प्रमोशन पर विवाद: डीजीपी-गृह सचिव की विरोधाभासी चिट्ठियों पर विज करवाएंगे फाइल का रिव्यू

हरियाणा में एक अधिकारी के प्रमोशन पर विवाद का मामला गर्मा गया है। गृहमंत्री अनिल विज डीजीपी और गृह सचिव की विरोधाभासी चिट्ठियों पर फाइल के रिव्‍यू कराएंगे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Sun, 09 Feb 2020 10:19 AM (IST) Updated:Sun, 09 Feb 2020 10:19 AM (IST)
प्रमोशन पर विवाद: डीजीपी-गृह सचिव की विरोधाभासी चिट्ठियों पर विज करवाएंगे फाइल का रिव्यू
प्रमोशन पर विवाद: डीजीपी-गृह सचिव की विरोधाभासी चिट्ठियों पर विज करवाएंगे फाइल का रिव्यू

अंबाला, [दीपक बहल]। पुलिस महानिदेशक और गृह सचिव के बीच पदोन्नति को लेकर उभरे विरोधाभास को लेकर प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज ने कड़ा संज्ञान लिया है। इस पूरे प्रकरण का गृह मंत्री रिव्यू करवा रहे हैं कि आखिर जिस महिला अधिकारी को विभागीय जांच में दोषी करार दिया गया उसकी पदोन्नति की फाइल गृह सचिव ने कैसे हरी झंडी दे दी। इस मामले में अब तक किस-किस ने जांच की और जांच रिपोर्ट में क्या तथ्य सामने आए। इसको लेकर विज ने रिव्यू करना शुरू कर दिया है।

एफएसएल के निदेशक का फर्जी दस्तावेज नजरअंदाज करने का मामला पकड़ा तूल

डीजीपी मनोज यादव ने फर्जीवाड़े में उलझी महिला अधिकारी के खिलाफ 24 जनवरी, 2020 को गृह सचिव को चिट्ठी लिखी थी। इस पर गृह सचिव ने क्या एक्शन लिया, इसको लेकर भी गृह मंत्री जवाबतलबी करेंगे। यह पूरा मामला मधुबन स्थित फॉरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) में डायरेक्टर के पद पर पदोन्नति का है। जिस महिला अधिकारी को इस महत्वपूर्ण पद पर काबिज करने के लिए गृह सचिव सिफारिश कर चुके हैं उसी के खिलाफ तीन आइपीएस अधिकारी विभागीय जांच और आपराधिक मामला दर्ज करने की सिफारिश कर चुके हैं।

विभागीय जांच से बचाने के लिए गृह विभाग ने विज से प्रमोशन की कर दी सिफारिश

इस महिला अधिकारी ने मेरठ में चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी में पीएचडी राज्य सरकार की बिना अनुमति के की थी। इतना ही नहीं जिस दौरान पीएचडी की गई उस दौरान वह ड्यूटी पर भी हाजिर रही। एक ही व्यक्ति दो जगह पर एक ही समय कैसे रह सकता है इसको लेकर अधिकारी अपने बुने जाल में उलझ गई।

दैनिक जागरण ने मामला किया उजागर

'डीजीपी ने महिला अधिकारी को दोषी ठहराया, गृह सचिव ने पदोन्नति की फाइल भेजी' शीर्षक से दैनिक जागरण ने इस मामले का पर्दाफाश किया। 19 अगस्त, 2007 को एफएसएल के निदेशक का फर्जी दस्तावेज तैयार किया गया जिसमें बताया गया कि महिला अधिकारी ने पीएचडी करने के लिए एफएसएल के निदेशक से अनुमति ली थी।

डायरेक्टर विजेंद्र सिंह 3 नवंबर, 2006 को सेवानिवृत हो चुके थे जबकि इनके हस्ताक्षर का फर्जी दस्तावेज 29 अगस्त, 2007 को तैयार किया गया। जब इस प्रकरण में विजेंद्र सिंह को आइपीएस अधिकारी ने अपनी जांच में शामिल किया तो उन्होंने 29 अगस्त, 2007 की किसी भी अनुमति से इंकार कर दिया था। इसी के आधार पर डीजीपी मनोज यादव ने महिला अधिकारी के खिलाफ एक्शन के लिए गृह सचिव से सिफारिश की थी जिस फाइल को दबा दिया गया।

फाइल का रिव्यू कराया जाएगा: विज

प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि दैनिक जागरण में प्रकाशित समाचार को पढ़ लिया है। वह इस पूरे मामले का रिव्यू करवाएंगे जिसके बाद जो भी कार्रवाई होगी, की जाएगी।

दस्तावेज के आधार पर आरोपों को माइनर माना था

आइपीएस आरके मीना ने जब जांच की तो उन्होंने निदेशक विजेंद्र सिंह के दस्तावेज के आधार पर आरोपों को माइनर माना था जिसके चलते गृह विभाग ने मामला फाइल कर दिया था। जिस निदेशक की चिट्ठी के आधार पर मामले को फाइल किया गया, उसकी यह भी जांच नहीं कराई गई जो पत्र जांच दिया गया वह असली है या फर्जी। एडीजीपी श्रीकांत जाधव, आइपीएस जेएस रंधावा की सिफारिश पर डीजीपी मनोज यादव ने 24 जनवरी, 2020 को विभागीय जांच की सिफारिश गृह सचिव से की थी जबकि गृह विभाग ने पदोन्नति की फाइल गृहमंत्री अनिल विज को भेजी।

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