Citizenship Amendment Act: गुजरात में तीन पाकिस्तानी हिंदू बने भारतीय नागरिक

Citizenship Amendment Act. सांसद मोहन कुंडरिया ने हरसिंह सोधा सरुप सिंह सोधा और परबतसिंह सोधा को मोरबी के वावडी गांव में नागरिकता प्रमाणपत्र दिया।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Sun, 22 Dec 2019 12:49 PM (IST) Updated:Sun, 22 Dec 2019 12:49 PM (IST)
Citizenship Amendment Act: गुजरात में तीन पाकिस्तानी हिंदू बने भारतीय नागरिक
Citizenship Amendment Act: गुजरात में तीन पाकिस्तानी हिंदू बने भारतीय नागरिक

मोरबी, प्रेट्र। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ देशभर में विरोध जारी रहने के बीच गुजरात के एक सांसद ने 10 साल पहले पाकिस्तान से भागकर भारत पहुंचे तीन हिंदुओं को नागरिकता प्रमाणपत्र सौंपा। राजकोट के सांसद मोहन कुंडरिया ने हरसिंह सोधा, सरुप सिंह सोधा और परबतसिंह सोधा को मोरबी के वावडी गांव में एक कार्यक्रम के दौरान नागरिकता प्रमाणपत्र दिया। इन लोगों ने 2007 में भारत में शरण ली थी। सांसद ने कहा कि ऐसे सैकड़ों हिंदू जो मोरबी में रह रहे हैं उन्हें जल्दी ही नागरिकता दे दी जाएगी। इसके लिए सीएए पारित कराने वाली नरेंद्र मोदी सरकार को धन्यवाद दिया जाना चाहिए।

पाकिस्तानी महिला को नागरिकता मिलने से 10 हजार शरणार्थियों में जगी उम्मीद

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देश भर में जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच गुजरात के 10 हजार शरणार्थियों को उम्मीद है कि उन्हें अब भारत की नागरिकता मिल जाएगी। देवभूमि द्वारका में पाकिस्तानी महिला हसीना बेन को भारत की नागरिकता मिल जाने के बाद यह उम्मीद जागी है। गुजरात के भाणवद तहसील में पैदा हुई हसीना बेन वरसारिया का 1999 में पाकिस्तानी नागरिक अब्बास अली के साथ विवाह हुआ था। इसके बाद वह पाकिस्तान की नागरिक बन गई थी। पति की मौत के बाद हसीना भारत लौट आई और 2015 में भारत की नागरिकता के लिए आवेदन सौंपा था।

भारत के पुराने नागरिकता कानून के तहत 11 साल देश में बतौर शरणार्थी रहने के बाद किसी को नागरिक बनने का पात्र माना जाता था, लेकिन नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के तहत अब पांच साल रहने के बाद भी भारत की नागरिकता मिल जाएगी। गुजरात की हसीना इसी बात का उदाहरण हैं।कच्छ, देवभूमि द्वारका, बनासकांठा में इस साल करीब नौ लोगों ने भारत की नागरिकता हासिल की है। वर्ष 1952 में पाकिस्तान के सिंध से आए सिंधी, लोहाणा, कोली, थरपाकर, बादिन थट्टा, महेश्वरी आदि समुदाय के हजारों लोग शरणार्थी के रूप में अहमदाबाद, गांधीनगर, कच्छ, बनासकांठा, पाटण, मोरबी में आकर बस गए थे।

सात शरणार्थियों को मिली भारत की नागरिकता

कच्छ, एएनआइ : केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने सात पाकिस्तानी शरणार्थियों को यहां नागरिकता प्रमाणपत्र सौंपे और उन्हें बधाई दी। शुक्रवार को नागरिकता प्रमाणपत्र पाने वालों में से एक मेहताब सिंह ने कहा, 'मैंने 2007 में पाकिस्तान छोड़ा। वह एक इस्लामिक गणराज्य है। वहां एक मस्जिद ध्वस्त हो गई थी। हिंदू लड़कियां और महिलाओं का अपहरण किया जाने लगा। वहां के छात्र भी इस्लामिक हैं। 2014 तक हमारे पास न तो आधार कार्ड था न ही बैंक खाता। भाजपा सरकार बनने के बाद हमें आधार मिला और बैंक खाता भी खुला। अब मैं भारत का नागरिक हूं और यह मेरे लिए दिवाली जैसा है।'

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