बनना चाहता हूं बाल ठाकरे जैसा नेता :हार्दिक पटेल

पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल सूरत जेल में बंद हैं। उन्हें पेशी के लिए कोर्ट लाए जाने के दौरान हार्दिक से आरक्षण लड़ाई की रणनीति से लेकर सरकार से बातचीत और कुछ निजी सवाल किए गए।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Mon, 25 Apr 2016 05:56 AM (IST) Updated:Mon, 25 Apr 2016 06:03 AM (IST)
बनना चाहता हूं बाल ठाकरे जैसा नेता :हार्दिक पटेल

सूरत। पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल सूरत जेल में बंद हैं। उन्हें पेशी के लिए कोर्ट लाए जाने के दौरान हार्दिक से आरक्षण लड़ाई की रणनीति से लेकर सरकार से बातचीत और कुछ निजी सवाल किए गए।

- आप आरक्षण को लेकर न सरकार से बात कर रहे हैं, न किसी को करने दे रहे हैं, क्यों?
- ऐसा नहीं है। हम तो समाज के हित में हर वक्त बात करने को तैयार हैं। लेकिन सरकार का ही मूड नहीं है। हम पर झूठे केस दर्ज कर रखे हैं। हमारे दिलोदिमाग पर सरकार ने दगाबाज वाली छ‌वि बना दी है।


- लेकिन आपको तो किसी पर भरोसा ही नहीं है, मध्यस्थ भी पसंद नहीं है, फिर बात कैसे होगी?
- ऐसा प्रचारित किया गया है। जोकि सच नहीं है। मैं न्याय व्यवस्था पर भरोसा करने वाला व्यक्ति हूं। मेरे साथ सिर्फ पाटीदार ही नहीं, हर वर्ग, हर तरह के लोग हैं। लेकिन सरकार ही अपने चेहरे सामने नहीं कर रही है।

- क्या विधानसभा चुनाव लड़ोगे?
- मैं बिलकुल भी चुनाव लड़ने वाला नहीं हूं। फिलहाल तो सरकार ने जो केस कर रखे हैं, उनसे लड़ रहा हूं।

- खुद की पार्टी बनाएंगे, या किसी दल में जाएंगे?
फिलहाल तो पार्टी बनाने के बारे में सोचा तक नहीं है। समय आने पर जो सही होगा, करूंगा। रही बात किसी दल में जाने की तो ऐसा मैं सोच भी नहीं सकता।

- आरक्षण ही चाहते हैं या कुछ और?
मैं समाज के बीच सिंह गर्जना के साथ निडरता से हक की बात करना चाहता हूं। समाज को निर्भय बनाना चाहता हूं। बाल ठाकरे की तरह नेतागिरी करना चाहता हूं।

- चर्चा है कि जेल से निकलकर सगाई कर रहे हैं? शादी लव मैरिज है या अरेंज मैरिज?
इस बारे में तो नो कमेंट। आपको जवाब चाहिए तो मेरे माता-पिता से पूछिए।

- आरक्षण का क्या समाधान चाहते हैं?
मैं चाहता हूं कि आर्थिक रूप से कमजोर हर वर्ग को आरक्षण मिले। 65 साल हो गए, आज तक पूरा लाभ नहीं मिला। सरकार सिर्फ एससी-एसटी एवं ओबीसी के वोट लेने की राजनीति करती है। जिन्हें सच में लाभ नहीं मिला उन एससी-एसटी परिवारों की भी हम बात कर रहे हैं। सच बोलने, हक के लिए लड़ने को कुछ लोग मेरा स्वार्थ समझ रहे हैं। आरक्षण जरूरी है। सोचिए, एक-दो अंक के लिए मेधावी बच्चे आत्महत्या कर लेते हैं। क्या सरकार ये सब नहीं जानती? हमें तो हर उस समाज के लिए आरक्षण चाहिए, जो आर्थिक रूप से पिछड़ गए हैं।

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