स्वतंत्रता के सारथी: स्लम बस्तियों में शिक्षा का उजियारा फैला रहीं प्रीति

शिक्षा पाने का अधिकार तो सबका है लेकिन एक वर्ग ऐसा है जहां अधिकतर बच्चे इस अधिकार से वंचित रह जाते हैं। यह है स्लम बस्तियों में रहने वाले लोग।

By Edited By: Publish:Thu, 13 Aug 2020 06:22 PM (IST) Updated:Thu, 13 Aug 2020 07:59 PM (IST)
स्वतंत्रता के सारथी: स्लम बस्तियों में शिक्षा का उजियारा फैला रहीं प्रीति
स्वतंत्रता के सारथी: स्लम बस्तियों में शिक्षा का उजियारा फैला रहीं प्रीति

गुरुग्राम [सोनिया]। शिक्षा पाने का अधिकार तो सबका है लेकिन एक वर्ग ऐसा है जहां अधिकतर बच्चे इस अधिकार से वंचित रह जाते हैं। यह हैं स्लम बस्तियों में रहने वाले लोग। इन बस्तियों में रहने वाले कुछ तो शिक्षा को लेकर जागरूक नहीं होते तो कुछ की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं होती है। ऐसे में वह अपने बच्चों को पढ़ा नहीं पाते हैं। यहां के अधिकतर बच्चे अपनी स्कूली पढ़ाई भी पूरी नहीं कर पाते हैं। एक बार ड्रॉपआउट होने के बाद दोबारा से पढ़ाई शुरू करना इनके लिए बहुत मुश्किल होता है।

इन बच्चों तक शिक्षा का उजियारा पहुंचाने के लिए शहर की प्रीति कुमारी प्रयास कर रही हैं। प्रीति ऐसे कमजोर तबके के बच्चों को ढूंढकर उनके अभिभावकों से अनुमति लेकर उन्हें पढ़ाती हैं। ड्रॉपआउट बच्चों पर अधिक ध्यान दिया जाता है। पढ़ाई के साथ संस्कारवान बनाने की है पहल प्रीति ने बताया कि उन्होंने अपनी पढ़ाई सरकारी स्कूल से ही की है।

अपने घर के आसपास की बस्तियों में रहने वाले बच्चों को देखती थी कि वह पढ़ाई तो करना चाहते थे लेकिन आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं होने के कारण उनके अभिभावक स्कूल की फीस व अन्य खर्च नहीं उठा पाते थे। अब भी उन्हें आसपास की बस्तियों में यही स्थिति देखने को मिल रही है। ऐसे में उन्होंने खुद ही इन बच्चों में शिक्षा की लौ जलाने की ठानी और युवा शक्ति संगठन के साथ मिलकर इन बच्चों को शिक्षित करने में लगी हुई हैं। प्रीति इन बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ उन्हें नैतिक मूल्यों व देश की संस्कृति को लेकर भी जागरूक करती हैं। उनका कहना है कि आज के बच्चे ही देश का भविष्य हैं।

इन बच्चों का शिक्षित होने के साथ-साथ संस्कारवान होना भी जरूरी है। जगह नहीं मिलने पर घर को ही बनाया स्कूल मूल रूप से उत्तर प्रदेश की रहने वाली प्रीति कुमारी शादी के बाद अपने ससुराल वालों के साथ कापसहेड़ा में रहती हैं। उन्होंने स्लम बस्तियों के बच्चों को पढ़ाने की तो ठानी लेकिन स्कूल चलाने के लिए जगह नहीं मिली। ऐसे में उन्होंने युवा शक्ति संगठन के सदस्यों की मदद से अपने घर में ही स्लम स्कूल खोला हुआ है। स्लम स्कूल चलाने के लिए प्रीति के ससुराल वाले भी पूरा सहयोग देते हैं।

प्रीति ने बताया कि उनके स्लम स्कूल में आसपास की स्लम बस्तियों के 185 से अधिक बच्चे आ रहे हैं। वह इन्हें नि:शुल्क पढ़ाती हैं। इसके अलावा प्रीति सुबह के समय संगठन द्वारा चलाए जा रहे गुरुग्राम के सेक्टर-नौ स्थित जरूरतमंद बच्चों के लिए खुले स्कूल में भी पढ़ाती हैं। बच्चों को शिक्षा के लिए सभी आवश्यक सामान मुफ्त उपलब्ध कराया जाता है। स्लम स्कूल में कक्षा पांच तक के बच्चों को पढ़ाया जाता है और इसके बाद उनका दाखिला पास के सरकारी स्कूल में करवाया जाता है।

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