गांव तक नहीं थी स्कूल बस, स्कूटर पर छोड़ने आते थे पिता, अब बेटा सिविल सर्विसेज में हुआ सफल

गांव तक नहीं थी स्कूल बस स्कूटर पर छोड़ने आते थे पिता अब बेटा सिविल सर्विसेज में हुआ सफल

By JagranEdited By: Publish:Wed, 10 Apr 2019 12:26 AM (IST) Updated:Wed, 10 Apr 2019 12:26 AM (IST)
गांव तक नहीं थी स्कूल बस, स्कूटर पर छोड़ने आते थे पिता, अब बेटा सिविल सर्विसेज में हुआ सफल
गांव तक नहीं थी स्कूल बस, स्कूटर पर छोड़ने आते थे पिता, अब बेटा सिविल सर्विसेज में हुआ सफल

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : हाल ही में घोषित हुए सिविल सर्विस परीक्षा के परिणाम में 371वां रैंक लेकर सफल होने वाले कुलासी गांव के आशीष शर्मा और उनके माता-पिता को मंगलवार को जब सैनिक पब्लिक स्कूल में सम्मानित किया तो हर कोई 15 साल पहले का वाक्या याद कर भावुक हो उठा। यह वह समय था जब आशीष इसी स्कूल में पढ़ते थे। गांव तक बस नहीं थी। ऐसे में उनके पिता उन्हें स्कूटर पर छोड़ने आते थे। उनका खुद का ड्यूटी पर पहुंचने का समय तो बाद का था, मगर बच्चों की पढ़ाई के लिए दो घंटे पहले घर से निकलते थे।

आशीष शर्मा ने अपनी सफलता से न केवल परिवार और गांव बल्कि स्कूल का नाम भी रोशन कर दिया। आशीष और उनके माता-पिता का स्कूल में स्वागत हुआ। इस दौरान आशीष ने बच्चों के साथ अपने अनुभव भी साझा किए। स्कूल संचालक बीएल भारद्वाज ने बताया कि 15 वर्ष पहले जब कुलासी गांव तक स्कूल बस की सुविधा नहीं थी तब आशीष के पिता उन्हें स्कूल छोड़ने आते थे। वे यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में कार्यरत होने के कारण बैंक का समय तो 10 बजे का था, मगर अपने बेटे और बेटी को स्कूल छोड़ने के लिए सुबह आठ बजे ही घर से निकल आते थे। ऐसे में मंगलवार को जब वे स्कूल प्रांगण में पहुंचे तब वही ²श्य याद आ गया। वे स्वयं को बहुत ही खुश और गौरवान्वित महसूस कर रहे थे। स्कूल संचालक ने कहा कि बहादुरगढ़ के एक छोटे से गांव का यह होनहार बालक आज कामयाबी के इस मुकाम पर अच्छी शिक्षा और कड़ी मेहनत से पहुंचा है। बीएल भारद्वाज व उषा भारद्वाज ने उनका शॉल और फूलों के गुलदस्ते से

स्वागत किया। आशीष के चचेरे भाई व चचेरी बहन आज दिल्ली में डॉक्टर हैं। विद्यालय की सिल्वर जुबली के समय उनके पिता को सर्वश्रेष्ठ अभिभावक के तौर पर सम्मानित किया गया था।

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