होमगार्ड की बेटी जैस्मिन ने दादा से प्रेरित हो भारतीय सेना को चुना, अब आर्मी की तरफ से रिंग में बरसाएगी पंच

जैस्मिन बाक्सिंग में बेहतर उपलब्धियों के दम पर भारतीय सेना में सीधे हवलदार बन गई है। मंगलवार को सेना के अधिकारियों ने नियुक्ति पत्र सौंपते हुए सेना की वर्दी पहना दी है। खास बात यह है कि जैस्मिन भारतीय सेना में पहली महिला बाक्सर हैं।

By Omparkash VashishtEdited By: Publish:Thu, 06 Oct 2022 10:04 AM (IST) Updated:Thu, 06 Oct 2022 10:04 AM (IST)
होमगार्ड की बेटी जैस्मिन ने दादा से प्रेरित हो भारतीय सेना को चुना, अब आर्मी की तरफ से रिंग में बरसाएगी पंच
भिवानी की रहने वाली हैं जैस्मिन, हरियाणा की तरफ से खेलती हैं बाक्सिंग।

रोहकर, ओपी वशिष्ठ। साधारण परिवार में जन्मीं बाक्सर जैस्मिन लंबोरिया अपनी उपलब्धियों के दम पर अब भारतीय सेना का हिस्सा बन गई हैं। होमगार्ड पिता को एक समय तीन बेटियों और एक बेटे की परवरिश की चिंता थी। सोचते थे कि बेटियों की पढ़ाई-लिखाई के बाद शादी कैसे करेंगे। लेकिन दूसरे नंबर की बेटी जैस्मिन ने बाक्सिंग में करियर बनाने का निर्णय लिया और पिता के लिए नई उम्मीद बनकर उभरी है। जैस्मिन बाक्सिंग में बेहतर उपलब्धियों के दम पर भारतीय सेना में सीधे हवलदार बन गई है। मंगलवार को सेना के अधिकारियों ने नियुक्ति पत्र सौंपते हुए सेना की वर्दी पहना दी है। खास बात यह है कि जैस्मिन भारतीय सेना में पहली महिला बाक्सर हैं।

चार भाई-बहनों में दूसरे नंबर की बेटी हैं जैस्मिन, तीन बहनें और एक भाई हैं

भिवानी निवासी जयवीर ने बताया कि तीन बेटी और एक बेटा है। वह खुद होमगार्ड है, जिसकी नियमित नौकरी नहीं रहती। कभी बुला लिया तो कभी घर बैठना पड़ता है। चार बच्चों की परवरिश भी उसके लिए मुश्किल हो गई थी। लेकिन बच्चों के जज्बे से ऊर्जा मिलती रही। जैस्मिन ने बाक्सिंग में करियर बनाने का निर्णय लिया तो एक बार तो लगा कि लड़की के लिए यह खतरनाक खेल सही होगा या गलत। लेकिन फिर बेटी की इच्छा पर छोड़ दिया। जैस्मिन ने भी कड़ी मेहनत करके जल्द की अपनी पहचान बना ली। राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में बेहतर प्रदर्शन किया और एक के बाद एक पदक भी जीतना शुरू कर दिया। हाल ही में बर्मिंघम में राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक जैस्मिन ने हासिल किया है। अब उसका लक्ष्य 2024 पेरिस ओलिंपिक है।

दादा से मिली सेना में जाने की प्रेरणा

जयवीर ने दैनिक जागरण प्रतिनिधि से बातचीत करते हुए बताया कि उसके पिता चंद्रभान सेना में थे। कैप्टन के पद से रिटायर हुए थे। जैस्मिन छोटी थी तो दादा के साथ खेलती रहती थी। दादा से सेना के बारे में जानकारी लेती थी। वह भी दादा की तरह सेना में भर्ती होने की जिद करती थी। लेकिन परिवार से लोग सेना में लड़कियों के जाने की सोच भी नहीं पाते थे। लेकिन उनको क्या पता था कि जैस्मिन की सेना में जाने की इच्छा पूरी हो जाएगी। दादा की प्रेरणा और बाक्सिंग के प्रति जुनून के चलते ही जैस्मिन का यह सपना पूरा हो पाया है।

बाक्सर जैस्मिन लंबोरिया की उपलब्धियां

जैस्मिन लंबोरिया ने 2020 में खेलो इंडिया यूथ गेम्स, महिला राष्ट्रीय मुक्केबाजी, एएसबीसी एलीट एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप, महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में पदक जीतने के बाद बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक हासिल कर चुकी हैं। जैस्मिन इंग्लैंड की बाक्सर से मामूली अंतर से हार गई थी, अन्यथा देश के लिए गोल्ड मेडल पक्का माना जा रहा था। जैस्मिन सेना के मिशन ओलिंपिक योजना को आगे बढ़ाने में सहायक होगी। चूंकि अभी तक सेना की महिला बाक्सिंग टीम नहीं है। जैस्मिन टीम को बनाने में सेना के अधिकारियों की मदद भी करेंगी। हालांकि कई बाक्सर से सेना के अधिकारियों ने प्रस्ताव भेजा है।

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