लॉटरी घोटाले में और शिकायतें आईं सामने

जासं, फरीदाबाद: लॉटरी कंपनी बनाकर हुए 22 करोड़ रुपये के घोटाले मामले में नई शिकायतें सामने आई हैं। गांव खेड़ी कलां निवासी सिपेंद्र, दिलावर और गांव सिही निवासी दिलावर ने पुलिस आयुक्त को शिकायत दी है। शिकायत के अनुसार इन तीनों ने भी हेलो डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी में करीब 29 लाख रुपये लोगों से एकत्र करके लगाए थे। इन्हें हर महीने इनाम निकलने का झांसा देकर लोगों से एक-एक हजार रुपये एकत्र कर कंपनी में लगाने को कहा गया था। बाद में ना तो इनाम ही दिया और ना ही रुपये

By JagranEdited By: Publish:Wed, 19 Sep 2018 05:47 PM (IST) Updated:Wed, 19 Sep 2018 05:47 PM (IST)
लॉटरी घोटाले में और 
शिकायतें आईं सामने
लॉटरी घोटाले में और शिकायतें आईं सामने

जासं, फरीदाबाद : लॉटरी कंपनी बनाकर हुए 22 करोड़ रुपये के घोटाले मामले में नई शिकायतें सामने आई हैं। गांव खेड़ी कलां निवासी सिपेंद्र, दिलावर और गांव सिही निवासी दिलावर ने पुलिस आयुक्त को शिकायत दी है। शिकायत के अनुसार इन तीनों ने भी हैलो डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी में करीब 29 लाख रुपये लोगों से एकत्र करके लगाए थे। इन्हें हर महीने इनाम निकलने का झांसा देकर लोगों से एक-एक हजार रुपये एकत्र कर कंपनी में लगाने को कहा गया था। बाद में ना तो इनाम ही दिया और ना ही रुपये वापस लौटाए। पुलिस आयुक्त ने शिकायत को जांच के लिए भेजा है।

बता दें कि कोतवाली थाने में 12 दिसंबर 2017 को दर्ज मामले के अनुसार गांव जाजरू के शेखर, कौराली के दीपक, सुनपेड़ के विजय और लहडौली के राजेंद्र मामले ने बताया कि गांव जटौली पलवल निवासी भीष्म चौहान, न्यू कॉलोनी पलवल निवासी विशाल बेनिवाल और खड़क ¨सह, ओमैक्स हाइट्स पलवल निवासी तरुण चौहान और गांव मोहना बल्लभगढ़ के सुरेंद्र अत्री ने हैलो डिस्ट्रिब्यूशन प्रा.लि.नाम से एक कंपनी बनाई थी। इनाम का लालच देकर करीब 21 हजार सदस्य बनाए गए। उनसे हर महीने एक-एक हजार रुपये की किस्तें ली और आखिर में आरोपित सारा पैसा समेटकर फरार हो गए थे। इस मामले में 6 दिसंबर को गांव प्याला निवासी रोहित आत्महत्या कर चुका है। उसने भी अपने कुछ जानकारों के करीब आठ लाख रुपये इस लॉटरी कंपनी में लगवा दिए थे। जांच में पुलिस ने पाया है कि यह करीब 22 करोड़ का घोटाला है। करीब 21 हजार लोग इससे जुड़े थे। इस मामले में आठ महीने में सात बार जांच एजेंसी बदनले के बाद पुलिस आयुक्त ने 4 सितंबर को एसआइटी गठित की। मगर एसआइटी भी अब धीमी चाल चल रही है। दो हफ्ते से अधिक समय बीतने के बाद भी एसआइटी इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठा सकी है।

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