कारगिल विजय दिवस पर विशेष : भारतीय सैनिकों की वीरता, दक्षता को विश्व भर में मिली पहचान : कर्नल पिल्लई

सचिन गुप्ता, चरखी दादरी : कुर्बानियों में सबसे ऊंचा स्तर यदि किसी बात का है तो वह है प्राण

By JagranEdited By: Publish:Thu, 26 Jul 2018 12:45 AM (IST) Updated:Thu, 26 Jul 2018 12:45 AM (IST)
कारगिल विजय दिवस पर विशेष : भारतीय सैनिकों की वीरता, दक्षता को विश्व भर में मिली पहचान :  कर्नल पिल्लई
कारगिल विजय दिवस पर विशेष : भारतीय सैनिकों की वीरता, दक्षता को विश्व भर में मिली पहचान : कर्नल पिल्लई

सचिन गुप्ता, चरखी दादरी :

कुर्बानियों में सबसे ऊंचा स्तर यदि किसी बात का है तो वह है प्राणों की कुर्बानी का। हमारे देश के सैनिक भारत की रक्षा के लिए अपनी जान की कुर्बानी देने को हर समय तैयार रहते है। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण सन 1999 में कारगिल युद्ध में आप्रेशन विजय के दौरान देखने को मिला था। यह कहना है सेना भर्ती कार्यालय दादरी के निदेशक कर्नल अजीत कुमार पिल्लई का।

कर्नल अजीत कुमार पिल्लई ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में बताया कि कारगिल में विजय प्राप्त किए हुए आज पूरे 19 वर्ष हो गए। इस विजयी यज्ञ में पूरे देश के 527 सैनिकों ने अपने प्राणों का आहुतियां दी थी। जिनमें अकेले हरियाणा से करीब 41 जवान शहीद हुए थे। कर्नल पिल्लई ने बताया कि कारगिल युद्ध के बाद ही शहीद विधवाओं व उनके आश्रितों को मिलने वाली सुविधाओं को लेकर बनाई गई नीतियों में भी सकारात्मक बदलाव किए गए थे। उन्होंने बताया कि कारगिल युद्ध में शहीद हुए भारतीय सेना के जवानों के जीवन से प्रेरणा लेते हुए आज युवाओं का सेना की तरफ रुझान बढ़ता जा रहा है। कर्नल पिल्लई के अनुसार वर्तमान में भारतीय सेना में हरियाणा के युवाओं का जज्बा काबिल-ए-तारीफ है। उन्होंने बताया कि हरियाणा के सैनिकों की शारीरिक दक्षता अन्य सभी प्रदेशों के सैनिकों के मुकाबले काफी आगे है। पिल्लई के अनुसार हरियाणा से संबंध रखने वाले सैनिक युद्ध कौशल, हिम्मत, वीरता के क्षेत्र में सबसे अव्वल है। जिस भी बटालियन में हरियाणा के सैनिक है, उन बटालियन्स का नाम काफी अच्छा है। सेना भर्ती कार्यालय के निदेशक कर्नल एके पिल्लई ने बताया कि यहां से भर्ती होकर जाने वाले सैनिकों के बारे में ट्रे¨नग सेंटरों से भी काफी सराहनीय प्रतिक्रिया प्राप्त होती है। चाहे वह देश सेवा की बात हो या चाहे खेलों की। सभी क्षेत्रों में हरियाणा के सैनिक अपनी पहचान बना रहे है। शहीदों के बच्चे भी हो रहे भर्ती

सेना भर्ती कार्यालय निदेशक कर्नल अजीत पिल्लई ने बताया कि कारगिल युद्ध में 12 जून 1999 को शहीद हुए 2 राजपूताना राईफल में तैनात लांस नायक बच्चन ¨सह के बेटे हितेश ने अपने पिता की शहादत के पूरे 19 साल बाद 11 जून 2018 को 2 राजपूताना राईफल में कमीशन प्राप्त कर देश सेवा का प्रण लिया। हरियाणा के युवा बना रहे पहचान

कर्नल अजीत कुमार पिल्लई ने कहा कि वर्तमान में हरियाणा के युवा सेना में अपनी काफी अच्छी पहचान बना रहे है। उन्होंने कहा कि हाल ही में भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से पा¨सग आऊट परेड में 636 में से अकेले हरियाणा से 62 आफिसर पासआउट हुए। उन्होंने बताया कि यह हरियाणा के युवाओं ने अपनी प्रतिभा के बलबूते पर ही इस पासआउट परेड़ में स्वर्ण व रजत पदक पर भी कब्जा जमाया। बहादुरों की वजह से सेना अव्वल

कर्नल एके पिल्लई ने कहा कि वर्तमान में बहादुर सैनिकों के दम पर भारतीय सेना दूसरे देशों की सेनाओं के मुकाबले काफी आगे है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय सैनिकों ने अपनी विशेष पहचान बनाई है। चाहे वह शांति सेना में कार्यरत हो या कहीं और। उन्होंने कहा कि जाबांज सैनिकों की वजह से ही भारतीय सेना की दक्षता अन्य देशों से अग्रणी मानी जा रही है।

भर्ती कार्यालयों का अहम योगदान

कर्नल पिल्लई के अनुसार भारतीय सेना को अव्वल बनाने में सेना भर्ती कार्यालयों का काफी अहम योगदान है। सेना भर्ती कार्यालय का सिद्धांत भी सेलेक्ट द बेस्ट है। जिसके आधार पर ही भर्ती कार्यालयों में पूरी पारदर्शिता, ईमानदारी से केवल मेहनती व निष्ठावान युवाओं को ही सेना में भर्ती किया जाता है।

chat bot
आपका साथी