एचएसवीपी के चीफ कंट्रोलर के थे वारंट, पहुंचे अकाउंट ऑफिसर

किसानों की पूरी पेमेंट न करने के मामले में अतिरिक्त जिला सेशन जज संदीप सिंह ने एचएसवीपी (हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण) के चीफ कंट्रोलर फाइनेंस के कंडीशनल गिरफ्तार वारंट जारी किए थे लेकिन उसके बावजूद वे अदालत में पेश नहीं हुए। उनकी जगह एचएसवीपी के अकाउंट ऑफिसर ने हाजिरी लगाई।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 14 Dec 2019 06:20 AM (IST) Updated:Sat, 14 Dec 2019 06:20 AM (IST)
एचएसवीपी के चीफ कंट्रोलर के थे वारंट, पहुंचे अकाउंट ऑफिसर
एचएसवीपी के चीफ कंट्रोलर के थे वारंट, पहुंचे अकाउंट ऑफिसर

अवतार चहल, अंबाला शहर : किसानों की पूरी पेमेंट न करने के मामले में अतिरिक्त जिला सेशन जज संदीप सिंह ने एचएसवीपी (हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण) के चीफ कंट्रोलर फाइनेंस के कंडीशनल गिरफ्तार वारंट जारी किए थे, लेकिन उसके बावजूद वे अदालत में पेश नहीं हुए। उनकी जगह एचएसवीपी के अकाउंट ऑफिसर ने हाजिरी लगाई। जहां उन्होंने अदालत से 10 जनवरी तक समय देने की अपील की। इस पर अदालत ने 10 जनवरी तक की मोहलत दे दी। इसके साथ चेतावनी भी दी कि यदि किसानों की पूरी रकम अदा नहीं की गई तो सीनियर ऑफिसर के खिलाफ कार्रवाई होगी।

पुरुषोत्तम बनाम स्टेट ऑफ हरियाणा का मामला कोर्ट में विचाराधीन था। उसमें किसानों ने मुआवजे को लेकर हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को पार्टी बनाया हुआ है। मामले में किसानों की अदालत में इजराये लंबित थी। इसी तरह कौलां में जमीन अधिग्रहण मामले में विक्रांत की अदालत में इजराये लंबित है। इसके बाद दोनों केसों के बाद अदालत ने हुडा के पचंकूला के चीफ कंट्रोलर फाइनेंस के कंडिश्नल गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिए। उसमें किसानों की राशि देनी होगी वर्ना जेल भेजा जाएगा।

एक दूसरे पर टाल रहे विभाग

मामले में किसान पक्ष की ओर से अदालत में पेश हुए एडवोकेट सतपाल सिंह और चरणजीत सिंह ने बताया कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण आठ साल से किसानों की पेमेंट नहीं कर रहा है। एक विभाग दूसरे पर टाल रहे हैं। यदि किसान भूमि अधिग्रहण ऑफिसर सेक्टर आठ पंचकूला के पास पहुंचते हैं, तो उन्हें एचएसवीपी का रास्ता दिखा दिया जाता है, एचएसवीपी के पास जाते हैं, तो वह और नया पाठ पढ़ाना शुरू कर देता है।

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अफसरों की लेटलफीती और सरकार पर करोड़ों के ब्याज का भार

किसानों की जमीन अधिग्रहण के बाद अदालत ने मुआवजा बढ़ाकर राशि दिए जाने के आदेश दे दिए थे। उसके बाद भी किसानों की पूरी राशि अदा नहीं की गई। ऐसे में तब से किसानों को दिए जाने वाली राशि पेंडिग हैं, जबकि उस राशि पर ब्याज लग रहा है, जो अदालत के निर्देशों के मुताबिक एचएसवीपी को देना पड़ेगा, एचएसवीपी को अन्य कई मामलों के कारण बतौर ब्याज का ही करोड़ों रुपये भरना पड़ेगा।

16 साल पहले किया गया था जमीन का अधिग्रहण

एचएसवीपी ने शाहपुर में 2003 में सेक्टर के लिए करीबन 186 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। जमीन अधिग्रहण की एवज में हुडा ने किसानों को प्रति एकड़ के हिसाब से करीबन पौने तीन लाख रुपये ब्याज समेत अन्य राशि भी शामिल कर दी थी। इससे नाखुश किसानों ने मामले को अदालत में चुनौती दी थी। कोर्ट ने 2011 में किसानों की मुआवजा राशि बढ़ाकर 297 रुपये प्रति गज के हिसाब से तय की थी। ब्याज और अन्य बेनीफिट अलग से थे।

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अदालत के आदेशों के बावजूद किसानों को नहीं मिल रही राशि

2009 में एचएसवीपी ने गांव कौलां-कौली में करीबन 315 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। किसानों को 2014 में कोर्ट ने 499 रुपये प्रति गज के हिसाब से राशि तय की थी। दोबारा अदालत में चुनौती पर 9 नवंबर, 2016 में 1026 प्रति गज हिसाब से कोर्ट ने आर्डर कर दिए थे। लेकिन हुडा ने राशि अदा नहीं की। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने 24 जनवरी 2019 को निर्देश दिए थे कि किसानों की पेमेंट तीन माह के भीतर दी जाए, लेकिन हुडा ने कोई तवज्जो नहीं दी।

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