'घर' छोड़ गई प्रियदर्शिनी, अब इंदिरा से ही आस ..

मणिकांत मयंक, फतेहाबाद आठ साल पहले सिर से पति का साया उठ गया था। बच्चे बड़े हो रहे थे। एक कमरा वाले

By Edited By: Publish:Thu, 26 Nov 2015 01:02 AM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2015 01:02 AM (IST)
'घर' छोड़ गई प्रियदर्शिनी, अब इंदिरा से ही आस ..

मणिकांत मयंक, फतेहाबाद

आठ साल पहले सिर से पति का साया उठ गया था। बच्चे बड़े हो रहे थे। एक कमरा वाले कच्चे मकान में छह सदस्यों के साथ निर्वाह करना राजबाला के लिए मुश्किल था। तकरीबन दो साल पहले उसकी उदास आंखों में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सपनों का घर बसा दिया। उन दिनों को यादकर वह बताती है कि कुछ सरकारी मुलाजिम आए और उन्होंने कच्ची व टूटी छत देख भरोसा दिलाया। कहा-प्रियदर्शिनी आवास योजना के तहत मकान बनाने के लिए किश्तों में पैसे दिये जाएंगे। राजबाला कहती है कि कुछ तो आवेदन करने में खुद से देरी हो गई और बाकी बाबुओं की हीलाहवाली के कारण प्रियदर्शिनी उससे दूर छिटक गई।

हालांकि यह किसी एक मजलूम की व्यथा-कथा नहीं है। प्रियदर्शिनी आवास योजना के तहत दो साल में दो लाख गरीब परिवारों को सिर छुपाने के लिए छत का सपना दिखाया गया था। लेकिन लक्ष्य का 40 फीसद भी पूरा नहीं हो सका। वर्ष 2014-15 में तो फतेहाबाद, हिसार, रोहतक, फरीदाबाद, गुड़गांव, कुरुक्षेत्र, महेंद्रगढ़, जींद, अंबाला, करनाल जैसे ग्यारह जिलों में इस योजना से एक भी घर स्वीकृत नहीं हुआ। महज दो साल के लिए आई प्रियदर्शिनी हाशिये पर धकेले गए हजारों गरीबों के लिए घर से नाता तोड़ गई। अब तो उनकी आस इंदिरा आवास योजना से ही पूरी होगी। जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के परियोजना अधिकारी रणजीत ¨सह भी यही कहते हैं कि प्रियदर्शिनी आवास योजना का लाभ उठाने से वंचित राजबाला अथवा अन्य पात्र गरीबों को इंदिरा आवास योजना का लाभ मिलेगा। कारण यह कि इस योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'हाउ¨सग फॉर ऑल' संकल्पना से जोड़ दिया गया है। अहम यह कि 1 अप्रैल, 2016 से यह योजना मिशन मोड में होगी। मिशन भी बहुआयामी। औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। उम्मीद यह कि प्रियदर्शिनी के आंसू इंदिरा पोंछ पाने में सक्षम हो पाएगी। आमीन ।

--यह थी प्रियदर्शिनी आवास योजना (पीएवाई)

तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र ¨सह हुड्डा ने 8 जून, 2013 को करनाल में सौ फीसद राज्य सरकार के सहयोग वाली प्रियदर्शिनी आवास योजना का आगाज किया था। इसके तहत पात्र लाभार्थियों को तीन किश्तों में 81,000+ 9100 (शौचालय के लिए) रुपये की राशि दी जानी थी।

--पीएवाई के क्रियान्वयन पर एक नजर

वित्तीय वर्ष पंजीकृत लाभार्थी स्वीकृत आवास

2013-14 78,847 73,199

2014-15 4,329 2,882

-- ये है इंदिरा आवास योजना (आईएवाई)

तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने वर्ष 1985 में ग्रामीण गरीबों के लिए अपनी मां के नाम इंदिरा आवास योजना को लांच किया था। 75 फीसद केंद्र सरकार तो 25 फीसद राशि राज्य सरकार देती है। 45 हजार से शुरू हुई राशि 1 लाख, 3 हजार, 350 रुपये जा पहुंची है। इसमें लेबर कॉस्ट के तौर पर 22,500 रुपये मनरेगा से जोड़े गए हैं।

--ये हैं पिछले पांच सालों में आईएवाई लाभार्थी

वित्तीय वर्ष लाभार्थियों की संख्या

2010-11 18,068

2011-12 17,764

2012-13 18,211

2013-14 18,667

2014-15 27,269

--आइएवाइ से जुड़ेगी प्राथमिकता

ग्रामीण विकास अभिकरण के उच्चाधिकारी अरुण कुमार बताते हैं कि इस योजना को मिशन मोड़ में तो लाया ही जा रहा है, इसमें सरकार प्राथमिकता भी तय करने जा रही है। तात्पर्य यह कि जो सबसे गरीब होगा, उसे पहले घर मिलेगा। प्राथमिकता तय करने की प्रक्रिया चल रही है। यही नहीं, विधायक ग्राम आदर्श योजना तथा स्वप्रेरित ग्राम आदर्श योजना में भी इंदिरा आवास योजना को शामिल किया जाएगा।

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