स्मृतियां सहेजने में अहम भूमिका निभा रहे हैं वासुदेव जी

स्वर्ग सिधार चुके लोगों की स्मृतियां सहेजने को महाराष्ट्र के वासुदेव अहम भूमिका निभा रहे हैं। भगवान श्री कृष्ण जी के पिता के रूप में महाराष्ट्र में संत समाज से जुड़े करीब दो हजार लोग हैं, जो गुरू की महिमा का गान करके अपने घर-परिवार का खर्च चला रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 01 Feb 2019 06:27 PM (IST) Updated:Fri, 01 Feb 2019 06:27 PM (IST)
स्मृतियां सहेजने में अहम भूमिका 
निभा रहे हैं वासुदेव जी
स्मृतियां सहेजने में अहम भूमिका निभा रहे हैं वासुदेव जी

अनिल बेताब, फरीदाबाद : स्वर्ग सिधार चुके लोगों की स्मृतियां सहेजने को महाराष्ट्र के वासुदेव अहम भूमिका निभा रहे हैं। भगवान श्री कृष्ण जी के पिता के रूप में महाराष्ट्र में संत समाज से जुड़े करीब दो हजार लोग हैं, जो गुरु की महिमा का गान करके अपने घर-परिवार का खर्च चला रहे हैं।

महाराष्ट्र में जब कोई स्वर्ग सिधार जाता है तो संस्कार की सारी क्रियाएं पूरी होने के बाद वासुदेव उनके घर पहुंच जाते हैं। इस दौरान स्वर्गीय को नमन करने के साथ ही गुरु वंदना प्रस्तुत करते हैं, भजन गाते हैं। संदेश देते हैं कि गुरु के बिना गति नहीं है, मां के बिना प्यार नहीं है, पत्नी के बिना संसार नहीं है और वासुदेव को दान दिए बिना उद्धार नहीं है। इसके बाद मृतक के परिजन वासुदेव को दान देकर विदा करते हैं।

सूरजकुंड मेले में अकोला जिले से आए हैं रामराव गुलाबराव

राम राव गुलाब राव वासुदेव कहते हैं कि पंडरपुर, सोलापुर में भगवान विठ्ठल का मंदिर है। यहां कार्तिक पूर्णिमा को विशाल मेला लगता है। मेले में साधु-संत आते हैं। यहां भगवान विठ्ठल की पूजा की जाती है। भगवान विठ्ठल को कृष्ण जी का ही रूप माना जाता है। रामराव गुलाब राव वासुदेव कहते हैं कि उन्हें महाराष्ट्र सरकार की ओर से हर महीने 1500 रुपये सहयोग राशि दी जाती है। इस राशि को बढ़ाया जाना चाहिए।

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