दो दलालों के चक्रव्यूह में फंसे धरतीपुत्र, मजबूरी में कम दाम पर बेचा धान

अनाज मंडी अंबाला शहर में इस बार धान के सीजन में दो दलालों की दलाली खूब फली। धान के मनमाने भाव तय किये। ऐसे में दलालों के चक्रव्यूह में धरतीपुत्र फंसकर रह गये। किसान करते भी क्या मजबूरी में कम दामों पर अपनी धान को बेचना पड़ा। दलालों ने यह सारा खेल शैलर संचालकों को खुश करने के साथ खुद की जेब भारी करने के लिए खेला। किसानों को धान में नमी का भय दिखाकर मोटी काट लगती रही। किसी ने मशीन से जांचने की जहमत तक नहीं उठायी गई। इसके बावजूद अधिकारी चुप्पी साधे रहे।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 12 Nov 2019 07:15 AM (IST) Updated:Tue, 12 Nov 2019 07:15 AM (IST)
दो दलालों के चक्रव्यूह में फंसे धरतीपुत्र, मजबूरी में कम दाम पर बेचा धान
दो दलालों के चक्रव्यूह में फंसे धरतीपुत्र, मजबूरी में कम दाम पर बेचा धान

अवतार चहल, अंबाला शहर

अनाज मंडी अंबाला शहर में इस बार धान के सीजन में दो दलालों की दलाली खूब फली। धान के मनमाने भाव तय किये। ऐसे में दलालों के चक्रव्यूह में धरतीपुत्र फंसकर रह गये। किसान करते भी क्या मजबूरी में कम दामों पर अपनी धान को बेचना पड़ा। दलालों ने यह सारा खेल शैलर संचालकों को खुश करने के साथ खुद की जेब भारी करने के लिए खेला। किसानों को धान में नमी का भय दिखाकर मोटी काट लगती रही। किसी ने मशीन से जांचने की जहमत तक नहीं उठायी गई। इसके बावजूद अधिकारी चुप्पी साधे रहे।

बता दें कि अनाज मंडी में वैसे तो दो एजेंसियों को खरीद का जिम्मा दिया था। लेकिन धान को मंडी से शैलर संचालक ही उठाते हैं। शैलर संचालक अनाज मंडी में कम ही पहुंचते हैं। ऐसे में इसकी भूमिका दो दलालों ने निभायी। एक दलाल करीब 60 शैलर और दूसरा दलाल करीब 25 शैलर के लिये खरीद की सेटिग करता रहा। इसमें किसानों को कुचलते हुए तय सरकारी दाम के बावजूद मनमाने भाव पर खरीद करते रहे। जहां आढ़ती किसानों के हक में अड़े वहां दलालों ने खरीद के लिए कदम नहीं बढ़ाये। इसमें आढ़ती भी फंस गये। अगर दलाल की न माने तो धान की खरीद नहीं होगी और अगर कम दाम लगे तो किसान नाराज।

उत्तर प्रदेश, बिहार और पंजाब से पहुंचा धान

इस साल पिछले सालों के मुकाबले करीब साढ़े पांच लाख क्विंटल धान मंडी में अधिक आवक हुई। सवाल उठता है इतना अधिक धान कहां से पहुंच गया। न तो जिले में जमीन इस सीजन में ज्यादा उपजाऊ हो गई और न ही पैदावार बढ़ गई। बल्कि दूसरे प्रदेशों से खुलेआम धान ट्रकों में लोड होकर पहुंचता रहा। यह धान उत्तर प्रदेश, बिहार और पंजाब से ट्रकों में लोड कर लाया गया।

दूसरे प्रदेशों से ट्रांसपोर्ट खर्च करने के बावजूद मोटी बचत

नियमों की बात करें तो अनाज मंडी में फसल किसान ही बेच सकता है। किसान का जे फार्म बनता है और खरीदार का आइ फार्म बनता है। दूसरे प्रदेशों में सिर्फ पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्र से ही धान बेचने के लिए किसान पहुंचते हैं, लेकिन मोटी कमाई के चक्कर में किसानों के नाम पर खेल किया गया। क्योंकि उत्तर प्रदेश और बिहार से अंबाला धान लाया जाये तो ट्रांसपोर्ट खर्च निकाल देने के बाद भी मोटी बचत होती है। सारा खर्च निकाल देने के बाद भी प्रति क्विंटल कम से कम तीन सौ रुपये होती है। एक ट्रक में करीबन डेढ़ सौ क्विटल धान आ जाता है। इससे एक ट्रक लाने पर करीबन 45 हजार रुपये बचत होती है।

धान ही नहीं, चावल भी सीधे पहुंच गया

मंडी में गोलमाल का खेल अकेले धान तक ही नहीं सिमटा। दलाल इसमें एक कदम और आगे बढ़ गये। दलालों ने धान की कुटाई की नौबत ही न हो इसके लिए उत्तर प्रदेश और बिहार से सीधे कुटा हुआ चावल ही लोड कर लिया। जो ट्रक में हो भी ज्यादा गया। क्योंकि धान का तूसा अधिक जगह लेता है और चावल इतनी जगह में ज्यादा आवक हो गई।

मार्केट कमेटी का रिकॉर्ड खंगाला जाये तो हो सकता है पर्दाफाश

अनाज मंडी में धान के सीजन का रिकॉर्ड खंगाला जाये तो बड़ा पर्दाफाश हो सकता है। मंडी में किस किस के नाम से गेट पास बने हैं और कहां से कितना माल आया है। जहां से अनाज आया है कन्फर्म किया जाए। कहीं फर्जी नाम या रिकॉर्ड के आधार पर तो नहीं गेट पास बनते रहे।

chat bot
आपका साथी