बाल विवाह के विरुद्ध आवाज उठा रहीं बेटियां
जागरण संवाददाता, हिसार : अठारह साल से कम उम्र में गृहस्थी की बेड़ियों में बंधना अब 'बेटियों' को स्
जागरण संवाददाता, हिसार : अठारह साल से कम उम्र में गृहस्थी की बेड़ियों में बंधना अब 'बेटियों' को स्वीकार नहीं है। उन्होंने बाल विवाह कुरीति के खिलाफ जाकर अपने अधिकारों के लिए आवाज उठानी शुरू कर दी हैं। बालिका वधू बनने से पहले खुद ही या फिर सहेलियों की मदद से जिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी (डीपीसीएमओ) को फोन करके मदद मांगती हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि लाडो ने रूढि़वादी सोच के विरुद्ध जाकर कानून का सहारा लेना शुरू कर दिया है। पिछले आठ वर्षो में बाल विवाह के 249 मामले सामने आए हैं। 2008 से 2011 और 2015 से 2016 में उक्त मामलों में कमी आई है। हालांकि 2011 से 2012, 2013, 2014 में में बाल विवाह संबंधित शिकायतों का आंकड़ा 50 से अधिक रहा है। इन शिकायतों के प्राप्त होने पर विभाग अधिकारी मौके पर पहुंचकर बाल विवाह को रूकवा देते हैं। जब तक लड़का या लड़की बालिग नहीं हो जाते, तब तक उनकी शादी नहीं होने दी जाती है। विभाग अधिकारी बबीता चौधरी के अलावा उनके सहायक सचिन मेहता सहित अन्य कुरीति को खत्म करने के लिए प्रयासरत हैं।
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बाल विवाह होने से रोके
वर्ष कुल केस
वर्ष 2008-10 : 06
अप्रैल 10 से मार्च 11 : 14
अप्रैल 11 से मार्च 12 : 50
अप्रैल 12 से मार्च 13 : 53
अप्रैल 13 से मार्च 14 : 56
अप्रैल 14 से मार्च 15 : 28
अप्रैल 15 से मार्च 16 : 22
अप्रैल 16 से अभी तक : 23
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घरेलू ¨हसा : टूटते घरों को बसा रहा विभाग
जिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी बबीता चौधरी बाल विवाह के खिलाफ अभियान चलाए हुए हैं। बेटियों के अलावा लोगों को कुरीति के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए प्रेरित कर रही हैं। इसके साथ ही टूटते घरों को बसाने का भी प्रयास करती हैं। 2008 से लेकर अभी तक घरेलू ¨हसा संबंधित 5370 शिकायतें आई, जिनमें से 2279 में समझौता करवा दिया। 291 महिलाओं को वकील मुहैया करवाया, 75 पीड़ितों को शैल्टर होम भिजवाया, जबकि कोर्ट के आदेश पर 2415 मामलों की पड़ताल कर रिपोर्ट सौंपी हैं। इतना ही 292 मामलों में महिलाओं को प्रताड़ित करने वालों के विरुद्ध केस दर्ज हुआ है।
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पिछले कुछ सालों में लोग जागरूक हुए हैं। बाल विवाह के विरुद्ध खुद नाबालिग आवाज उठाते हैं। पिछले आठ सालों में 249 बच्चों का बाल विवाह होने से रूकवाया है। वहीं घरेलू ¨हसा मामलों में समझौता करवाना प्राथमिकता होती है।
- बबीता चौधरी, बाल विवाह निषेध अधिकारी।