अम्मा मेरी रंग भरा जी, ए जी कोई आई है हरियाली तीज

अम्मा मेरी रंग भरा जी ए जी कोई आई हैं हरियाली तीज घर-घर झूला झूलें कामिनी जी बन-बन मोर पपीहा बोलता जी जैसे लोकगीतों पर महिलाओं ने अपने घरों के अंदर झूला डाल कर झूलने की परंपरा निभाई। ऐसा ही नजारा यहां मेन बाजार में पवन वर्मा के घर पर देखने को मिला। उनके परिवार की तरफ से प्रियंका वर्मा वंदना वर्मा पूनम वर्मा सरोज वर्मा और पायल वर्मा झूला पर झूलती हुई मिली।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 Jul 2020 07:24 PM (IST) Updated:Thu, 23 Jul 2020 07:24 PM (IST)
अम्मा मेरी रंग भरा जी, ए जी कोई आई है हरियाली तीज
अम्मा मेरी रंग भरा जी, ए जी कोई आई है हरियाली तीज

जागरण संवाददाता, बल्लभगढ़ : 'अम्मा मेरी रंग भरा जी, ए जी कोई आई है हरियाली तीज, घर-घर झूला झूलें कामिनी जी, बन-बन मोर पपीहा बोलता जी' जैसे लोकगीतों पर महिलाओं ने अपने घरों के अंदर झूला डाल कर झूलने की परंपरा निभाई। ऐसा ही नजारा यहां मेन बाजार में पवन वर्मा के घर पर देखने को मिला। उनके परिवार की तरफ से प्रियंका वर्मा, वंदना वर्मा, पूनम वर्मा, सरोज वर्मा और पायल वर्मा झूला पर झूलती हुई मिलीं।

इन महिलाओं ने बताया कि हर वर्ष वे नाहर सिंह पार्क में झूला-झूलने के लिए जाती थीं, लेकिन इस बार कोरोना महामारी आई हुई है, जिसके चलते घर से बाहर जाने में ही डर लगता है। अब बीमारी की वजह से घर के अंदर भी मास्क लगाकर रहते हैं। हर वर्ष खुले आसमान के नीचे पेड़ों पर झूल डाल कर झूलने का मजा ही अलग आता है। इस बार मकान के अंदर ऐसा माहौल नहीं बन पाया, लेकिन प्रकृति के सामने सभी घरों के अंदर रहने को विवश हैं। घर पर रह कर पकवान कचौड़ी, पकौड़े, समोसे, घेवर बनाए। बाजार से कोई भी खाने का सामान नहीं मंगाया। प्रशासन ने शहर में और गांवों में तीज के मौके पर झूला झूलने से पूरी तरह से मना किया हुआ था। धार्मिक ²ष्टि से तीज का खास महत्व

प्रियंका वर्मा ने बताया कि शिव महापुराण और पौराणिक परंपराओं के अनुसार मां पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या की थी। महादेव ने सावन के महीने में अमावस्या के बाद तीज के दिन मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। महिला तीज के दिन पूजा करके और व्रत रख कर सुहागन रहने की कामना करती हैं।

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