बारूद के ढेर पर बैठी ट्विन सिटी, घरों में चल रही इंडस्ट्री, आबादी में सिलेंडर के गोदाम

ट्विन सिटी बारूद के ढेर पर बैठी है जबकि आग लगने की बड़ी घटनाओं से अभी तक कोई सबक नहीं लिया गया है। दिल्ली में शनिवार रात हुए अग्निकांड के बाद अंबाला में भी ऐसी घटना कभी भी हो सकती है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 09 Dec 2019 07:30 AM (IST) Updated:Mon, 09 Dec 2019 07:30 AM (IST)
बारूद के ढेर पर बैठी ट्विन सिटी, घरों में चल रही इंडस्ट्री, आबादी में सिलेंडर के गोदाम
बारूद के ढेर पर बैठी ट्विन सिटी, घरों में चल रही इंडस्ट्री, आबादी में सिलेंडर के गोदाम

जागरण संवाददाता, अंबाला : ट्विन सिटी बारूद के ढेर पर बैठी है, जबकि आग लगने की बड़ी घटनाओं से अभी तक कोई सबक नहीं लिया गया है। दिल्ली में शनिवार रात हुए अग्निकांड के बाद अंबाला में भी ऐसी घटना कभी भी हो सकती है। प्रशासन ने इस ओर से आंखें मूंदी हुई हैं, जबकि हालात ऐसे हैं कि आबादी के बीच गैस सिलेंडरों के गोदाम हैं, जो सबसे बड़ा खतरा बने हुए हैं। ट्विन सिटी में साइंस, मिक्सी उद्योग की इकाइयां हैं जो घरों में चल रही हैं। अब तक प्रशासन ने हर बड़ी घटना के बाद कोई कदम नहीं उठाया है।

गुजरात के सूरत में कोचिग सेंटर में हुई आगजनी के बाद फायर ब्रिगेड हरकत में आया, लेकिन इसके बाद अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। ट्विन सिटी में कई घटनाएं हुई हैं, जिनमें आग बुझाने में दिक्कतें आई, लेकिन इसके बाद सब कुछ पुराने ढर्रे पर ही चला गया।

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1300 इकाइयां शहर में

अंबाला छावनी की बात करें, तो यहां पर साइंस इंडस्ट्री सबसे ज्यादा है। करीब 1300 इकाइयां हैं। इनमें अधिकतर छोटी इकाइयां घरों में चल रही हैं। इन में सिलेंडर का उपयोग तो किया जाता है, जबकि घरों में चलने के कारण हर समय खतरा बना रहता है। घरों में यह कारोबार दशकों से चल रहा है। बड़ी इकाइयां इन छोटी इकाइयों को आर्डर पर सामान बनाने का काम देती हैं। यह इंडस्ट्री रिहायशी इलाकों में काफी फैल चुकी है। इसके साथ ही सर्राफा कारोबार से जुड़े लोग भी अपने घरों में आर्डर पर सामान तैयार करते हैं। इन में से किसी के पास भी रिहायशी इलाकों में औद्योगिक इकाइयां चलाने की परमिशन नहीं है और न ही फायर सेफ्टी एनओसी ली गई है। इसी तरह के हालात अंबाला शहर में हैं, जहां बाजारों में सबसे बड़ा खतरा पसरा हुआ है। यहां पर अधिकतर प्रतिष्ठान ऐसे हैं, जहां ऊपरी मंजिल पर गोदाम तक बनाए गए हैं, जबकि नीचे कमर्शियल गतिविधियां चलती हैं।

इन बड़ी घटनाओं से सबक नहीं

-करधान रोड पर एक घर में गैस के चार सिलेंडर फटने से छत के नीचे मजदूर दब गए थे

-सुभाष पार्क रोड किनारे बने गोदाम में केमिकल के रखे ड्रमों के गोदाम में आग लगी

-अंबाला-दिल्ली हाईवे पर प्रताप फैक्ट्री में लगी आग, जिसे करीब साढ़े नौ घंटे बाद बुझाया गया

-अंबाला शहर की कपड़ा मार्केट में बने गोदाम में तीन बार आग लगी, जिसे बुझाने में पसीने छूट गए

-शहर अनाज मंडी में रखे बारदाना आग में जलकर राख हो गया

-अंबाला छावनी के सदर बाजार में पेंट की दुकान में आग लगी

-बाल भवन के पास सिटी प्लाजा में लगी आग बुझाने में दिक्कतें आईं घरों में चल रहीं छोटी इकाइयों से खतरा ज्यादा है। इसको लेकर विभाग नोटिस दे सकता है, जबकि इससे आगे कार्रवाई नहीं कर सकते। इन इकाइयों ने फायर सेफ्टी एनओसी भी नहीं ली है। बाजार काफी संकरे हैं, जिसके कारण आग बुझाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। गैस सिलेंडर के गोदाम भी आबादी के बीच हैं, जिससे खतरा तो है ही।

- अमर सिंह, फायर स्टेशन आफिसर, अंबाला छावनी।

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