EXCLUSIVE: सिर्फ 3 घंटे 30 मिनट में गुजरात से फरीदाबाद पहुंचा बोन मैरो, मिली एक को जिंदगी

सर्वोदय हॉस्पिटल फरीदाबाद में पहली बार बोन मैरो सेल को किसी अन्य जगह से लाकर प्रत्यारोपित किया गया।

By JP YadavEdited By: Publish:Tue, 19 Nov 2019 08:58 AM (IST) Updated:Tue, 19 Nov 2019 12:14 PM (IST)
EXCLUSIVE: सिर्फ 3 घंटे 30 मिनट में गुजरात से फरीदाबाद पहुंचा बोन मैरो, मिली एक को जिंदगी
EXCLUSIVE: सिर्फ 3 घंटे 30 मिनट में गुजरात से फरीदाबाद पहुंचा बोन मैरो, मिली एक को जिंदगी

फरीदाबाद [सुशील भाटिया]। सोमवार 18 नवंबर की रात अन्य लोगों के लिए तो सामान्य रात ही थी, परंतु 18 वर्ष के एक युवा के लिए बड़ी महत्वपूर्ण थी, जिसका इलाज सर्वोदय हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर में एएलएल (Acute Lymphocytic Leukemia) नामक ब्लड कैंसर के लिए चल रहा था। इस युवक के लिए सर्वोदय हॉस्पिटल, फरीदाबाद में पहली बार बोन मैरो सेल को किसी अन्य जगह से लाकर प्रत्यारोपित किया गया। बोन मैरो को लगभग साढ़े तीन घंटे (3.34) में ही अपोलो हॉस्पिटल, अहमदाबाद से बिना किसी नुकसान के सर्वोदय हॉस्पिटल फरीदाबाद तक पहुंचाया गया। इस प्रक्रिया में विशेषकर अपोलो हॉस्पिटल अहमदाबाद, दात्री संस्था, एयरपोर्ट अथॉरिटी और ट्रैफिक पुलिस ने बोन मैरो ट्रांसप्लांट को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।

ज्ञात हो कि बोन मैरो के सेल्स बहुत ही संवेदनशील होते हैं और किसी भी प्रकार के स्कैन या एक्स रे किरणों से प्रभावित होकर खराब हो सकते हैं, इसलिए उनको एक जगह से दूसरी जगह तक ले जाने के लिए विशेष एहतिहात बरतने की जरूरत होती है। साथ ही, इनके जल्दी प्रत्यारोपित नहीं करने की अवस्था में जल्दी खराब होने का खतरा रहता है। ऐसे में दूर किसी स्थान पर ले जाने की स्थिति में हवाई मार्ग का सहारा लिया जाता है।चूंकि हवाई मार्ग से सफर करने पर एयरपोर्ट चेकिंग में एक्स-रे व अन्य स्कैनिंग उपकरणों का सहारा लिया जाता है, इसलिए इस प्रकार के आवागमन की लिखित जानकारी संबंधित विभागों में पहले से ही दे दी गई, ताकि बोन मैरो समय रहते बिना किसी क्षति के सही जगह पर पहुंच कर प्रत्यारोपित किया जा सके। सर्वोदय हॉस्पिटल के कैंसर रोग एवं बोन मैरो ट्रांसप्लांट विभाग के वरिष्ठ विषेशज्ञ डॉ. सुमंत गुप्ता की अध्यक्षता में एक टीम ने इसे रात 12 बजकर 55 मिनट पर हॉस्पिटल पहुंचाया।

डॉ. सुमंत गुप्ता के बताया कि पहले से तय रणनीति के तहत मरीज को कीमोथेरपी देकर स्टेबल किया गया और फिर आधुनिक टीबीआइ (Total Body Irradiation ) तकनीक से विशेष रेडिएशन देकर बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए तैयार किया गया। आमतौर पर ब्लड कैंसर का कोई भी रूप इलाज नहीं करवाने की अवस्था में जानलेवा साबित हो सकता है, परंतु आधुनिक तकनीक और इलाज से मरीज को किसी भी स्टेज के ब्लड कैंसर से बचाया जा सकता है, इसलिए जरूरत होती है कि मरीज शुरुआती स्टेज में ही इलाज करवाना शुरू दे।

सर्वोदय हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ. राकेश गुप्ता ने डॉ. सुमंत गुप्ता और उनकी पूरी टीम को बधाई देते हुए बताया कि दिल्ली-एनसीआर के गिने-चुने हॉस्पिटल में ही यह सुविधा उपलब्ध है। अब इस सफल ऑपरेशन के बाद फरीदाबाद भी मेडिकल मानचित्र पर उन संस्थानों की सूची में उभरेगा, जहां यह सुविधा मौजूद होगी। आमतौर पर बोन मैरो सेल्स सिर्फ मरीज के परिजनों से लिए जाने तक ही सीमित होती थी, परंतु इस केस में मरीज और डोनर दोनों के बीच कोई संबंध नहीं था। बोन मैरो दान करने वाले और बोन मैरो ग्रहण करने वाले दोनों ही व्यक्तियों के नाम गुप्त रखे हुए हैं, इसलिए भविष्य में भी इस सुविधा की मदद से इलाज के नए विकल्प उपलब्ध हो पाएंगे। डॉ. राकेश गुप्ता के अनुसार, सर्वोदय में हमारी कोशिश रहती है कि विश्व स्तरीय तकनीक को अपनाकर अपने मरीजों को बेहतर इलाज दे सकें।

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