संशोधित---बिल्डर के सताए लोग खुद प्रोजेक्ट पूरा करने को आगे आए

नहरपार आवासीय क्षेत्र में बिल्डर के सताए हुए परेशान निवेशक अब रेरा (रियल एस्टेट विनियमन और विकास अधिनियम) की अदालत में केस दायर करेंगे। वहां अदालत से मांग की जाएगा कि अब बचे हुए प्रोजेक्ट को वे खूद पूरा करना चाहते हैं। इस तरह के दो-तीन केसों में रेरा की अदालत अनुमति दे चुकी है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Oct 2019 05:37 PM (IST) Updated:Wed, 16 Oct 2019 06:18 AM (IST)
संशोधित---बिल्डर के सताए लोग खुद प्रोजेक्ट पूरा करने को आगे आए
संशोधित---बिल्डर के सताए लोग खुद प्रोजेक्ट पूरा करने को आगे आए

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : नहरपार आवासीय क्षेत्र में बिल्डर के सताए हुए परेशान निवेशक अब हरेरा (हरियाणा रियल एस्टेट विनियमन और विकास अधिनियम) की अदालत में केस दायर करेंगे। वहां अदालत से मांग की जाएगा कि अब बचे हुए प्रोजेक्ट को वे खुद पूरा करना चाहते हैं। इस तरह के दो-तीन केसों में हरेरा की अदालत अनुमति दे चुकी है।

सेक्टर-80 में ढींगरा जार्डिन आरडब्ल्यूए के प्रधान वीरेंद्र अधाना के अनुसार 13 साल बाद भी करीब 600 से अधिक लोगों को आशियाने का इंतजार है। 2006 में बिल्डर के इस प्रोजेक्ट में निवेश करने के बाद आज भी हाथ खाली हैं। यहां जिन 50 लोगों को फ्लैट मिले हैं, वे मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे हैं। शासन-प्रशासन को कई शिकायतें देने के बावजूद समाधान नहीं हो सका है।

सबरबियन ब्लॉक की चार-चार मंजिला इमारतों में कुल 160 फ्लैट हैं। इनमें से 50 को ही फ्लैट मिल सके हैं। जैमनी ब्लॉक में 128 फ्लैट तैयार हैं, पर कब्जे का इंतजार है। टॉवर सी, डी और ई में 375 से अधिक फ्लैट हैं, पर अभी अधूरे पड़े हुए हैं। ग्लोरिया ब्लॉक में भी फ्लैट अधूरे हैं। वे सभी बिल्डर को 80 से 100 फीसद तक भुगतान कर चुके हैं। यहां मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। बिजली का अस्थायी कनेक्शन लिया हुआ है जिसका बिल बहुत अधिक आता है क्योंकि बिल्डर बात नहीं करता और न ही पर्याप्त दस्तावेज देता है जिससे स्थायी कनेक्शन लिया जा सका।

अधाना ने बताया कि अब वे ऐसे सभी निवेशकों को इकट्ठा कर रहे हें जो दिल्ली एनसीआर में रहते हैं ताकि सभी एक साथ अपना पक्ष रख सकें। फिलहाल उनकी एसोसिएशन से 125 सदस्य जुड़ चुके हैं। अब उन्हें हरेरा की अदालत से न्याय मिलने की उम्मीद है।

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