Kutch: जानें, भूकंप की विभीषिका के बाद कच्छ ने कैसे बनाई अपनी खास पहचान

Kutch भूकंप की विभीषिका झेल चुका गुजरात आज भारत का प्रवेश द्वार बन गया है। देश के नामी मुंद्रा पोर्ट भी यहीं पर है। यहां से सबसे अधिक आयात व निर्यात होता है। लोग यह कहते नजर आएंगे कि कच्छ नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Tue, 15 Dec 2020 06:35 AM (IST) Updated:Tue, 15 Dec 2020 06:35 AM (IST)
Kutch: जानें, भूकंप की विभीषिका के बाद कच्छ ने कैसे बनाई अपनी खास पहचान
भूकंप की विभीषिका के बाद कच्छ ने इस तरह बनाई अपनी खास पहचान। फाइल फोटो

अहमदाबाद, शत्रुघ्‍न शर्मा। Kutch: 26 जनवरी 2001 में आए विनाशकारी भूकंप के बाद गुजरात का कच्छ-भुज जिस तरह विकसित हुआ, वह अपने आप में अनूठा है। यह गुजरात का श्रेष्ठ पर्यटन स्थल बन गया है, यहां की हस्‍तकला, मीनाकारी, कपड़े की छपाई व धातु के गहने देश व दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं। कच्‍छ के रेगिस्‍तान में कहीं कुटीर उद्योग तो कहीं बडे उद्योग व कारखाने चल रहे हैं। कांडला व मुद्रा पोर्ट के कारण कच्‍छ आज भारत का प्रवेश द्वार बन गया है। कांडला पोर्ट भारत का एकमात्र मुक्त बंदरगाह है, जिसे फ्री ट्रेड की सुविधा मिली हुई है। कच्छ कभी रेगिस्तान के लिए जाना जाता था, लेकिन आज लोग यह कहते नजर आएंगे कि कच्छ नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा।

गुजरात का श्रेष्ठ पर्यटन स्थल 

कच्छ-भुज आज गुजरात का श्रेष्ठ पर्यटन स्थल बन गया है, वही यहां के हस्तकला के नमूने देश में दुनिया में नाम कमा चुके हैं। भूकंप की विभीषिका झेल चुका यह प्रदेश आज भारत का प्रवेश द्वार बन गया है। भारत के नामी मुंद्रा पोर्ट भी यहीं पर है तथा यहां से सबसे अधिक आयात व निर्यात होता है। गुजरात सरकार की मदद से मुंद्रा पोर्ट आज भारत के प्रवेश प्रवेश द्वार के रूप में पहचान बना चुका है। कच्छ के रेगिस्तान में कभी कोई जाना पसंद नहीं करता था, लेकिन गुजरात का सबसे लंबा पर्यटन उत्सव रण उत्सव कच्छ में ही होता है। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कच्छ को पर्यटन स्थल के रूप में दुनिया के पटल पर रखा। यहां के सफेद रण में कभी लोग पसंद नहीं करते थे, लेकिन अब सफेद रण पर्यटक के आकर्षण का केंद्र बन गया है। गुजरात का रण उत्सव करीब तीन से चार महीने चलता है, यहां आज हजारों की संख्या में देश-विदेश के पर्यटक आने लगे हैं।

