धान की पराली को जलाना नहीं बल्कि बचाना है : डीसी

जिला उपायुक्त यशपाल यादव ने कहा कि धान की पराली जलाने की बजाय बचानी है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Oct 2020 06:22 PM (IST) Updated:Wed, 21 Oct 2020 06:22 PM (IST)
धान की पराली को जलाना 
नहीं बल्कि बचाना है : डीसी
धान की पराली को जलाना नहीं बल्कि बचाना है : डीसी

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : जिला उपायुक्त यशपाल यादव ने कहा कि हमें पर्यावरण संरक्षण और किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए धान की पराली को जलाने की बजाए उसका संरक्षण करना होगा। इससे हमें पशुओं के लिए चारा भी मिलेगा और खेतों के लिए अच्छी खाद। उपायुक्त बुधवार को गांव चंदावली में जिला स्तरीय किसान जागरूकता शिविर में किसानों को संबोधित कर रहे थे। शिविर में सभी सरपंचो व प्रगतिशील किसानों को आमंत्रित किया गया था।

उपायुक्त ने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों को व्यक्तिगत कृषि यंत्र पर 50 प्रतिशत व किसान समूह को 80 प्रतिशत तक अनुदान सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। इनमें हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, रिपर बाईंडर, स्ट्रा मल्चर, स्ट्रा चापर और जीरो टीलेज मशीन शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन कृषि यंत्रों का प्रयोग कर हम धान की पराली को बचा सकते हैं। उन्होंने किसानों को पराली जलाने से होने वाले जीव जंतुओं की सेहत पर बुरे असर की जानकारी भी दी। इस दौरान कृषि वैज्ञानिक डा. लक्षमण व डा. रेखा दहिया ने किसानों को पराली को पशु के चारा के रूप में उपयोग में लाने की सलाह दी।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एसडीओ ओमकार सिंह ने बताया की फसल अवशेष जलाने पर किसान का चालान व एफआइआर भी की जा सकती है। इसके लिए 2500 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से जुर्माने के प्रावधान हैं। उपकृषि निदेशक डा. अनिल कुमार ने बताया कि फसल अवशेष जलाने से ग्लोबल वार्मिंग होती है।

chat bot
आपका साथी