कार्तिक माह की हिदू धर्म में है खास महिमा.

जागरण संवाददाता भिवानी कार्तिक माह की शुरूआत शरद पूर्णिमा से होती है और अंत होता ह

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 05:19 AM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 05:19 AM (IST)
कार्तिक माह की हिदू धर्म में है खास महिमा.
कार्तिक माह की हिदू धर्म में है खास महिमा.

जागरण संवाददाता, भिवानी : कार्तिक माह की शुरूआत शरद पूर्णिमा से होती है और अंत होता है कार्तिक पूर्णिमा या देव दीपावली से। यह बात जहरगिरि आश्रम के महंत अशोकगिरि ने श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने बताया कि इस बीच करवा चौथ, अहोई अष्टमी, रमा एकादशी, गौवत्स द्वादशी, धनतेरस, रूप चतुर्दशी, दीवाली, गोवर्धन पूजा, भैया दूज, सौभाग्य पंचमी, छठ, गोपाष्टमी, आंवला नवमी, देव एकादशी, बैकुंठ चतुर्दशी, कार्तिक पूर्णिमा या देव दीपावली को बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दौरान देव उठानी या प्रबोधिनी एकादशी 25 नवम्बर का विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा के पश्चात उठते हैं। इस दिन के बाद से सारे मांगलिक कार्य शुरू किए जाते हैं।

उन्होंने बताया कि कार्तिक महीने का हिन्दू धर्म में खास महत्व है। यह मास शरद पूर्णिमा से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा पर खत्म होता है। इस महीने में दान, पूजा-पाठ तथा स्नान का बहुत महत्व होता है तथा इसे कार्तिक स्नान की संज्ञा दी जाती है। यह स्नान सूर्योदय से पूर्व किया जाता है। स्नान कर पूजा-पाठ को खास अहमियत दी जाती है। साथ ही देश की पवित्र नदियों में स्नान का खास महत्व होता है। इस दौरान घर की महिलाएं नदियों में ब्रह्ममूहुर्त में स्नान करती हैं। यह स्नान विवाहित तथा कुंवारी दोनों के लिए फलदायी होता है। इस महीने में दान करना भी लाभकारी होता है। दीपदान का भी खास विधान है। यह दीपदान मंदिरों, नदियों के अलावा आकाश में भी किया जाता है। यही नहीं ब्राह्मण भोज, गाय दान, तुलसी दान, आंवला दान तथा अन्न दान का भी महत्व होता है।

अशोकगिरि ने कहा कि हिन्दू धर्म में इस महीने में कुछ परहेज बताए गए हैं। कार्तिक स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को इसका पालन करना चाहिए। इस मास में धूम्रपान निषेध होता है। यही नहीं लहुसन, प्याज और मांसाहर का सेवन भी वर्जित होता है। इस महीने में भक्त को बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए उसे भूमि शयन करना चाहिए। इस दौरान सूर्य उपासना विशेष फलदायी होती है। साथ ही दाल खाना तथा दोपहर में सोना भी अच्छा नहीं माना जाता है।

महंत ने बताया कि कार्तिक महीने में तुलसी की पूजा का खास महत्व है। ऐसा माना जाता है कि तुलसी जी भगवान विष्णु की प्रिया हैं। तुलसी की पूजा कर भक्त भगवान विष्णु को भी प्रसन्न कर सकते हैं। इसलिए श्रद्धालु गण विशेष रूप से तुलसी की आराधना करते हैं। उन्होंने कहा कि इस महीने में स्नान के बाद तुलसी तथा सूर्य को जल अर्पित किया जाता है तथा पूजा-अर्चना की जाती है। यही नहीं तुलसी के पत्तों को खाया भी जाता है जिससे शरीर निरोगी रहता है। साथ ही तुलसी के पत्तों को चरणामृत बनाते समय भी डाला जाता है। यही नहीं तुलसी के पौधे का कार्तिक महीने में दान भी दिया जाता है। उन्होंने बताया कि तुलसी के पौधे के पास सुबह-शाम दीया भी जलाया जाता है। अगर यह पौधा घर के बाहर होता है तो किसी भी प्रकार का रोग तथा व्याधि घर में प्रवेश नहीं कर पाते हैं। तुलसी अर्चना से न केवल घर के रोग, दुख दूर होते हैं बल्कि अर्थ, धर्म, काम तथा मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।

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