हमारे लिए तो गाय माता, लोग पशु का दर्जा देने पर तुले हैं : हुड्डा

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री अनलि विज के गाय को राष्‍ट्रीय पशु घोषित करने की मुहिम पर सवाल खड़े किए हैं। उन्‍हाेने इस पर तंज कसते हुए कहा, हम तो गाय को मानते हैं और कुछ लोग उसे पशु का दर्जा देने पर तुले हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Tue, 27 Oct 2015 02:33 PM (IST) Updated:Tue, 27 Oct 2015 03:27 PM (IST)
हमारे लिए तो गाय माता, लोग पशु का दर्जा देने पर तुले हैं : हुड्डा

जागरण संवाददाता, फतेहाबाद। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनलि विज के गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मुहिम पर सवाल खड़े किए हैं। उन्हाेने इस पर तंज कसते हुए कहा, हम तो गाय को मानते हैं और कुछ लोग उसे पशु का दर्जा देने पर तुले हैं।

उन्होंने कहा कि मनाेहर लाल सरकार का एक वर्ष का कार्यकाल बहुत खराब रहा है। यह सरकार बेदर्द, नकलची व फीताकाट सरकार है। प्रदेश सरकार अपने कार्यकाल में कोई एक उपलब्धि गिना दे। यह सरकार अभी तक उनकी सरकार द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं के ही फीते काट रही है। सरकार के पेपर को साफ बताते हुए कहा कि इनको पेपर में केवल सफाई के पांच अंक मिलेंगे, लेकिन उनकी सरकार की योजनाओं की नकल करने पर नकल का केस भी बनेगा।

हुड्डा ने बेटी बचाओ बेटी अभियान पर कहा कि यह अभियान उनकी सरकार द्वारा चलाई गई लाडली योजना की ही नकल है। उन्होंने किसानों की हालत को दयनीय बताया। उन्होंने कहा कि सरकार बार-बार कह रही है कि पिछली सरकार की अपेक्षा खराब फसलों की मुआवजा राशि बढ़ाई है, जबकि सही मायने में मुआवजा राशि घटी है।

उन्होंने कहा कि पहले केंद्र सरकार द्वारा मुआवजे में 36 फीसदी मदद दी जाती थी। राज्य सरकार की तरफ से 64 फीसदी मुआवजा दिया जाता था। लेकिन आज केंद्र सरकार ने 36 फीसदी मुआवजे में सहयोग राशि बढ़ाकर 54 फीसदी कर दी। जबकि प्रदेश सरकार ने मुआवजा घटाकर 46 फीसदी कर दिया।

उन्होंने कहा कि आज किसान को उसकी फसल का भाव समर्थन मूल्य 1450 से कम 1200 रुपये दिए जा रहे हैं, लेकिन किसान से मंडी की पर्ची पर 1450 के हस्ताक्षर करवाए जा रहे हैं।केंद्र सरकार ने खाद पर सब्सिडी को आधा कर दिया है, जिससे फसली सीजन में खाद की कीमत बढ़ेगी। आज दाल 200 रूपये किलो बिक रही है। जनता को अच्छे दिन नहीं मिले, इसलिए पुराने दिन याद आने लगे हैं।

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