झज्‍जर के पास ढांसा बॉर्डर पर किसान आंदोलन में धरने पर बैठे किसान की मौत, कल होगा पोस्‍टमार्टम

किसान कर्मवीर को छाती में दर्द हुआ था। उन्‍हें दिल्‍ली के एक अस्‍पताल में भेजा गया था। दोपहर को हुई इस घटना के कुछ घंटे बाद गुढ़ा गांव निवासी किसान कर्मवीर पुत्र हवा सिंह की मौत हो गई है। वे झज्‍जर के गांव गुढ़ा गांव के निवासी थे।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Sun, 07 Feb 2021 05:58 PM (IST) Updated:Sun, 07 Feb 2021 05:58 PM (IST)
झज्‍जर के पास ढांसा बॉर्डर पर किसान आंदोलन में धरने पर बैठे किसान की मौत, कल होगा पोस्‍टमार्टम
झज्‍जर के पास ढांसा बॉर्डर पर मृत हुए किसान कर्मबीर की फाइल फोटो

झज्‍जर/बादली, जेएनएन। झज्‍जर के पास ढांसा बॉर्डर पर गुलिया खाप तीसा की ओर से दिए जा रहे धरने में मौजूद एक किसान की अचानक तबीयत बिगड़ गई है। जिसकी पहचान करीब 50 वर्षीय गुढ़ा गांव निवासी कर्मबीर पुत्र हवा सिंह के रुप में हुई। कर्मवीर को छाती में दर्द हुआ था। उन्‍हें दिल्‍ली के एक अस्‍पताल में भेजा गया था। दोपहर को हुई इस घटना के कुछ घंटे बाद गुढ़ा गांव निवासी किसान कर्मवीर पुत्र हवा सिंह की मौत हो गई है।

सुबह धरने पर उनके सीने में दर्द होने की स्थिति में रेडक्रॉस की टीम द्वारा उन्हें प्राथमिक उपचार मुहैया कराया गया। बाद में एंबुलेंस की मदद से दिल्ली के जाफरपुर हॉस्पिटल में उपचार के दौरान मौत हो गई। यह ढांसा बॉर्डर पर किसान की पहली मौत है। कर्मवीर शुरु से ही ढांसा बॉर्डर पर सक्रिय थे। किसान की मौत की सूचना के बाद सभी वक्ताओं की स्पीच आदि प्रोग्राम रद्द कर दिए गए। बाद में मौन रखते हुए किसान को श्रद्धांजलि दी गई।

बता दें कि किसान आंदोलन के समर्थन में ढांसा बॉर्डर पर 60 से अधिक दिनों से धरना चल रहा है। जिसमें आस-पास के क्षेत्रों में रहने वाले बड़ी संख्या में लोग जुट रहे हैं। आंदोलन को समर्थन देने के लिए खाप प्रतिनिधियों के अलावा अन्य संगठन भी पहुंच रहे हैं। जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं।

दिल्ली से पूर्व सांसद महाबल मिश्रा पहुंचे समर्थन में

ढांसा बॉर्डर पर चल रहे इस धरने को समर्थन देने के लिए दिल्ली से पूर्व सांसद महाबल मिश्रा भी पहुंचे हुए हैं। किसानों की मांगों को जायज ठहराते हुए कहा कि सरकार को इस बात पर ध्यान देना चाहिए। समझना चाहिए कि अगर लंबे समय से किसान विरोध कर रहा है तो उसकी मांग जायज है। क्योंकि, वह किसानी से जुड़ी समस्याओं को किसानों से अधिक कोई नहीं समझ सकता है।

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