पढ़ाई को सुगम बनाएगा क्यूआर कोड

जिस प्रकार पेटीएम के जरिए कैशलेस पद्धति अपनाई गई है ठीक उसी प्रकार अब विद्यार्थी क्यू आर कोड (क्विक रिस्पोंस कोड) के जरिए बिना पुस्तकों के भी पढ़ाई कर पाएंगे। जिले के बजघेडा स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के कक्षा दस के दो छात्र हिमांशु और सोनू कुमार ने एक ऐसी आवर्त सारणी बनाई है जिसमें कक्षा एक से लेकर दस तक की पुस्तकों के क्यू आर कोड बनाए हैं। स्कूल की प्राचार्य पुष्पा भुटानी ने बताया कि इन कोड की मदद से विद्यार्थी आसानी से फोन पर भी पढ़ाई कर सकते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 17 Jan 2019 06:02 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jan 2019 06:02 PM (IST)
पढ़ाई को सुगम बनाएगा क्यूआर कोड
पढ़ाई को सुगम बनाएगा क्यूआर कोड

सोनिया, गुरुग्राम

जिस प्रकार ई-वॉलेट के जरिये कैशलेस पद्धति अपनाई गई है, ठीक उसी प्रकार अब विद्यार्थी क्यूआर कोड (क्विक रिस्पास कोड) के जरिये बिना पुस्तकों के भी पढ़ाई कर पाएंगे। जिले के बजघेडा स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के कक्षा दस के दो छात्रों हिमांशु और सोनू कुमार ने एक ऐसी आवर्त सारणी बनाई है जिसमें कक्षा एक से लेकर दस तक की पुस्तकों के क्यूआर कोड बनाए गए हैं।

स्कूल की प्राचार्य पुष्पा भुटानी ने बताया कि इन कोड की मदद से विद्यार्थी आसानी से फोन पर भी पढ़ाई कर सकते हैं। बजघेड़ा स्थित स्कूल के शिक्षक मनोज कुमार लाकड़ा के मार्गदर्शन में इन विद्यार्थियों ने ये क्यूआर कोड बनाए हैं। रसायनिक तत्वों की आवर्त सारणी की तरह पीरियॉडिक टेबल ऑफ बुक्स को क्यूआर कोड में बनाया गया है। www.ह्नह्मह्यह्लह्वद्घद्घ.ष्श्रद्व वेबसाइट की मदद से कोड बनाया गया है। यह इंफॉरमेशन कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में शिक्षण की नवाचार पद्धति है। इसको बनाने में महज तीन महीने का समय लगा है। इस तरह मिली प्रेरणा

मनोज लाकड़ा ने बताया कि दैनिक जीवन का सबसे बड़ा हिस्सा मोबाइल फोन बन चुके हैं। ऐसे में हर उम्र के लोग मोबाइल का प्रयोग करते हैं। मोबाइल के बढ़ते प्रयोग से बच्चे भी अपना अधिकतर समय मोबाइल के साथ ही बिताते हैं। ऐसे में यदि मोबाइल में ही पुस्तकें भी उपलब्ध हो जाएं तो बच्चों को कहीं पर भी पढ़ने में आसानी हो सकती है। एससीईआरटी (राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद) ने पिछले वर्ष कक्षा एक से पांच तक की पुस्तकों के क्यूआर कोड दिए थे। उन्हीं से प्रेरित होकर मनोज लाकड़ा व उनके दो विद्यार्थियों ने कक्षा एक से दस तक की ¨हदी व्याकरण समेत सभी पुस्तकों के क्यूआर कोड बना दिए हैं। इसमें गणित और विज्ञान कक्षा एक से दस तक की अंग्रेजी माध्यम की पुस्तकों के कोड भी उपलब्ध हैं। इन कोड की मदद से विद्यार्थी सफर में जाते हुए भी बिना पुस्तकों के कहीं पर भी पढ़ाई कर सकते हैं। प्रयोग करने में आसान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया मुहिम की तर्ज पर पुस्तकों को क्यूआर कोड दिया गया है। मनोज लाकड़ा ने बताया कि जिस प्रकार ई-वॉलेट के जरिये कैशलेस पद्धति की मदद से आसानी से शॉ¨पग कर सकते हैं, उसी प्रकार मोबाइल में क्यूआर कोड पेपरलेस पद्धति बन गई है। स्कैनर एप की मदद से अब पढ़ाई भी की जा सकेगी। क्यूआर कोड में एनसीईआरटी (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद) की ई-बुक का ¨लक है और ऑडियो व वीडियो का यू-ट्यूब का ¨लक भी उपलब्ध है।

ऐसे में विद्यार्थी आसानी से पुस्तकें पढ़ सकते हैं और जो विषय समझ में न आए उसकी वीडियो देखकर आसानी से समझ सकते हैं। इस कोड की मदद से विद्यार्थी पुस्तकों को डाउनलोड कर सकता है और बिना इंटरनेट के भी पढ़ सकता है। इसको दूसरे बच्चों के साथ शेयर करना भी आसान है। ये कोड एक ही जगह छपे हुए हैं और उन पर कक्षा संख्या व विषय लिखा हुआ है। कोड से शिक्षकों को भी पढ़ाने में सहूलियत हो जाएगी। क्या है क्यू आर कोड प्रणाली

यह कोड क्विक रिस्पॉन्स कोड का संक्षिप्त रूप है। इसका प्रयोग सबसे पहले जापान ने किया था। इसमें काले और सफेद रंग के वर्ग का प्रयोग कर इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दिया था।

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