बड़वा में राजपूत समाज के लोगों ने मनाया गणगौर उत्सव

संवाद सहयोगी सिवानीमंडी गांव बड़वा में राजपूत समाज द्वारा राजस्थान के प्रचलित त्यौहार गणगौर

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 06:17 AM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 06:17 AM (IST)
बड़वा में राजपूत समाज के लोगों ने मनाया गणगौर उत्सव
बड़वा में राजपूत समाज के लोगों ने मनाया गणगौर उत्सव

संवाद सहयोगी, सिवानीमंडी : गांव बड़वा में राजपूत समाज द्वारा राजस्थान के प्रचलित त्यौहार गणगौर का उत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया और सैकड़ों सालों से चली आ रही राजपूत घराने की परम्परा को कायम रखते हुए गौरा व ईशर की गांव में परिक्रमा करवाई। गांव में राजपूत परिवारों द्वारा संयुक्त रूप से इस महोत्सव का आयोजन किया जाता है जिसमें सभी महिलाएं, पुरुष आदि शामिल होते है। महिलाएं गणगौर के गीतों के साथ नगर परिक्रमा में शामिल होती है तो पुरुष डफ की गीतों पर नाचते गाते हुए। गांव में इस महोत्सव को देखने के लिए हजारों लोग शामिल होते है।

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डफ की ताल पर नाचते गाते की जाती है गोरा व ईशर की परिक्रमा

गांव में बने राजपूत घराने के विशाल गढ़ से गोरा व ईशर की परिक्रमा शुरू होती है जो कि रीति रिवाजों के अनुसार स्व. विजय सिंह के घर तक पहुंचती है। ये परिक्रमा गाड़ी आदि में नही बल्कि सिर पर उठाकर की जाती है। इस दौरान राजपूत समाज के युवा नाचते गाते हुए इस उत्सव की खुशी मनाते है। गांव में कई समाज की महिलाएं गणगौर का पूजन करती है लेकिन अधिकतर राजपूत समाज की महिलाएं ही करती है। राजपूत समाज के लोग बताते है कि गणगौर के पर्व को सालों से मनाते आ रहे है। गणगौर पूजन करने वाली लड़कियां होली के दो दिन बाद से इस व्रत को करना शुरू करती है और 16 दिनों तक मिट्टी से बनाई गणगौर की पूजा अर्चना के बाद व्रत खोलती है तथा उसका विसर्जन करती है। इसी कड़ी में राजस्थानी परिधान और श्रृंगार में महिलाओं ने पूजा विधि-विधान से गणगौर पूजा की। इस दौरान ग्रामीणों ने जमकर नाच गाना किया। गणगौर की पूजा करने वाली महिलाओं में कौशल्या देवी, कृष्णा देवी, उषा जांगडा,सुमन देवी, गुंजन,राजबाला मुकेश राजपूत, टीना, बाला, नैना व इन्द्रावती ने बताया गणगौर की पूजा अर्चना से वास्तव में लाभ मिला है।

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