नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ छठ उत्सव

छठ उत्सव रविवार को नहाय खाय के साथ शुरू हो गया। चार दिनों तक चलने वाले उत्सव में अब सूर्य को पहला अ‌र्घ्य देने की तैयारियां चल रही हैं। कई स्थानों पर इस पूजा के लिए व्यवस्था की गई।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 11 Nov 2018 05:41 PM (IST) Updated:Sun, 11 Nov 2018 11:45 PM (IST)
नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ छठ उत्सव
नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ छठ उत्सव

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :

छठ उत्सव रविवार को नहाय खाय के साथ शुरू हो गया। चार दिनों तक चलने वाले उत्सव में अब सूर्य को पहला अ‌र्घ्य देने की तैयारियां चल रही हैं। कई स्थानों पर इस पूजा के लिए व्यवस्था की गई।

पूर्वाचल से जुड़े हजारों परिवार इस समय बहादुरगढ़ में रहते हैं। ऐसे में इस पर्व को लेकर यहां खूब चहल-पहल बनी हुई है। रविवार को छठ उत्सव की शुरुआत होते ही घर-घर में धार्मिक माहौल बन गया। नहाय खाय के साथ निर्जला उपवास शुरू हुआ।

बाजारों में बढ़ी भीड़

चार दिवसीय इस उत्सव की लड़ी में दूसरे दिन यानी सोमवार को तो खरना होगा और मंगलवार को सूर्य को पहला अ‌र्घ्य दिया जाएगा। इसके लिए वैसे तो कई दिनों से बाजारों में खरीददारी का दौर चल रहा है लेकिन अब दो दिन बाजारों में भीड़ बढ़ेगी। बाजारों में छठ का रंग खूब चढ़ा हुआ है। रविवार को भी काफी लोग खरीदारी के लिए पहुंचे। सोमवार को ज्यादा भीड़ बढ़ सकती है। सूर्य को पहला अ‌र्घ्य देने के लिए इसी दिन ज्यादा खरीददारी होगी।

यहां-यहां की गई है पूजा की व्यवस्था

शहर में छठ पूजा के लिए कई स्थानों पर तैयारी की गई है। सेक्टर-6 के पास स्थित नहर के अलावा छोटूराम नगर समेत कई जगह अस्त होते और उदय होते सूर्य को अ‌र्घ्य दिया जाएगा। ऐसे में पूजा स्थल पर लोगों को किसी तरह की दिक्कत न आए, इसके लिए मुकम्मल व्यवस्था की जा रही है।

प्रकृति से जोड़ते हैं मिट्टी के दीप

वैसे तो यह पर्व ही प्रकृति की पूजा को समर्पित होता है। ऐसे में इस पर्व की पूजा के दौरान ज्यादातर चीजें भी प्राकृतिक ही होती हैं। इस पूजा में मिट्टी के दीपों का अहम स्थान रहता है। साधारण दीपों के अलावा हाथी दीप, कोसी दीप, मटकी दीप इस पर्व का प्रमुख आकर्षण रहते हैं। ये भी बाजारों में प्रमुखता से सजे हैं। बताया जाता है छठ के दिन ही कोसी पूजा की जाती है। शाम के समय छठ घाट से आने के बाद व्रतियों द्वारा घर पर कोसी पूजा की जाती है। इस पूजा में पांच गन्नों को एक गमछा में बाधंकर आंगन में फैला दिया जाता है और उसके नीचे मिट्टी के बने हाथी पर कलश रखकर दीप जलाया जाता है। कई तरह के पकवान मिट्टी के छोटे-छोटे ढक्कन में रखे जाते हैं और पूजा की जाती है। अगले दिन सुबह के समय घाट पर पूजन सामग्री को ले जाया जाता है वहां पर फिर से पूजा की जाती है। इसके बाद सामग्री को घर लाया जाता है। छठ के दिन ही कोसी पूजा की भी अलग महत्ता है। इसके लिए बाजारों में मिट्टी से मटकी दीप, कोसी दीप, हाथी, साधारण दीप व कोसी सजे हुए हैं।

---------- उत्सव के दौरान सुरक्षा बनाए रखने के लिए भी व्यवस्था होगी। सभी पूजा स्थलों के आसपास अ‌र्घ्य के दौरान पुलिस जवान तैनात रहेंगे ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके।

सुरेंद्र ¨सह, एसएचओ।

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