कहानी साइकिल की

राजधानी दिल्ली में साइकिल के लिए अलग ट्रैक बनाने की बात हो रही है। बैंगलुरू और पुणे में ज्यादा से ज्यादा युवा साइकिल की सवारी को अपना रहे हैं। आइए जानते हैं इस चमत्कारी दुपहिया की कहानी..

By Edited By: Publish:Wed, 19 Dec 2012 01:13 PM (IST) Updated:Wed, 19 Dec 2012 01:13 PM (IST)
कहानी साइकिल की

राजधानी दिल्ली में साइकिल के लिए अलग ट्रैक बनाने की बात हो रही है। बैंगलुरू और पुणे में ज्यादा से ज्यादा युवा साइकिल की सवारी को अपना रहे हैं। आइए जानते हैं इस चमत्कारी दुपहिया की कहानी..

-हर आविष्कार से जुड़ा होता है आविष्कारक का नाम, पर साइकिल का आविष्कार किसने किया, इस पर इतिहासकार एकमत नहीं हैं।

-ब्रिटेनिका इनसाइक्लोपीडिया की मानें, तो लियोनार्दो द विंची की पेंटिंग में मिली थी साइकिल की पहली डिजाइन। यह पेंटिंग उन्होंने बनाई थी सन् 1492 में यानी तकरीबन 520 साल पहले।

-लियोनार्दो की पेंटिंग के तकरीबन डेढ़ सौ साल बाद फ्रांस में चार पहियों वाली मशीन का आविष्कार हुआ। यह कुछ-कुछ साइकिल की तरह दिखती थी।

-दो पहियों वाली पहली साइकिल जर्मनी में बनी थी। आविष्कारक थे बेरोन कार्ल वॉन ड्रेस डी साउबू्रन। वर्ष 1817 में उन्होंने 14 किमी. तक इसकी सवारी की थी। 1818 में इस अनोखी मशीन को लोगों ने पहली बार पेरिस में लगाई गई एक प्रदर्शनी में देखा।

-वॉन अपनी सवारी को 'रनिंग मशीन' कहते थे। दरअसल, यह जमीन पर दौड़ लगाने वाली सवारी थी, जो काठ यानी लकड़ी की बनी थी। इसमें पैडल नहीं था। इसे चलाने के लिए साइकिल की सीट पर बैठकर चालक को जमीन पर दौड़ लगाना पड़ता था।

-रनिंग मशीन की सवारी भले ही थकाऊ थी, लेकिन उस समय यह काफी महंगी मिलती थी। इसे समाज के सभ्रांत और संपन्न लोग ही खरीद सकते थे। इसे एक नाम भी दिया गया-'हॉबी हॉर्सेस'।

-'बाइसिकल' एक फ्रांसिसी शब्द है। वर्ष 1860 में पहली बार फ्रांस में ही दो पहियों वाली सवारी को बाइसिकल या साइकिल कहा गया।

-अबाउट डॉट कॉम के अनुसार, फ्रांसीसी पिता-पुत्र की जोड़ी पियरे ऐंड अर्नेस्ट को आधुनिक साइकिल का आविष्कारक माना जाता है। यह दो नहीं, तीन पहियों वाली साइकिल थी। उसे उन्होंने 1867 में बनाया था।

-वर्ष 1870 में काठ की साइकिल की जगह धातु की साइकिलें बनने लगीं। इनका अगला पहिया पिछले पहिए से बड़ा होता था। धारणा थी कि अगला पहिया जितना बड़ा होगा, साइकिल की स्पीड उतनी ज्यादा होगी।

-बड़े पहिये वाली इस साइकिल की सवारी सेफ नहीं थी। यह अक्सर दुर्घटनाग्रस्त हो जाया करती थी। यही वजह थी कि इसे 'डेंजर टॉय' यानी खतरनाक खिलौना कहा जाता था।

-कुछ इतिहासकार पैडल के आविष्कार का श्रेय स्कॉटलैंड के लुहार किर्कपैट्रिक मैकमिलन को देते हैं। इसका आविष्कार 1812 से 1878 के बीच किया गया था।

-वर्ष 1880 के आसपास जब चेन का अविष्कार किया गया, तो साइकिल के पहिये एक जैसे बनाये जाने लगे। मैनचेस्टर, इंग्लैंड के निवासी हैंस रोनाल्ड ने चेन का आविष्कार किया था।

-1890 के मध्य से बीसवीं सदी तक की अवधि को 'गोल्डन एज ऑफ बाइसिकल' कहा जाता है। इसी समय साइकिल को नई शक्ल मिली। बराबर आकार के पहिए, आगे स्टीयरिंग और पहियों में चेन इसी दौरान लगाया गया। अब साइकिल चलाना सुरक्षित था।

-ओहियो, अमेरिका के सेंट हेलेन स्कूल से ग्रेजुएशन करने वाले छात्रों को यूनिसाइक्लिंग यानी एक पहिए वाली साइकिल चलाना सीखना होता है। यहां से ग्रेजुएट छात्र इस कला में निपुण होते हैं।

-साइकिल चलाना बेस्ट एक्सरसाइज माना जाता है।

-साइकिल की पहली रेस 31 मई, 1868 को हुई थी। इसका आयोजन पेरिस के पार्क दे सेंट क्लाउड में किया गया। यह रेस 1200 मीटर की थी। इसके विजेता रहे थे इंग्लैंड के जेम्स मूरे।

-न्यूयॉर्क स्थित 'पैडलिंग बाइसिकल म्यूजियम' में पुरानी साइकिलों का संग्रह देखा जा सकता है। यहां न केवल दुनिया की अनोखी साइकिलों का प्रदर्शन किया गया है, बल्कि यहां पर साइकिल से जुड़े तमाम तरह के आयोजन भी किए जाते हैं।

जेजे डेस्क

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