भाई की मौत पर बड़ी बहन के नहीं निकले आंसू, सदमा लगने से बिगड़ी तबीयत
छोटे भाई संजीव की मौत का उसकी बड़ी बहन ज्योति को यकीन ही नहीं आया। उसके आंसू तक नहीं निकले और वह सदमे में चली गई। इससे ज्योति की हालत बिगड़ गई जबकि परिजन उसे लेकर डाक्टर के पास पहुंचे जहां उसे उपचार दिया गया। परिजनों का कहा है कि अभी हालत में सुधार है जबकि क्षेत्र के लोगों को भी यकीन नहीं है कि दसवीं कक्षा का छात्र संजीव इस तरह से कोई कदम उठा सकता है।
जागरण संवाददाता, अंबाला : छोटे भाई संजीव की मौत का उसकी बड़ी बहन ज्योति को यकीन ही नहीं आया। उसके आंसू तक नहीं निकले और वह सदमे में चली गई। इससे ज्योति की हालत बिगड़ गई, जबकि परिजन उसे लेकर डाक्टर के पास पहुंचे, जहां उसे उपचार दिया गया। परिजनों का कहा है कि अभी हालत में सुधार है, जबकि क्षेत्र के लोगों को भी यकीन नहीं है कि दसवीं कक्षा का छात्र संजीव इस तरह से कोई कदम उठा सकता है। संजीव का एक छोटा भाई और बहन है, जो सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। परिवार सदमे में है और परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। उधर, पुलिस भी सीमा क्षेत्र में उलझ गई जबकि बाद में कार्रवाई महेश नगर थाना पुलिस ने की।
परिजनों ने बताया कि संजीव की मौत का जैसे ही उसकी बड़ी बहन ज्योति को पता चला तो वह सिर्फ अपने भाई को एकटक देखती रही। लोग एक-एक कर उनके घर पर सांत्वना देने पहुंचे, लेकिन ज्योति सदमे में गुमसुम बैठी रही। दोपहर बाद जब हालत ज्यादा बिगड़ गई तो परिजन उसे लेकर डाक्टर के पास पहुंचे, जहां उसे दवा दी गई। इसके बाद ज्योति की हालत में सुधार आना शुरू हुआ।
उधर, लोगों का कहना है कि संजीव हंसमुख स्वभाव का बच्चा था और लोगों को राम-राम अवश्य करता। परिजनों का कहना है कि अब घर जाकर उसका बैग तलाशेंगे ताकि कुछ पता चल सके कि आखिर संजीव ने यह कदम क्यों उठाया है।
उधर, जैसे ही संजीव द्वारा सुसाइड का मामला सामने आया, तो तोपखाना पुलिस चौकी को भी सूचना लगी। परिजन चौकी पहुंचे, तो वहां पर पुलिस ने कागजी कार्रवाई शुरू कर दी। इसी दौरान मुलाजिम मौका देखने आए तो पता चला कि जहां पर यह घटना घटित हुई है, वह महेश नगर थाना के तहत आता है। इसके बाद महेश नगर थाना पुलिस को कागजात सौंपे, जिसके बाद पुलिस कार्रवाई आगे बढ़ी। इस दौरान कई घंटे भी बीत गए। महेश नगर पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करा दिया है, जबकि शव नागरिक अस्पताल की मोर्चरी में रखा गया है।
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यह है आंकड़ा
आंकड़ों की मानें, तो विश्व भर में हर साल करीब आठ लाख लोग सुसाइड करते हैं, जिसमें से सत्रह प्रतिशत भारत में केस सामने आते हैं। यह आंकड़ा भी बढ़ रहा है। हर साल 15-29 साल आयु वर्ग के करीब 46 हजार लोग सुसाइड करते हैं।
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किशोरावस्था में इस तरह के कदम उठाना काफी चिता का विषय है। इसके कई कारण हो सकते हैं। लेकिन अमूमन ऐसे केसों में डिप्रेशन भी एक बड़ा कारण हो सकता है। इसके अलावा परिवार की बच्चों से ज्यादा अपेक्षा, बच्चे द्वारा दबाव महसूस करना। किसी भी क्षेत्र में जाने से रोकना आदि कई पहलू हैं, जो हर केस में अलग-अलग हो सकते हैं।
- प्रो. सज्जन सिंह, मनोविशेषज्ञ, जीएमएन कालेज अंबाला छावनी