नगीना-तिजारा मार्ग पर सियासत के बादल

By Edited By: Publish:Mon, 09 Sep 2013 06:22 PM (IST) Updated:Mon, 09 Sep 2013 06:22 PM (IST)
नगीना-तिजारा मार्ग पर सियासत के बादल

जागरण संवाद केंद्र, नूंह : मेवातियों की नगीना से तिजारा सड़क मार्ग की कई दशक पुरानी माग पर अब फिर सियासी बादल मंडराते दिखाई दे रहे है। सरकार ने इस मुद्दे पर जल्द कोई ठोस कार्यवाही नहीं की तो राजस्थान में चुनाव होने के कारण यह मामला फिर खटाई में जा सकता है। लोगों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से माग की है कि इस माग को जल्द पूरा किया जाए।

बता दें कि दिल्ली-अलवर रोड से सटे नगीना कस्बे से तिजारा की दूरी लगभग पंद्रह किलोमीटर है लेकिन दोनों कस्बों के बीच में अरावली की पहाड़ी होने के कारण कोई सीधा सड़क मार्ग नहीं है। ऐसे में लोगों को नगीना से तिजारा जाने के लिए वाया फिरोजपुर झिरका होते हुए जाना पड़ता है। इस रूट की लंबाई लगभग 42 किलोमीटर है। मेवात के लोगों की रिश्तेदारिया तिजारा व आसपास के गावों में होने के कारण यहा के लोगों का यहा आना जाना लगा रहता है। इसके अलावा मेवात से हजारों श्रद्धालु भी तिजारा के जैन मंदिर आते-जाते रहते है। इस समस्या को देखते हुए मेवात के लोग पिछले कई दशक से सरकार से इस मार्ग को बनाने की माग करते आ रहे थे। सरकारें आती रही और जाती रही लेकिन लोगों की इस समस्या का निदान किसी ने नहीं किया। मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सामने भी यह माग जोरशोर से उठी तो मुख्यमंत्री ने इसे मंजूर कर दिया है। पहले यह सड़क डबल थी। लेकिन बाद में इसे फोरलेन बनाने की योजना बनाई गई। अरावली की पहाड़ी को काटकर बनाये जानी वाली इस सड़क की लंबाई लगभग चार किलोमीटर होगी। सीमा तक हरियाणा सरकार इस कार्य को करायेंगी। अपने क्षेत्र में राजस्थान सरकार सड़क का निर्माण करायेंगी। इस बारे में मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बातचीत हो चुकी बताई जाती है। इन बातों को करीब एक वर्ष से अधिक समय बीत गया, लेकिन अभी तक इस मामले में कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो पाई है। जिला परिषद के उपाध्यक्ष, मेवात विकास मंच के अध्यक्ष जाहिद हुसैन, मेवात विकास सभा के अध्यक्ष दीन मोहम्मद, रमजान चौधरी सहित दर्जनों लोगों का कहना है कि यह माग काफी पुरानी है। सरकार महज इस पर झूठी वाही-वाही लूट रही है। जल्द ही राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने है वहा आचार संहिता लगने या फिर सरकार बदलने के बाद यह योजना खटाई में जा सकती है। इसलिए सरकार को इसे तुरत पूरा करना चाहिए। इससे आमजन के साथ-साथ श्रद्धालुओं व व्यापार को काफी फायदा पहुचेगा।

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