'मजबूर' हत्यारा, इलाज के लिए पैसे नहीं थे तो पत्नी को मार डाला

पति गरीबी के कारण पत्नी का इलाज नहीं करा पा रहा था। इससे वह परेशान रहने लगा। आखिरकार उसने अपनी पत्नी को मौत के घाट उतार दिया।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Thu, 03 May 2018 04:34 PM (IST) Updated:Fri, 04 May 2018 08:53 PM (IST)
'मजबूर' हत्यारा, इलाज के लिए पैसे नहीं थे तो पत्नी को मार डाला
'मजबूर' हत्यारा, इलाज के लिए पैसे नहीं थे तो पत्नी को मार डाला

अंबाला शहर [राजीव ऋषि]। गांव धुरकड़ा में हुए 62 वर्षीय लक्ष्मी देवी ब्लाइंड मर्डर को सदर थाना पुलिस ने सुलझा दिया है। तफ्तीश में सामने आया है कि मृतका का पति इंद्रजीत अपनी पत्नी लक्ष्मी देवी की लंबी बीमारी से परेशान था। दिहाड़ी में मिलने वाले पैसों से वह अपना खर्च ही नहीं उठा पा रहा था, ऊपर से लक्ष्मी देवी की दवा का खर्च उस पर भारी पड़ रहा था। इस कारण वह लक्ष्मी देवी से निजात पाना चाहता था लेकिन मौका हाथ नहीं लग रहा था।

चार दिन पूर्व सुबह उसने मामले में नामजद हत्यारोपी मोनू वाल्मीकि के साथ मिलकर पहले शराब और उसके बाद भांग पी। नशे की हालत में दोनों ने चुन्नी से लक्ष्मी देवी का गला घोंट दिया। उसके बावजूद जब वह नहीं मरी तो उसके सिर पर लोहे की राड मारकर मौत के घाट उतार दिया। उसके बाद पुलिस व ग्रामीणों को गुमराह करने के लिए मोनू पंजाब के डेराबस्सी में अपनी मां और इंद्रजीत अपने दोस्त के साथ कुरुक्षेत्र के गोरखा माजरा स्थित गोगामाड़ी में आयोजित भंडारे में चला गया था।

सोमवार को वापस लौटने के बाद इंद्रजीत ने लक्ष्मी देवी की हत्या पर नौटंकी की, लेकिन नाकामयाब रहा। सदर और सीआइए की पूछताछ में दोनों का हौसला जवाब दे गया, उन्होंने सच उगल दिया। प्रारंभिक तफ्तीश में पुलिस ने आरोपितों द्वारा प्रयोग की गई वह चुन्नी बरामद कर ली है, जिससे उन्होंने लक्ष्मी देवी का गला घोटा था। घटना के बाद से ही पुलिस मंगल, इंद्रजीत व मोनू को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है।

मृतका के बेटे काका ने भी पोस्टमार्टम के दौरान आशंका जताई थी कि उसके पिता ने ही माता की हत्या की है। इसके अलावा मंगल ने भी कहा था कि वह जानता था कि वह ऐसा तो एक दिन होना ही था। गांव के सरपंच की शिकायत में इंद्रजीत ने मोनू पर शक जताया था कि उसका घर में आना-जाना था, उसी ने लक्ष्मी देवी की हत्या की है।

संगीन मामले की जांच में पुलिस ने तीनों को हिरासत में लेकर पूछताछ की लेकिन सभी बार-बार अपने बयान पलट रहे थे। कोई स्वयं को बेकसूर बता रहा था तो कोई एक-दूसरे को हत्यारा बता रहा था। ऐसे में पुलिस फूंक-फूंक कर कदम रख रही थी, किसी के साथ नाजायज नहीं करना चाहती थी। इंद्रजीत सबसे ज्यादा शक के दायरे में था।

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