देवउठनी एकादशी 25 नवंबर को, शुरू होंगे मांगलिक कार्य, परिणय सूत्र में बंधेंगे सैकड़ों जोड़े

दीपावली के बाद एकादशी पर भगवान विष्णु निद्रा के बाद उठते हैं। इसी कारण इसे देवोत्थान एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु के चार महीने क्षीर सागर में निद्रा करने के कारण चातुर्मास में विवाह और मांगलिक कार्य थम जाते हैं। देवोत्‍थान एकादशी पर शुरू होते हैं

By Manoj KumarEdited By: Publish:Sun, 22 Nov 2020 08:37 AM (IST) Updated:Sun, 22 Nov 2020 08:37 AM (IST)
देवउठनी एकादशी 25 नवंबर को, शुरू होंगे मांगलिक कार्य, परिणय सूत्र में बंधेंगे सैकड़ों जोड़े
हिंदू पंचांग के अनुसार 25 नवंबर को एकादशी तिथि दोपहर 2 बजकर 42 मिनट से लग जाएगी।

रोहतक/हिसार, जेएनएन। हिंदू धर्म में सबसे शुभ और पुण्यदायी मानी जाने वाली देवोत्थान एकादशी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष को मनाई जाती है। इस बार देवोत्थान एकादशी 25 नवंबर को है। कोरोना महामारी के चलते इस बार विवाह-शादियों में पिछले साल के मुकाबले कम लोग ही शामिल होंगे। जानकारों की मानें तो पहले जहां होटल आदि में होने वाली प्रत्येक शादी में औसतन 500 से ज्यादा लोग शामिल होते थे, वहीं अब यह संख्या 200 तक (दोनों तरफ के) रह गई है। पहले विवाह शादियों में बड़ी संख्या में रिश्तेदार व परिचित आदि शामिल होते थे लेकिन अब कोविड-19 के चलते इनकी संख्या भी लगभग एक चौथाई रह गई है। कोविड-19 से बचाव के लिए अनेक लोग खुद ही विवाह समारोह में जाने से दूरी बना रहे हैं। उधर, एकादशी पर शादियों को लेकर समारोह स्थल, होटल रेस्टोरेंट आदि में बुकिंग फुल हो चली है।

पंडितों के मुताबिक एकादशी पर अकेले रोहतक में 250 से अधिक शादियां होने का अनुमान लगाया जा रहा है। रोहतक में कुल होटल-रेस्टोरेंट 200 हैं जबकि बैंक्वेट हॉल 80 हैं। देवोत्थान एकादशी दीपावली के बाद आती है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु निद्रा के बाद उठते हैं। इसी कारण इसे देवोत्थान एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु के चार महीने के लिए क्षीर सागर में निद्रा करने के कारण चातुर्मास में विवाह और मांगलिक कार्य थम जाते हैं। फिर देवोत्थान एकादशी पर भगवान के जागने के बाद शादी-विवाह जैसे तमाम मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं।

शुरू होंगे मांगलिक कार्य

हिंदू पंचांग के अनुसार 25 नवंबर को एकादशी तिथि दोपहर 2 बजकर 42 मिनट से लग जाएगी। वहीं, एकादशी तिथि का समापन 26 को शाम 5 बजकर 10 मिनट पर होगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी विवाह के साथ ही रुके हुए सभी मांगलिक कार्य एक बार फिर से शुरू हो जाएंगे।

यह रहेंगे विवाह के मुहूर्त

इस वर्ष देवोत्थान एकादशी बुधवार के दिन है। दुर्गा भवन मंदिर के पुजारी पंडित मनोज मिश्र ने बताया कि नवंबर में 25, 27, 30 तारीख को जबकि दिसंबर माह में 1, 6, 7, 9, 10 तारीख को विवाह के मुहूर्त रहेंगे। इसके अलावा इस दिन भगवान शालिग्राम और तुलसी विवाह का धार्मिक अनुष्ठान भी किया जाता है।

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कोविड-19 के चलते होटल-रेस्टोरेंट में सरकारी हिदायतों का पालन किया जा रहा है। विवाद शादी में अधिकतम 200 व्यक्ति शामिल हो सकते हैं। जगह के अनुसार यह संख्या कम हो सकती है। देवोत्थान एकादशी पर ज्यादातर होटल आदि बुक हैं।

- अशोक भांबरी, जिला प्रधान होटल-रेस्टोरेंट एसोसिएशन, रोहतक

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