सन्नी हो या सोनू, अब सब सरकारी स्कूल में पढ़ेंगे, इस पंचायत ने लिया ऐतिहासिक फैसला

बड़े घर का सन्नी हो या गरीब परिवार का सोनू सविता हो या रविता। ढाणी ईस्सर का अब हर बच्चा सरकारी स्कूल में शिक्षा ग्रहण करेगा।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sun, 24 Mar 2019 09:18 AM (IST) Updated:Sun, 24 Mar 2019 12:31 PM (IST)
सन्नी हो या सोनू, अब सब सरकारी स्कूल में पढ़ेंगे, इस पंचायत ने लिया ऐतिहासिक फैसला
सन्नी हो या सोनू, अब सब सरकारी स्कूल में पढ़ेंगे, इस पंचायत ने लिया ऐतिहासिक फैसला

फतेहाबाद [मुकेश खुराना]। वाकई काबिलेतारीफ निर्णय। बड़े घर का सन्नी हो या गरीब परिवार का सोनू, सविता हो या रविता। ढाणी ईस्सर का अब हर बच्चा सरकारी स्कूल में शिक्षा ग्रहण करेगा। जिला मुख्यालय से दस किलोमीटर दूर स्थित इस गांव की पंचायत ने बैठक कर ऐतिहासिक निर्णय लिया। इसके लिए बकायदा ढाणी ईस्सर एजुकेशन सोसायटी का गठन किया गया है। गांव का यह निर्णय पूरे प्रदेश में सरकारी स्कूलों के लिए नकारात्मक सोच रखने वालों के समक्ष नजीर है।

'एक पहल सरकारी स्कूल की ओर' अभियान चलाया जाएगा

प्राइवेट स्कूलों का मोहपाश तोडऩे का फैसला ढाणी ईस्सर के करीब 200 घरों के मुखियाओं की रजामंदी से लिया गया है। इसके लिए बाकायदा पंचायत की बैठक बुलाई गई। प्राइवेट स्कूलों में बच्चे भेजने के खिलाफ प्रस्ताव रखा गया। पंचायत ने सर्वसम्मति से यह अभूतपूर्व व अनूठा निर्णय लिया कि वे अपने गांव के करीब 150 बच्चों को शहर के तमाम छोटे-बड़े स्कूलों से हटाकर उन्हें गांव के ही स्कूल में दाखिला दिलाएंगे। सरपंच प्रतिनिधि सुभाषचंद्र की अध्यक्षता में ग्रामीणों ने 'एक पहल सरकारी स्कूल की ओर' नाम से अभियान चलाने पर मुहर लगाई। सरपंच प्रतिनिधि कहते हैं कि बच्चों के भविष्य को देखते हुए यह कदम उठाया गया।

उधर, ग्रामीणों की व्यथा थी कि प्राइवेट स्कूल पैसे तो ऐंठ रहे हैं मगर आडंबर के बीच अच्छी शिक्षा गायब हो रही है। अभिभावकों को खुश रखने के लिए रिजल्ट भी मनमाफिक दिया जा रहा है जबकि सही मायनों में इन बच्चों की शिक्षा कमजोर रह जाती है, इसीलिए ग्रामीणों ने मिलकर ढाणी ईस्सर एजुकेशन सोसाइटी का गठन किया है। यह सोसाइटी गांव के सरकारी स्कूल में निजी स्कूलों की तरह बच्चों को सुविधाएं उपलब्ध करवाने का काम करेगी।

अपने स्तर पर अध्यापक नियुक्त करेगी कमेटी

सोसायटी के सदस्य मोहित सेठी, ओमप्रकाश जाखड़, जोगिन्द्र खिचड़, कृष्ण खिचड़, मास्टर रणधीर सिंह, रिसाल सिंह, राकेश कटारिया, सुबे सिंह, हनुमान सिंह, हरि सिंह ढाका व चरत सिंह ने बताया कि गांव के सरकारी स्कूल में इस समय सात अध्यापकों की आवश्यकता है। इस कमी को पूरा करने के लिए ग्रामीण अपने स्तर पर अध्यापकों की नियुक्ति करेंगे। आने वाले अध्यापकों को अच्छी सैलरी दी जाएगी और शिक्षित अध्यापकों की नियुक्ति की जाएगी। उन्होंने बताया कि अपने स्तर पर ग्रामीण स्कूल का कायाकल्प करने में जुटे हुए हैं।

सुविधाएं जो निजी स्कूलों को देंगी मात

निजी स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूल में हर कक्षा व स्कूल के चारों ओर सीसीटीवी कैमरे लगा दिए गए हैं। स्कूल में जनरेटर, इनवर्टर की सुविधा दी गई है। कंप्यूटर लैब का निर्माण किया गया है और उसमें 22 कंप्यूटर लगाए गए हैं। स्कूल की सफाई व पेंट आदि का काम भी ग्रामीणों द्वारा करवाया जा रहा है।

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