हस्तकला, दस्तकला व मीनाकारी की दुनिया मुरीद

कच्छ की हस्तकला, दस्तकला तथा मीनाकारी की मुरीद पूरी दुनिया है। अच्छा में बने चनिया-चोली आज भारत के विभिन्न राज्य ही नहीं अमेरिका ब्रिटेन रूस ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों में गुजरात की पहचान बन गए हैं। गुजरात सरकार ने भूकंप के बाद कच्छ में तेजी से विकास करने के लिए यहां के हैंडीक्राफ्ट्स, वुडन प्रोडक्ट व पर्यटन का खासा प्रचार प्रसार किया। गुजरात के अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा व राजकोट आदि शहरों में तथा नई दिल्ली, मुंबई के गुजरात भवनों में गुर्जरी हाट बाजार बनाए, ताकि गुजरात के गांव में बैठा एक छोटा दस्तकार भी साल में एक दो महीने यहां आकर अपने उत्पाद बेच सकें और उसे अपने उत्पाद व कला का पूरा मुनाफा सीधे हाथ में मिले। इसका बहुत बड़ा लाभ यह हुआ कि गुजरात में पटोला चनिया- चोली, वुडन, मिट्टी के खिलौने, धातु के गहने बनाने वाले दस्त कारों को देश ही नहीं बल्कि दुनिया के कई नामी खरीदार भी सीधे मिल गए। मुंबई में बसने वाले कच्छ के लोगों ने जमकर कच्छ के विकास में अपना योगदान दिया।

इस तरह बनी पहचान 

कच्छ केवल सरकार के भरोसे विकसित नहीं हुआ बल्कि कई नामी कंपनियों ने यहां पर प्रोजेक्ट शुरू किए उनके नेशनल सेमिनार तथा कार्यशाला भी यहां पर आयोजित की गई। किसानों व पशुपालकों को कमर्शियल उत्पाद व फसलों की ट्रेनिंग दी गई, जिससे वे परंपरागत काम से हटकर बाजार की मांग के मुताबिक उत्पादन करने लगे। इसका सबसे बड़ा उदाहरण गधी के दूध का उत्पादन भी है। आज बाजार में इसका दूध 400 से 500 लीटर बिक रहा है। कच्छ में एक घुडसर अभ्यारण है। हजारों की संख्या में गधे व गधी पाए जाते हैं। 2001 में आए भूकंप के बाद सरकार वह उद्योग जगत के कई लोगों ने यह मान लिया था कि अब कच्छ को फिर से विकसित किया जाना बहुत मुश्किल है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने (गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री रहते) अपना सारा फोकस कच्छ के विकास पर लगा दिया। कच्छ गुजरात का सबसे बड़ा क्षेत्रफल वाला जिला है। मोदी ने यहां उपलब्ध जमीन का उपयोग करते हुए देश के कई औद्योगिक घरानों को यहां पर उद्योग लगाने के लिए प्रेरित किया। भारत का सबसे बड़ा प्राइवेट पोर्ट मुंद्रा पोर्ट है जो कच्छ में ही स्थित है। अदानी समूह ने यहां स्पेशल इकोनामिक जोन बनाकर इसका विकास किया है। कांडला पोर्ट भारत के आठ बड़े बंदरगाहों में से एक है, कांडला पोर्ट भारत का एकमात्र मुक्त बंदरगाह है जिसे फ्री ट्रेड की सुविधा मिली हुई है। गांधीधाम अपने औद्योगिक विकास के लिए अपनी एक अलग पहचान बना चुका है। भुज शहर के चांदी के गहने तथा कपड़े की छपाई का काम देश में दुनिया में फेमस है।

 

कच्‍छ में बनेगा विश्‍व का सबसे बड़ा एनर्जी पार्क, पीएम मोदी करेंगे शिलान्यास

पीएम नरेंद्र मोदी 15 दिसंबर को गुजरात के कच्छ के दोरडो की यात्रा करेंगे। कच्‍छ में दुनिया का सबसे बड़ा 30 हजार मेगावाट का रिन्‍युएबल एनर्जी पार्क बनेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को एनर्जी पार्क व मांडवी में डिसेलीनेशन प्‍लांट का शिलान्‍यास करने गुजरात आएंगे। मुख्‍यमंत्री विजय रूपाणी गांधीनगर महात्‍मा मंदिर पर पत्रकारों से चर्चा में बताया कि कच्‍छ के सीमावर्ती इलाके में सौलार व विंड एनर्जी का दुनिया का सबसे बड़ा एनर्जी पार्क बनेगा। डिसेलीनेशन प्‍लांट से किसान, कच्‍छ की जनता व उद्योगों को पानी की जरूरत को पूरा किया जा सकेगा। गुजरात में रो-रो फेरी, सी प्‍लेन, रोपेक्ष फेरी, केवड़िया नर्मदा में कई प्रोजेक्‍ट, गिरनार का रोप वे सहित विकास की कई योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं। अब दुनिया में सबसे ऊंची प्रतिमा स्‍टैच्‍यू ऑफ यूनिटी के बाद विश्‍व का सबसे बड़ा एनर्जी पार्क भी गुजरात में होगा। गुजरात में मुख्‍यमंत्री रहे पीएम नरेंद्र मोदी ने सीमावर्ती साबरकांठा के चारणका में एशिया के सबसे बड़े सोलर पार्क का निर्माण कराया था। गुजरात का कच्छ पाकिस्तान से सटे होने के कारण काफी महत्व रखता है। 

