मतदान फीसद घटने-बढ़ने से नहीं चलता है रिजल्ट का पता, कम या ज्यादा वोट प्रतिशत से सरकार बदली और बरकरार भी रही
गुजरात की बात भी की जाए तो वोट फीसद का सीधे तौर से परिणाम पर बहुत असर नहीं दिखा है। 2017 में भी मतदान में तीन प्रतिशत की कमी आई थी परंतु परिणाम पर इसका कोई असर नहीं देखा गया।
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान में पिछली बार की तुलना में लगभग पांच प्रतिशत कम वोट पड़े हैं। सुविधा के अनुसार अटकलें लगाई जाती हैं कि वोट प्रतिशत में वृद्धि या कमी का असर चुनाव परिणाम पर पड़ता है। मसलन ज्यादा वोट पड़ने को सत्तापक्ष के खिलाफ माना जाता है और कम वोट को सत्तापक्ष के समर्थकों में शिथिलता से भी जोड़ा जाता है और कई बार सत्तापक्ष के राहत की बात भी मानी जाती है।
अगर सिर्फ गुजरात की बात भी की जाए तो वोट फीसद का सीधे तौर से परिणाम पर बहुत असर नहीं दिखा है। 2017 में भी मतदान में तीन प्रतिशत की कमी आई थी, परंतु परिणाम पर इसका कोई असर नहीं देखा गया। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 1995 से अबतक गुजरात विधानसभा चुनावों में वोट का प्रतिशत कई बार ऊपर-नीचे होता रहा है, लेकिन इसके आधार पर परिणाम को लेकर कोई सर्वमान्य फार्मूला तय नहीं किया जा सकता।
पहले चरण में कुल 63.14 प्रतिशत वोटिंग हुई
दो चरणों में हो रहे गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 89 सीटों पर मतदान हुआ है। दूसरा चरण अभी बाकी है। पहले चरण में कुल 63.14 प्रतिशत वोटिंग हुई है, जबकि पांच वर्ष पहले 2017 में 68.34 प्रतिशत वोट पड़े थे। इसी तरह 2012 में 71.30 प्रतिशत मतदान हुआ था। स्पष्ट है कि 2012 की तुलना में 2017 में लगभग तीन प्रतिशत कम वोट पड़े।
इसी तरह 2007 में 59.77 प्रतिशत वोट पड़े थे, जो 2012 की तुलना में 11 प्रतिशत कम था, लेकिन गुजरात में पिछले 27 वर्षों से एक ही दल की सरकार है। ऐसा नहीं कि इस तरह के नतीजे भाजपा सरकार में ही आ रहे हैं। गुजरात में भाजपा के पहले जब जनता दल और कांग्रेस की सरकारें थीं, तब भी वोट प्रतिशत में उत्थान-पतन का सिलसिला ऐसा ही चल रहा था। कांग्रेस की सरकार में भी ऐसे ही वोट प्रतिशत घट-बढ़ रहे थे, जिसके आधार पर परिणाम का आकलन नहीं किया जा सकता है।
हर बार वोट प्रतिशत में होता है उतार-चढ़ाव
1975 के आम चुनाव में 60.09 प्रतिशत वोट पड़े थे, जो पांच वर्ष बाद 1980 के अगले चुनाव में 12 प्रतिशत कम होकर 48.37 प्रतिशत पर अटक गया। मगर राज्य की सत्ता की स्थिति में कोई फर्क नहीं पड़ा। जिस दल की सरकार थी, उसी की बनी रही। हालांकि 1990 की तुलना में 1995 में 12 प्रतिशत ज्यादा वोट पड़े। तब जनता दल और भाजपा की सरकार थी, लेकिन अगले ही चुनाव में राज्य की सत्ता में भाजपा का अपने दम पर प्रवेश हुआ।
वर्ष वोट प्रतिशत सरकार
2022 63.14 भाजपा
2017 68.39 भाजपा
2012 71.30 भाजपा
2007 59.77 भाजपा
2002 61.54 भाजपा
1998 59.30 भाजपा
1995 64.39 भाजपा
1990 52.20 जनता दल
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