माता के मंदिर

25 जीयूआर 18 कंठी वाली माता का मंदिर परिचय माता के धाम में वैसे तो श्रद्धालु सालों भर पूजा अर्

By Edited By: Publish:Wed, 25 Mar 2015 06:30 PM (IST) Updated:Wed, 25 Mar 2015 06:30 PM (IST)
माता के मंदिर

25 जीयूआर 18

कंठी वाली माता का मंदिर

परिचय

माता के धाम में वैसे तो श्रद्धालु सालों भर पूजा अर्चना करने आते हैं। लेकिन नवरात्र में श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हो जाती है। तीज पर्व पर मेले और कुश्ती दंगल का आयोजन किया जाता है।

इतिहास

फरुखनगर से झज्जर की ओर जाने वाले मुख्य मार्ग पर कंठीवाली माता का मंदिर है। इसका अपने आप में अनोखा इतिहास है। मान्यता है कि मां ने गांव के एक व्यक्ति के सपने में आकर कहा था कि वह समाज के दुखी लोगों की मदद करने के लिए आई है। उसका एक मंदिर बनवाना होगा। हमारे जिस पूर्वज ने माता के दर्शन किए थे, उसने सुबह उठकर यह कहानी अपने परिवार वालों को बताई। इस पर सभी ने खुशी जताई और माता मंदिर की अधारशिला रखी दी।

ऐसे पहुंचें

माता मंदिर पुलिस थाने से करीब पांच सौ गज की दूरी पर उत्तर दिशा में है। ट्रेन से आने वाले श्रृद्धालु फरुखनगर रेलवे स्टेशन पर उतर कर थ्री ह्वीलर से माता मंदिर पहुंच सकते है। झज्जर और गुड़गांव की ओर से आने वालों के लिए सीधा रास्ता है। वह बाई रोड़ अपने निजी वाहन से भी पहुंच सकते है। स्थानीय श्रद्धालु बिना किसी वाहन की मदद से माता के दर्शन करने के लिए आते है।

तैयारी

नवरात्र के करीब आते ही मंदिर की तैयारी जोरों पर शुरू कर दी जाती हैं। मौसम के बदले तेवर को ध्यान में रखकर पेयजल का विशेष प्रबंध किया जाता है। थके-हारे श्रद्धालुओं के विश्राम के लिए हरे भरे वृक्षों की छांव में दरी गद्दे बिछाए जाते है।

वर्जन

- 'माता मंदिर पर एक व्यक्ति चौबीस घंटे मौजूद होता है। यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा का विशेष ध्यान रखा जाता है। नवरात्रों में बुद्धो माता से दर्शन करने के बाद अधिकांश श्रृद्धालु कंठी माता के दर्शन करके परिवार की खुशहाली के लिए मन्नत मांगने आते है।''

-श्रीचंद भगत, माता मंदिर के पुजारी।

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''तीज पर्व पर लगने वाले कुश्ती दंगल में आसपास के राज्यों से खिलाड़ी भाग लेने आते है। विजेता खिलाड़ियों मेला कमेटी की ओर से पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाता है। मेले में शांति बनाए रखने के लिए समाज सेवी और पुलिस की व्यवस्था की जाती है।''

-दयाराम, श्रद्धालु।

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