प्राचीन काल से ही प्रचलित है रंगोली

रंगोली में विभिन्न रंग के डिजाइन बनाये जाते है जिनमें हमारी संस्कृति की झलक दिखाई देती है। रंगोली बनाने की परंपरा बहुत ही पुरानी है।

By Babita kashyapEdited By: Publish:Fri, 28 Oct 2016 12:37 PM (IST) Updated:Sat, 29 Oct 2016 08:59 AM (IST)
प्राचीन काल से ही प्रचलित है रंगोली

दीपावली का अवसर हो या घर में कोई शुभ काम, हिंदुओं के घरों में रंगोली बनाना एक धार्मिक-सांस्कृतिक और आस्था का प्रतीक है। रंगोली को सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। जब भी कोई धार्मिक काम होता है, हवन की वेदी बनाई जाती है और उसके चारों ओर सूखे आटे, हल्दी और कुमकुम आदि से रंगोली बनाई जाती है।

रंगोली बनाने के पीछे भूमि-शुद्धिकरण और समृद्धि की भावना भी छिपी है। रंगोली में विभिन्न रंग के डिजाइन बनाये जाते है जिनमें हमारी संस्कृति की झलक दिखाई देती है। रंगोली बनाने की परंपरा बहुत ही पुरानी है। अगर हम

मोहनजोदड़ो और हड़प्पा संस्कृति के प्राचीन अवशेषों को देखें तो वहां भी हमें रंगोली के चिह्न मिलते है। रंगोली को प्रमुख 64 कलाओं में से एक माना गया है।

रंगोली को अल्पना के नाम से भी जानते है, जिसकी उत्पत्ति संस्कृत के आलेपन शब्द से हुई है। आलेपन का अर्थ है- लेप करना। रंगोली में स्वास्तिक, कमल का फूल, लक्ष्मी जी के चरण, मोर आदि के डिजाइन बनाये जाते है।

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