंद कर दिया।

हैरानी इस बात की है कि यह काम फर्म पहले फतेहाबाद में भी पिछले वर्षों में सरकार की तरफ बकाया छोड़ चुकी थी इसके बावजूद आबकारी विभाग के अधिकारियों ने हिसार में कंपनी के नाम ठेका जारी कर दिया। उन्होंने बताया कि फतेहाबाद में इसी कंपनी पर 2018-19 में 34 लाख रुपये व 2019-20 में 25 करोड़ रुपये भी बकाया थे। फिर भी फर्म को हिसार में ठेका दे दिया। गौरतलब है कि हिसार में वर्ष 2019-20 की करीब 11 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस बकाया है। इन फर्मों से रिकवरी की प्रक्रिया चली रही है। इस मामले में जोरबा वाइंस के संचालिक तरुण मेहता से फोन पर संपर्क किया गया मगर उन्होंने फोन नहीं उठाया। हालांकि सूत्रों की मानें तो इस मामले में विभाग संचालिक की संपत्ति आदि को जब्त कर चुका है।

कई दस्तावेज भी नहीं जमा किए

इंस्पेक्टर दिनेश ने बताया कि उक्त फर्म ने हिसार और फतेहाबाद में शराब के ठेके लेने के दौरान एम-75, सोलवेंसी सर्टिफिकेट, साइट प्लान जैसी जरूरी दस्तावेज तक जमा नहीं कराए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि आबाकारी विभाग के अधिकारियों से मिलकर इस काम को फर्म द्वारा पिछले कुछ वर्षों से अंजाम दिया जा रहा है। उन्होंने इस फर्म और अधिकारियों से कनेक्शन को लेकर कई सरकारी एजेंसियों पर शिकायत की। अब दिनेश सुरक्षा की मांग कर रहे हैं उनका कहना है कि जिनका मामला उजागर किया है उनसे उन्हें जानमाल का डर है।

प्रत्येक वर्ष शराब की फर्मे लगा चुकी हैं कराेड़ों का चूना

आबाकारी विभाग ने हर साल कई ऐसी फर्में सामने आती हैं जिनका बकाया विभाग के पास रहता है। हर साल नया ठेका जारी होता है तो पुरानी फर्में बकाया राशि न भरने के चक्कर में एक नई फर्म का रूप ले लेती हैं। इस नई फर्म में नए संचालक होते हैं ऐसे में इस फार्मूले से बकाया भी बच जाता है और शराब का ठेका भी फर्म ले लेती है। जबकि सही मायने में पुरानी फर्म के संचालक ही नई फर्म को चलाते हैं। हरियाणा में हर साल ऐसी कई फर्म बनकर सामने आती हैं। पुरानी फर्म को कुछ समय बाद आबकारी विभाग ब्लैक लिस्टेड कर देता है। बाकया लेने विभाग की तरफ से कोई जाए भी तो उस पते आदि पर कोई मिलता ही नहीं है। यही कारण है कि शराब ठेकेदारों का करोड़ों रुपये का बकाया अभी भी विभाग पर बरकरार है।

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