जंगलों से खैर की लकड़ी नहीं हो सकेगी चोरी, तस्करों की घुसपैठ पर रहेगी नजर

जंगलों में खड़े बेशकीमती खैर के पेड़ों की लकड़ी चोरी नहीं हो सकेगी। वहीं अब तस्करों की घुसपैठ नहीं हो सकेगी। सूत्रों के अनुसार वन विभाग ने जंगलों में सीसीटीवी लगाने का फैसला लिया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 10 Feb 2020 06:38 AM (IST) Updated:Mon, 10 Feb 2020 06:38 AM (IST)
जंगलों से खैर की लकड़ी नहीं हो सकेगी चोरी, तस्करों की घुसपैठ पर रहेगी नजर
जंगलों से खैर की लकड़ी नहीं हो सकेगी चोरी, तस्करों की घुसपैठ पर रहेगी नजर

सुरेश सैनी, अंबाला शहर

जिला के जंगलों में खड़े बेशकीमती खैर के पेड़ों की लकड़ी चोरी नहीं हो सकेगी। वहीं अब तस्करों की घुसपैठ नहीं हो सकेगी। सूत्रों के अनुसार वन विभाग ने जंगलों में सीसीटीवी लगाने का फैसला लिया है। यह कैमरा वहां लगेंगे जहां पर खैर के पेड़ों की संख्या है। कैमरा लगने से दो महत्वपूर्ण कार्य हो सकेंगे। पहला तस्करों पर नजर तथा दूसरा जंगली जानवरों की मूवमेंट। पता चला है सीसीटीवी पत्तों के कलर की तरह होंगे ताकि जंगल में घुसपैठ करने वाले तस्कर व अन्य को दिखाई न दें। इन कैमरों की खास बात यह होगी फुटेज में जंगल में घुसने वाला शख्स पूरी तरह से दिखाई देगा और कैमरा हाई रेजुलेशन के होंगे जोकि दिन और रात दोनों समय में पूरी तरह से काम करेंगे। तस्करों ने काट डाले थे 12 खैर के पेड़

शहर से 20 किलोमीटर दूर गांव भड़ोग का जंगल जोकि 250 एकड़ एरिया में फैला हुआ है। इसमें सफेदा, खैर, शीशम, पहाड़ी कीकर आदि के पेड़ लगे हैं। लेकिन खैर के बेशकीमती पेड़ लगे होने के कारण यहां तस्करों की गतिविधियां बढ़ी हैं। वे चोरी छीपे इन पेड़ों पर आरी चला रहे हैं। डेढ़ माह पूर्व तस्करों ने इसी जंगल से खैर के 12 पेड़ों को काट डाला था। हालांकि पुलिस व वन विभाग कर्मचारियों ने पहुंचकर पेड़ों को कब्जे में ले लिया था, लेकिन उस वक्त तस्कर मौके से फरार हो गए थे। तस्कर कुल्हाड़ी की बजाय आरी करते हैं प्रयोग

तस्कर कुल्हाड़ी से पेड़ों की कटाई किया करते थे, लेकिन रात को इलाका सुनसान होता है। इसलिए एक कुल्हाड़ी लगते ही पूरे इलाके में आवाज गूंजती है। इसलिए तस्कर अब आरी के द्वारा पेड़ों को आसानी से काट देते हैं। इससे आवाज भी नहीं आती और कटाई भी जल्दी हो जाती है। बता दें खैर की लकड़ी से खाने वाला कत्था बनाया जाता है। फैक्ट्री प्रोसेस में खैर की लकड़ी से पहले तेल निकाला जाता है और उसके बाद लकड़ी का कत्था बनाया जाता है। खैर का तेल बहुत महंगे दामों पर बिकता है। अभी इसके बारे में जानकारी नहीं है। अगर जंगल एरिया में सीसीटीवी लग जाए तो काफी अच्छा होगा। इससे हर प्रकार की गतिविधि पर नजर रखने में काफी सहायता मिलेगी। इसके अलावा जंगल एरिया में घुसपैठ पर भी नजर रहेगी।

- हैरतजीत कौर, वन मंडल अधिकारी, अंबाला

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