फसल अवशेषों को जलाने की बजाय करे उनका उचित प्रबंध, बढ़ेगी मिट्टी की उपजाऊ शक्ति
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: उपमंडल में ज्यादातर क्षेत्र में गेहूं व धान का फसल चक्र अपनाया ज
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़:
उपमंडल में ज्यादातर क्षेत्र में गेहूं व धान का फसल चक्र अपनाया जाता है। इसमें कुछ किसान अपने खेतों में धान या गेहूं की कंबाइन आदि से कटवाने के बाद फसलों के अवशेषों को जला देते हैं। इनके जलने से मिट्टी में उपस्थित सूक्ष्म जीवाणु व अन्य मित्र कीट नष्ट हो जाते हैं तथा मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती हैं। फसल अवशेषों के जलने से उत्पन्न धुएं से स्वास संबंधित अनेक बीमारिया उत्पन्न होती हैं। यह धुआ कई बार घातक व जानलेवा भी साबित हो जाता है। इसीलिए इन फसल अवशेषों को जलाने से रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा 'यथावत फसल अवशेष प्रबंधन' एक विशेष योजना तैयार की गई है। इसमें फसल अवशेषों को खेत में ही विभिन्न कृषि यंत्रों द्वारा मिट्टी में मिला दिया जाता है या दबा दिया जाता है।
इस योजना के तहत सुपर एसएमएस, हैप्पी सीडर, पेडी स्ट्रा मल्चर, श्रुब मास्टर, हाइड्रोलिक आरएमबी प्लो, रोटरी सलेसर, जीरो टिलेज रोटावेटर पर पराली प्रबंधन के लिए किसानों को 50 फीसद की सब्सिडी तथा किसानों के समूह को कस्टम हाइरिंग केद्रों की स्थापना के लिए 80 फीसद तक सब्सिडी दी गई है। इसके बारे में किसानों को जागरूक करने के लिए जिला स्तरीय, खंड स्तरीय व ग्राम स्तरीय किसान जागरूकता शिविर लगाए जा रहे हैं। इसके अंतर्गत बहादुरगढ़ उपमंडल में कम से कम 40 हेक्टेयर धान की फसल उगाने वाले 45 गावों में 6 सितंबर से 30 अक्टूबर तक किसान जागरूकता शिविर लगाए जा रहे हैं। इन शिविरों के माध्यम से किसानों को गेहूं व धान की फसल को कंबाइन से कटवाने के बाद शेष बचे फसल अवशेषों को नही जलाने व यथावत फसल अवशेष प्रबंधन करने के लिए प्रेरित व जागरूक किया जा रहा है। फसल अवशेष को यथावत खेत में ही प्रबंध करने के लिए विभिन्न उपकरणों के बारे में बताया जा रहा है। किसान कस्टम हायरिंग केंद्र से किसी भी कृषि यंत्र को किराए पर लेकर खेत में फसल अवशेषों का प्रबंधन कर सकता है। फिर भी यदि कोई किसान फसल अवशेषों को जलाता है तो सरकार द्वारा 250 रुपये से लेकर 15000 रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है।
----डा. सुनील कौशिक, उपमंडल कृषि अधिकारी, बहादुरगढ़।