Navratri 2020: गुजरात में अंबा माता के मंदिर में उमड़े श्रद्धालु

Navratri 2020 नवरात्र स्थापना के बाद शाम को 200 की संख्या में ही उपस्थित रहकर लोगों ने मां जगदंबा की आरती में पूजा की लेकिन शक्तिपीठ मां अंबा के दर्शनों के लिए तथा पावागढ़ अंबे माता के दर्शन के लिए भारी हुजूम उमड़ रहा है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Sun, 18 Oct 2020 03:01 PM (IST) Updated:Sun, 18 Oct 2020 03:01 PM (IST)
Navratri 2020: गुजरात में अंबा माता के मंदिर में उमड़े श्रद्धालु
गुजरात में अंबा माता के मंदिर में उमड़े श्रद्धालु।

अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। Navratri 2020: गुजरात में नवरात्र में अंबा माता के मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लग गया है। कोरोना महामारी के बावजूद दर्शनों के लिए भारी संख्या में श्रद्धालुं जुट रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पुलिस व प्रशासन की मौजूदगी में खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। गुजरात सरकार ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए इस बार नवरात्र के दौरान गरबा की मंजूरी नहीं दी है। राज्य भर में शनिवार को नवरात्र स्थापना के बाद शाम को 200 की संख्या में ही उपस्थित रहकर लोगों ने मां जगदंबा की आरती में पूजा की, लेकिन शक्तिपीठ मां अंबा के दर्शनों के लिए तथा पावागढ़ अंबे माता के दर्शन के लिए भारी हुजूम उमड़ रहा है।

सोशल डिस्टेंसिंग का कहीं कोई पालन नहीं किया जा रहा है। लोग दर्शनों की जल्दबाजी में कतारों में एक-दूसरों से सट कर भी खड़े रहने को मजबूर हैं। प्रशासन राज्य में कोरोना महामारी के दौरान पालन करने के लिए गाइडलाइन का प्रचार प्रसार कर रहा है लेकिन श्रद्धालुओं को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। बड़ोदरा के पास पावागढ़, खेड़ा डाकोर के पास गलतेश्वर महादेव, कच्छ में आशापुरी माताजी मंदिर हो या माता ना मढ नवरात्र में दर्शनों के लिए यहां दर्शनार्थियों की भारी भीड़ उमड़ रही है। अंबाजी मंदिर के शक्ति द्वार से लेकर त्रिवेदी सर्कल बस स्टैंड तक करीब डेढ़ किलोमीटर लंबी श्रद्धालुओं की लाइन लग गई है।

भगवान शिव को समर्पित है गलतेश्वर मंदिर

भगवान शिव को समर्पित हिंदू मंदिर गलतेश्‍वर माही नदी के किनारे पर खेडा में डाकोर कस्‍बे के पास सरनाल गांव में स्थित है। इसका निर्माण चालुक्‍य वंश के राजा ने 12वीं सदी में याने आज से 800 साल पहले कराया था। यह मंदिर ऐतिहासिक सोमनाथ मंदिर, मोढेरा के सूर्य मंदिर के समकक्ष है तथा उसी तरह की नक्‍काशी के साथ मध्‍य भारत की मालवा शैली में बना है। चौकोर गर्भग्रह व गुंबदाकार मंडप बना है। आठ स्‍तंभ भीतर व 16 स्‍तंभ बाहरी ओर स्थित हैं जिन पर गुंबद टिका है। मंदिर का ऊपरी हिस्‍सा क्षतिग्रस्‍त है। साथ ही, मंदिर की दीवारों व खंभों पर बनी कलाकृतियों का भी क्षरण हो रहा है।

कहीं-कहीं विविध भावभंगिमाओं में महिला, पुरुष तथा हाथी व घोड़े पर सवारों की टूटी हुईं प्रतिमाएं नजर आती हैं। पत्‍थर पर की गई शानदार नक्‍काशी बरबस ही आकर्षित करती है। मंदिर माही नदी के किनारे पर बना हुआ है, लेकिन इसका नाम गलता नदी के नाम पर गलतेशवर मंदिर रखा गया। गर्भग्रह में सीढ़ियां उतरकर महादेव के दर्शन व जलाभिषेक किया जाता है। दूरस्‍थ गांव में स्थित मंदिर पर दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है। 

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