मंगलवार अपरान्ह दो बजे पीएम नरेंद्र मोदी कच्‍छ पहुंचेंगे
-कच्‍छ के घोरडो में टेंट सिटी से वे कच्‍छ के गुंदीयाली, सौराष्‍ट्र के गांधीवी द्वारका, घोघा भावनगर व सूत्रापाडा सोमनाथ में वाटर डिसेलीनेशन प्‍लांट का वर्च्‍युअल शिलान्‍यास करेंगे।
-कच्‍छ के रेगिस्‍तान में वैकल्पिक ऊर्जा के 30 मेगावाट के सोलार व विंड एनर्जी पार्क का शिलान्‍यास करेंगे।
-राष्‍ट्रीय किसान विकास योजना के तहत कच्‍छ डेयरी के 129 करोड के स्‍वचालित मिल्‍क चिलिंग प्‍लांट का डिजिटल भूमि पूजन करेंगे, मुख्‍यमंत्री रहते मोदी ने यहां 8.37 करोड की लागत से दो लाख लीटर क्षमता के मिल्‍क प्रोसेसिंग प्‍लांट की स्‍थापना की थी।

उद्योगों को आगे बढ़ाने में मिलेगी मददः राजेश भट्ट

द चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्‍ट्री कच्‍छ के अध्‍यक्ष राजेश भट्ट बताते हैं कि भूकंप के बाद कच्‍छ के विकास का श्रेय नरेंद्र भाई मोदी की इच्‍छाशक्ति व कच्‍छ के लोगों की खुमारी को जाता है, जो आपत्ति को भी अवसर में पलटने का हौसला रखते हैं। कच्‍छ ऊर्जा, नमक, मिनेरल्स, सिरामिक, स्‍टील, वेयर हाउस, कपडा, पर्यटन, हैंडीक्राफ्ट व पर्यटन के क्षेत्र में आज अपनी अलग पहचान रखता है। कच्‍छ को लगातार आर्थिक मदद करते हुए मोदी ने यहां के उद्योग व व्‍यापार को जीवंत रखा है। सोलार व विंड एनर्जी पार्क तथा वाटर डिसेलीनेशन प्‍लांट से यहां के उद्योगों को आगे बढ़ाने में बड़ी मदद होगी।

हर क्षेत्र में बनाई पहचानः यमल व्यास

गुजरात सीए एसोसिएशन के पूर्व अध्‍यक्ष यमल व्‍यास बताते हैं कि भूकंप से पूरा जिला तबाह हो गया था। ऐसी त्रासदी से उबरने का पूर्व में कोई अनुभव नहीं था, लेकिन मोदी जी ने इसके लिए एक विजन तैयार किया व टाइम बाउंड तरीके से उसका अमल किया। कच्‍छ के लोगों को रहने व खाने की ही नहीं बल्कि वहां स्‍थायी विकास का लक्ष्‍य रखा, ताकि लोग अपने कौशल के बूते देश व दुनिया के बाजार से जुड़कर कमा सकें, आज परिणाम सबके सामने हैं कि कच्‍छ ने हर क्षेत्र में अपनी पहचान कायम कर ली है।

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