मेवात में आतंक की पौध रोपना चाह रहा था सुभान

By Edited By: Publish:Tue, 29 Jul 2014 07:33 PM (IST) Updated:Tue, 29 Jul 2014 07:33 PM (IST)
मेवात में आतंक की पौध रोपना चाह रहा था सुभान

जागरण संवाददाता, मेवात :

लश्कर ए तैयबा आतंकी अब्दुल सुभान केनिशाने पर मेवात का युवा वर्ग था। युवाओं को जेहाद के नाम पर बरगलाकर वह उनका प्रयोग आतंकी गतिविधियों में करना चाहता था। इसके लिए उसने गुपचुप ढंग से तैयारी भी शुरू कर दी थीं। दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल द्वारा मेवात में स्थित गुमट बिहारी गांव निवासी सुभान की गिरफ्तारी के बाद सामने आए इस खुलासे से स्थानीय खुफिया इकाई भी सक्रिय हो गई हैं। मेवात में फैले उसके नेटवर्क को खंगाला जा रहा है। उसके मित्र व अन्य लोग भी एजेंसियों रडार पर आ गए हैं। उधर, स्थानीय लोगों में इस आतंकी के पकड़े जाने से चर्चाओं का बाजार गर्म है। लोगों का कहना है कि सुभान ने मेवात का नाम बदनाम कर दिया है।

नगीना से दो किलोमीटर दूर ऐतिहासिक धरोहरों को अपने आंचल में समेटने वाले गांव गुमट बिहारी गांव निवासी सुभान को पहली बार वर्ष 2001 में लश्कर ए तैयबा से संपर्क रहने पर पकड़ा गया था। लश्कर आतंकियों के साथ गिरफ्तार सुभान के घर में चूल्हे के नीचे से उस समय हथियार भी बरामद हुए थे। उसे दस साल की सजा हुई थी। सजा काटकर वह गांव में आकर रहने लगा था। इस दौरान उसका अधिकतर वक्त घर से मस्जिद व मस्जिद से घर आने जाने में ही बीत रहा था। लेकिन तेरह साल बाद अब्दुल सुभान का नाम लोगों की जुबान पर पिछली साल उस समय आया जब दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मेवात से राशिद और साहिद को पकड़ा। दोनों मस्जिद के इमाम थे। सुभान की मदद से आतंक की पौध तैयार करने में जुटे थे।

स्थानीय पुलिस की मानें तो दिल्ली पुलिस की पूछताछ में सुभान के पाकिस्तान में बैठे लश्कर आतंकी जावेद बलूची के संपर्क में होने के प्रमाण मिले हैं। यूपी, मुजफ्फरनगर दंगा प्रभावितों को भी उसने लश्कर के साथ जोड़ने की कोशिश की थी। इसके लिए वह देवबंद जाने के दौरान दंगा राहत शिविरों में रह रहे पीड़ितों से भी मिला था। वहीं, जांच में यह भी सामने आया है कि मेवात में भी वह लश्कर का गढ़ तैयार करना चाह रहा था। खुफिया एजेंसियों द्वारा जावेद बलूची के साथ रिकार्ड की गई उसकी बातचीत में इस बात के पुख्ता प्रमाण मिले हैं।

मेवात की खुफिया इकाई अब्दुल सुभान द्वारा किए जा रहे खुलासों को लेकर दिल्ली पुलिस के लगातार संपर्क में हैं। स्थानीय स्तर पर उसके संपर्क में रहने वाले लोगों से पूछताछ की जा रही है। सुभान के विषय में और अधिक जानकारी जुटाई जा रही है।

परिवार तोड़ चुका है नाता

गांव की एक संकरी गली में स्थित कच्च्चे मकान में रहने वाले सुभान के घर की माली हालत बेहद खराब है। यहां तक कि छप्पर पर फूस तक नहीं है। उसके हिस्से की तीन एकड़ जमीन को पत्‍‌नी पहले ही घर चलाने के लिए गिरवी रख चुकी है। गांव में छोटी सी परचून की दुकान करने वाले सुभान के बड़े भाई इलियास कहते हैं कि वह चार भाई हैं। सब अलग रहते हैं। वह कहते हैं कि वर्ष 2001 में गिरफ्तारी के बाद से ही पूरे परिवार ने सुभान से नाता तोड़ लिया है।

छलक उठी आंखें

इलियास की आंखें सुभान के विषय में बात करते करते अचानक छलकने लगती हैं। वह कहते हैं कि देशद्रोही गतिविधियों में शामिल होकर उसने परिवार का ही पूरे मेवात की बदनामी कराई है। साथ की यह सवाल भी करते हैं कि मजहब तो सभी से प्रेम करना सिखाता है? फिर क्यों लोग इस तरह का काम कर रहे हैं। वह बताते हैं कि इस्लाम धर्म में किसी एक इसान की जान लेने का गुनाह सात पीढि़तों तक माफ नहीं होता।

तीन च्च्चों का बाप है सुभान :

इसके तीन च्च्चे हैं दो लड़के व एक लड़की है। कुछ महीने पहले ही लड़की की शादी की थी, जिसमें ना तो कोई दावत, ना ही कोई रिश्तेदार बुलाया। बड़ा लड़का 16 साल का व छोटा 13 साल का है। दोनों ही एक मदरसे में रहकर दीनी तालीम ले रहे हैं।

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