उपायुक्त के आदेश के बाद भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी अवशेष जलाने वालों पर नहीं दर्ज करवाएंगे एफआइआर

जागरण संवाददाता फतेहाबाद जिले की वायु दिल्ली से अधिक दूषित हो गई। इसकी वजह जिले में फसल

By JagranEdited By: Publish:Tue, 03 Nov 2020 07:00 AM (IST) Updated:Tue, 03 Nov 2020 07:00 AM (IST)
उपायुक्त के आदेश के बाद भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी अवशेष जलाने वालों पर नहीं दर्ज करवाएंगे एफआइआर
उपायुक्त के आदेश के बाद भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी अवशेष जलाने वालों पर नहीं दर्ज करवाएंगे एफआइआर

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : जिले की वायु दिल्ली से अधिक दूषित हो गई। इसकी वजह जिले में फसलों के अवशेष अधिक जल रहे हैं। इसे रोकने के लिए प्रशासन ने प्रयास तो किए हैं परंतु नियमों के अभाव में अवशेष जलाने वाले किसान बाज नहीं आ रहे हैं। प्रशासन सिर्फ पुलिस में एफआइआर दर्ज करवाता है। जिसकी थाने में ही जमानत हो जाती है। इसको देखते हुए उपायुक्त डा. नरहरि सिंह ने आदेश दिए थे कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी हरसेक की रिपोर्ट के आधार पर अवशेष जलाकर प्रदूषण फैलाने वाले लोगों पर कार्रवाई करें। लेकिन अब बोर्ड के अधिकारियों ने अवशेष जलाने वाले लोगों पर कार्रवाई करने के लिए मना कर दिया है। उनका कहना है कि उनके पास स्टाफ नहीं। एनजीटी यानी राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी इसकी जिम्मेदारी कृषि विभाग को दी हुई है। वहीं कार्रवाई करें।

वैसे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी एफआइआर दर्ज करवाए तो आमजन को प्रदूषण से बड़ी राहत मिल जाती। इसकी वजह है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा एफआईआर के मामले कुरुक्षेत्र व फरीदाबाद की पर्यावरण अदालत में चलते हैं। लेकिन पिछले पांच वर्षो से बोर्ड के अधिकारियों ने एक भी एफआइआर दर्ज नहीं करवाई। अब उपायुक्त ने आदेश दिए है कि एफआईआर दर्ज करवाओ। उसके बाद भी आदेश नहीं मान रहे। यदि बोर्ड के अधिकारी एफआइआर दर्ज करवाए तो अवशेष जलाने वाले लोग भविष्य में भूलकर भी आग नहीं लगाएंगे। लेकिन अधिकारी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं कर रहे।

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अब तक धान की कटाई हुई 50 फीसद, 605 लोकेशन मिली :

जिले में अब तक धान की 50 फीसदी फसल कटाई का कार्य पूरा हो गया है। जिले में इस बार धान का रकबा करीब 1 लाख 10 हजार हेक्टेयर था। इसमें से 55 हजार हेक्टेयर तक धान की कटाई हो गई। किसान परमल व 1509 किस्म का धान का अवशेष अधिक जलाते हैं। इस बार इन किस्म का धान निकालने का कार्य लगभग पूरा हो गया। वहीं, बासमती 1121 व मुच्छल धान की पराली बड़े महंगे रेट पर बिकती है। ऐसे में इनकी कटाई किसान हाथों से करवाते है। मशीन का प्रयोग न होने पर अवशेष नहीं बनते। पराली को राजस्थान के व्यापारी खरीद कर ले जाते है। जिले में अब तक हरसेक से फायर लोकेशन 605 मिली हैं। जिसमें से 266 लोकेशन फेक हैं। वहीं सही मिले लोकेशन के आधार पर 183 एफआईआर दर्ज हो चुकी है। जबकि गत वर्ष 2 नवंबर तक 607 लोकेशन मिली थी। उसके मुकाबले 2 लोकेशन कम हैं।

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हमारे पास स्टाफ की कमी है। ऐसे में एफआईआर दर्ज नहीं कर सकते। एनजीटी ने भी कृषि विभाग की जिम्मेदारी लगाई है। ऐसे में वे ही अवशेष जलाने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करें। यह जरूर है कि हमारी एफआईआर दर्ज होने पर प्रदूषण फैलाने वाले की सुनवाई कुरुक्षेत्र व फरीदाबाद की पर्यावरण अदालत में होगी। लेकिन बिना कर्मचारियों के काम कैसे करें।

- राजेंद्र कुमार, एसडीओ, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।

-------------------------- जिले में गठित टीम लगातार निगरानी कर रही है। किसानों को अवशेष न जलाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। मैं खुद टीम के साथ फिल्ड में जा रहा हूं। वहीं हरसेक की रिपोर्ट के आधार पर अवशेष जलाने वाले लोगों पर कार्रवाई की जा रही है। मेरा किसानों से आग्रह है कि अवशेष जलाने से खुद का अधिक नुकसान है। आने वाले कुछ वर्षों में इसी तरह खेत में आग लगाते रहे तो जमीन बंजर हो जाएगी। ऐसे में अवशेष जमीन में मिलाते हुए पर्यावरण का संरक्षण करें तथा जमीन की उपजाऊ शक्ति बढ़ाए।

- डा. राजेश सिहाग, उपनिदेशक, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग।

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