तीर्थराज प्रयाग का कुंभ भारतीय संस्कृति का प्राण तत्व है : डॉ.आरसी मिश्रा

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डॉ.आरसी मिश्रा ने मातृभूमि सेवा मिशन, कुरुक्षेत्र द्वारा प्रकाशित मासिक पत्रिका कुरुक्षेत्र संदेश के तीर्थराज प्रयाग कुंभ पर्व विशेषांक का किया विमोचन।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 15 Feb 2019 08:50 AM (IST) Updated:Fri, 15 Feb 2019 08:50 AM (IST)
तीर्थराज प्रयाग का कुंभ भारतीय संस्कृति का प्राण तत्व है : डॉ.आरसी मिश्रा
तीर्थराज प्रयाग का कुंभ भारतीय संस्कृति का प्राण तत्व है : डॉ.आरसी मिश्रा

जागरण संवाददाता, अंबाला : अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डॉ.आरसी मिश्रा ने मातृभूमि सेवा मिशन, कुरुक्षेत्र द्वारा प्रकाशित मासिक पत्रिका कुरुक्षेत्र संदेश के तीर्थराज प्रयाग कुंभ पर्व विशेषांक का किया विमोचन। कार्यक्रम छावनी में आईजी कार्यालय में हुआ। प्रकाशित पत्रिका में सामाजिक, धार्मिक, आध्यात्मिक एवं राष्ट्रीय जीवन मूल्यों को समर्पित है। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र का पौराणिक महत्व अधिक माना जाता है। इसके अतिरिक्त अनेक पुराणों, स्मृतियों और महर्षि वेदव्यास रचित महाभारत में इसका विस्तृत वर्णन किया गया हैं। यहां की पौराणिक नदी सरस्वती का भी अत्यन्त महत्व है। कुंभ मेला एक अछ्वुत समारोह है। भारत के कोने-कोने में इस धार्मिक मेले का संदेश स्वयं पहुंच जाता है। तीर्थराज प्रयाग का कुंभ भारतीय संस्कृति का प्राण तत्व है। त्रिवेणी में गंगा-यमुना के साथ गुप्त सरस्वती का संगम माना गया है। इस जलधारा की आध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महिमा से आकर्षित होकर हजारों साल से ऋषि-मुनि, राजा और सम्राट संगम क्षेत्र में आते हैं। अनेक दाशर्निकों, धर्म प्रचारकों ने इस संगम में स्नान करके अपने मत, संप्रदाय और सिद्धांत का प्रचार-प्रसार किया। तीर्थराज प्रयाग का यह संगम ¨सहासन एक तरह से ज्ञान-विज्ञान, दर्शन और धार्मिक सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार का मंच बन गया है। संगम क्षेत्र से ही अनेक दार्शनिकों ने अपने समाज कल्याणकारी सिद्धांतों का प्रचार किया। इन दार्शनिक संतों में जगद्गुरु शंकराचार्य, गुरु रामानंद, निंबाकाचार्य, वल्लभाचार्य, चैतन्य महाप्रभु, रूप गोस्वामी, संत शिरोमणि रविदास महाराज को आज भी बड़ी श्रद्धा से याद किया जाता है। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि भारतवासियों का मिलन स्थल न तो किसी दिग्विजयी राजा की राजधानी है और न कोई वाणिज्य-ऐश्वर्यशाली नगरी हैं। यह हैं पवित्र तीर्थस्थान समूह- गया, काशी, पुरी, प्रयाग, कुरुक्षेत्र, नैमिषारण्य, अयोध्या, वृंदावन, मथुरा, द्वारिका, हरिद्वार, नासिक, उज्जयिनी आदि। इस मिलन या सम्मेलन का समय न तो किसी राजनीतिक और न किसी सामाजिक कारण से निर्धारित हुआ है।

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