छह हजार सैंपल से परखेंगे खेतों की मिट्टी की सेहत

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : खेतों की मिट्टी की सेहत परखे बिना कोई भी फसल उगाने की कोशिश और कितनी

By JagranEdited By: Publish:Tue, 27 Jun 2017 01:01 AM (IST) Updated:Tue, 27 Jun 2017 01:01 AM (IST)
छह हजार सैंपल से परखेंगे खेतों की मिट्टी की सेहत
छह हजार सैंपल से परखेंगे खेतों की मिट्टी की सेहत

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :

खेतों की मिट्टी की सेहत परखे बिना कोई भी फसल उगाने की कोशिश और कितनी ही मात्रा में खाद का प्रयोग।, फायदे की नहीं बल्कि नुकसान की राह है। ये ऐसे बिंदु है, जिन पर किसानों की मेहनत भी मिट्टी में मिलकर सोना बनने की बजाय बेकार चली जाती है। भूमिपुत्रों को ऐसी परिस्थितियों का सामना न करना पड़े, इसी को लेकर कृषि विभाग एक फिर अभियान छेड़ेगा। इसमें खेतों की मिट्टी के सैंपल लेकर उसकी सेहत परखी जाएगी। इस बार विभाग को ऐसे छह हजार सैंपलों की जाच का लक्ष्य मिला है।

दरअसल, विगत में कृषि विभाग की ओर से पूरे उपमंडल में खेतों की मिट्टी की जाच के लिए लगभग 16 हजार सैंपल लिए। इनकी जाच करवाई गई। बाकायदा किसानों के मृदा स्वास्थ्य कार्ड भी बनाए गए। उसमें स्थिति यह सामने आई कि खाद की असंतुलित मात्रा का प्रयोग और विभागीय सलाह के अनुसार फसलों की बिजाई न करने के कारण ही खेतों की सेहत बिगड़ रही है। ऐसी स्थिति में किसान चाहे जितनी मेहनत करे, मगर परिणाम बेहतर मिलना संभव नही। इन सैंपलों की जाच के जरिये विभाग ने यह पता लगाया कि किस किसान के खेत की मिट्टी में किन-किन पोषक तत्वों की कमी है। फिर उसी के अनुसार सलाह दी गई। अब उन्हीं खेतों में से छह हजार सैंपल फिर से लेकर यह पता लगाया जाएगा कि जो सलाह दी गई उस पर कितना काम हुआ और सुधार कितना हुआ।

यह है स्थिति :

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार फसलों की बिजाई से पहले खेत की मिट्टी-पानी की जाच जरूरी है। मिट्टी की जाच से पता लगता है कि उसमें कौन-कौन से पोषक तत्वों की कमी है। फसल का अच्छा उत्पाद लेने के लिए खेत की मिट्टी में सभी तत्व होने चाहिए। मगर अक्सर किसान यूरिया खाद ज्यादा डाल देते है, इससे खेत के अंदर नाइट्रोजन की मात्रा तो बढ़ जाती है लेकिन दूसरे तत्व कम हो जाते है। यूरिया से तो खेत की मिट्टी को सिर्फ नाइट्रोजन तत्व ही मिलता है। ऐसे में यदि यूरिया जरूरत से ज्यादा डाला जाएगा तो उससे खेत की उर्वर स्थिति गड़बड़ा जाती है। जाच के बाद इसमें सुधार हो सकता है। मिट्टी की जाच से फसलों का चयन भी आसानी से हो सकता है। उससे यह पता लग जाता है कि अमुक खेत में कौन सी फसल उगाना बेहतर रहेगा। जाहिर है कि जब फसल का चयन सही होगा और खेत की मिट्टी में सभी पोषक तत्व सही मात्रा में होंगे, तो उत्पादन बढ़ना भी स्वाभाविक है। भूजल की जाच को लेकर भी यही स्थिति है।

तय समय पर पूरा होगा लक्ष्य :

कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार छह हजार सैंपल लेकर जाच कराने का जो लक्ष्य तय किया गया है, उसे समय पर पूरा किया जाएगा। जिन खेतों के सैंपलों की पहले जाच हुई है, उनमें सुधार का पता लगाने को यह मुहिम चलेगी। रबी सीजन के आखिर तक यह अभियान पूरा होने की उम्मीद है।

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अच्छे फसल उत्पादन के लिए मिट्टी व भूजल की जाच जरूरी है। समय-समय पर किसानों को इसके लिए जागरूक भी किया जाता और जाच के बाद आवश्यक सलाह भी दी जाती है। जिससे किसानों को फायदा हो रहा है।

--डॉ. देवराज ओहलाण, टीए, कृषि विभाग।

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