हरियाणा में सरकार का कैशलैस का सपना साकार नहीं कर पाए सरकारी विभाग

हरियाणा में रेहडिय़ों भी पर डिजिटल भुगतान लिया जा रहा है मगर हमारे सरकारी विभाग इस व्यवस्था को लागू कराने में असमर्थ दिखाई दिए। लघु सचिवालय में ही कई विभाग ऐसे हैं जहां भुगतान नकद ही लिया जा रहा है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Tue, 01 Dec 2020 03:52 PM (IST) Updated:Tue, 01 Dec 2020 03:52 PM (IST)
हरियाणा में सरकार का कैशलैस का सपना साकार नहीं कर पाए सरकारी विभाग
हरियाणा में कैसलैस सिस्‍टम की सबसे पहले शुरुआत की थी, मगर यह सपना अभी भी सपना ही बना हुआ है

हिसार [वैभव शर्मा] दो वर्ष पहले हरियाणा ने सबसे पहले कैशलैस सिस्टम को अपनाने की शुरुआत की थी, जिसके बाद देश में अन्य राज्यों में भी इस सिस्टम को प्रमोट किया गया। मगर अब दो वर्ष बाद सरकारी विभागों में कैशलैस सिस्टम जहां से शुरू हुआ था, वहीं खड़ा नजर आ रहा है। हालात ऐसे हैं कि रेहडिय़ों पर डिजिटल भुगतान लिया जा रहा है, मगर हमारे सरकारी विभाग इस व्यवस्था को लागू कराने में असमर्थ दिखाई दिए। लघु सचिवालय में ही कई विभाग ऐसे हैं, जहां भुगतान नकद ही लिया जा रहा है। यहां इस योजना का अच्छे से चलना इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्योंकि कैशलैस स्कीम की शुरुआत तत्कालीन मुख्य सचिव डीएस ढेसी ने ही की थी।

इन स्थानों पर लागू नहीं हो सकी कैशलैस स्कीम

ई-दिशा में भुगतान नकद

ई दिशा में हर रोज 80 लर्निंग और स्थाई ड्राइङ्क्षवग लाइसेंस, 130 विभिन्न श्रेणियों में वाहनों का ट्रांसफर आदि कार्य होते हैं। इन सभी कार्यों में शत प्रतिशत नगद फीस जमा करनी होती है। कई बार लोगों के पास नकद धनराशि नहीं होती तो उन्हें एटीएम खोजने जाना पड़ता है। इसके साथ ही पूर्व में यहां पांच से छह पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) मशीनों को लगाया गया मगर अब यह पूरी तरह बंद पड़ी हैं। प्रशासन का कहना है कि बैंकों से लिंक न होने के कारण पीओएस मशीनों का संचालन ठीक से नहीं हो सका, इस कारण से मशीनें बंद करनी पड़ी।

नगर निगम, रोडवेज जैसे विभागों में भी कैशलैस सुविधा नहीं

ई-दिशा ही नहीं बल्कि नगर निगम में भी कुछ समय चलकर ही डिजिटल भुगतान को लेना बंद कर दिया। इसके साथ ही रोडवेज विभाग खुद को अभी तक कैशलैस नहीं कर सका है। यहां यात्रियों को टिकट अभी भी पर्चियों पर दी जा रही हैं। इसके साथ ही जिला में सैकड़ों सीएससी केंद्र हैं, इसके बावजूद इन केंद्रों में 90 फीसद भुगतान नकद ही लिया जाता है। यह काम शुरूआत से ही चल रहा है। सीएससी केंद्रों के संचालक मानते हैं कि यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में लागू नहीं हो सकी। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों खासकर युवाओं को जागरुक किया जाता या डिजिटल भुगतान सिखाया जाता तो वह इसका प्रयोग जरूर करते।

इन स्थानों पर कैशलैस सिस्टम लागू हुआ तो काफी हुआ बदलाव

शिक्षण संस्थानों में कैशलैस हुआ सिस्टम

दो वर्ष पहले नोटबंदी के बाद कैशलैस सिस्टम को शिक्षण संस्थानों ने अपनाया तो काफी मुश्किलों को कम भी कर लिया। पहले अभिभावकों को जहां बच्चों की फीस जमा करे, विश्वविद्यालयों में छात्रों को फीस जमा करने के लिए लंबी लाइनों में लगना पड़ता है। इसके साथ ही समय के अभाव में कई बार फीस भी नहीं भर पाते थे, मगर अब बहुत कुछ आसान हुआ है। कॉलेज, विवि में आवेदन के लिए फार्म से लेकर लाइब्रेरी फीस तक सभी काम ऑनलाइन और एक क्लिक पर होता दिखाई दे रहा है।

रेलवे व निजी क्षेत्रों ने अपनाया डिजिटल

रेलवे व निजि क्षेत्र के उपक्रमों ने डिजिटल भुगतानों को अच्छे से अपनाया है। रेलवे में जहां लोगों को रेट टिकट ऑनलाइन मिल रही है तो निजी क्षेत्र में छोटे मझले व्यापारियों तक डिजिटल भुगतान की सेवा पहुंच गई है।

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मुझे हाल ही में एसडीएम की जिम्मेदारी मिली है। ई-दिशा में डिजिटल भुगतान को लेकर पहले आई दिक्कतों को जाना है। अब बैंकों से बात कर के डिजिटल भुगतान फिर से लागू कराया जाएगा। बैंक खातों को लेकर कुछ समस्या थी जिसे जल्द दूर कर लिया जाएगा।

-अश्वीर नैन, एसडीएम, हिसार ।

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